100 साल पहले एक सूर्य ग्रहण ने बना दिया था आइंस्टाइन को मशहूर

100-years-ago-a-solar-eclipse-made-einstein-famous
[email protected] । May 29 2019 6:23PM

रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के अध्यक्ष प्रोफेसर माइक क्रूज ने कहा, ‘‘एक सदी पहले खगोलविदों ने सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत की पुष्टि की थी और इस प्रक्रिया में ब्रह्मांड को लेकर हमारी समझ हमेशा के लिए बदल गई।’’

नयी दिल्ली। एक सदी पहले कुछ उत्साहित खगोलविद जब अपनी दूरबीनों से आकाश में देख रहे थे तो उन्होंने एक ऐसा सूर्य ग्रहण देखा जिससे ब्रह्मांड को लेकर हमारी समझ हमेशा के लिए बदलने में मदद मिली। इस घटना से अल्बर्ट आइंस्टाइन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत (जनरल थियरी ऑफ रिलेटिविटी) को परखने में मदद मिली। यह सिद्धांत उपग्रह आधारित ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) जैसी अहम आधुनिक प्रौद्योगिकियों का आधार है। जीपीएस प्रणालियों के सही तरीके से काम करने के लिए यह सिद्धांत आवश्यक है। इसी के अनुरूप जीपीएस प्रणालियां कई साझा ऐप्लीकेशनों पर निर्भर है, जिसमें वाहन उपग्रह नौवहन (सैटनेव) प्रणालियां, मौसम पूर्वानुमान, आपदा राहत और आपातकालीन सेवाएं शामिल हैं।

इसे भी पढ़ें: क्यों महत्वपूर्ण है ब्लैक होल की पहली तस्वीर

मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के सहायक प्रोफेसर सुदीप भट्टाचार्य ने बताया, ‘‘यह गौर करने से न केवल प्रकृति के मौलिक सिद्धांत की पुष्टि होती है और प्रकृति को लेकर हमारी समझ में व्यापक वृद्धि हुई, बल्कि इससे आइंस्टाइन की शानदार समझ भी दिखाई दी।’’ खगोलविद सर ऑर्थर एडिंगटन ने 29 मई 1919 को एक सूर्य ग्रहण के दौरान सितारों की सामान्य स्थितियों से उनके स्पष्ट विचलन को देखकर आइंस्टाइन के सिद्धांत को परखा था। आइंस्टाइन के सिद्धांत के मुताबिक, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रकाश के पथ में गुरुत्व के कारण विचलन आता है। ऐसा तब होता है जब प्रकाश सूर्य जैसे किसी विशाल पिंड के करीब यात्रा करता है।

इसे भी पढ़ें: मंगल पर जाना चाहते हैं तो नासा को भेजें अपना नाम

किसी सूर्य ग्रहण के दौरान इस प्रभाव को मापा जा सकता है। सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य की रोशनी का रास्ता रोक देता है। रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के अध्यक्ष प्रोफेसर माइक क्रूज ने कहा, ‘‘एक सदी पहले खगोलविदों ने सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत की पुष्टि की थी और इस प्रक्रिया में ब्रह्मांड को लेकर हमारी समझ हमेशा के लिए बदल गई।’’ क्रूज ने कहा, ‘‘आइंस्टाइन और एडिंगटन के काम प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सुंदर उदाहरण हैं और यह दिखाता है कि विज्ञान इन उथल-पुथल भरे समय में कैसे बेड़ियों से पार पा सकता है।’’

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़