करीब 35 फीसदी लोगों को बुजुर्गों की सेवा करने में खुशी नहीं होती: सर्वेक्षण

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[email protected] । Jun 14 2019 6:30PM

इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 29 फीसदी लोग यह स्वीकार करते हैं कि वह अपने बुजुर्गों को घर में रखने के बजाय वृद्धाश्रम में रखना चाहेंगे।

नयी दिल्ली। यह कोई नई बात नहीं है कि ज्यादातर घरों में बुजुर्गों को बोझ की तरह देखा जाता है लेकिन हाल के एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि देखरेख करने वाले 35 फीसदी लोगों को बुजुर्गों की सेवा करने में खुशी महसूस नहीं होती। परोपकारी संगठन हेल्पएज इंडिया की रिपोर्ट ‘भारत में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार: देखरेख करने में परिवार की भूमिका: चुनौतियां और प्रतिक्रिया’ शुक्रवार को ‘विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम जागरुकता दिवस’ की पूर्व संध्या पर जारी हुई। इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 29 फीसदी लोग यह स्वीकार करते हैं कि वह अपने बुजुर्गों को घर में रखने के बजाय वृद्धाश्रम में रखना चाहेंगे।

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इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले लोगों में से एक चौथाई देखरेख करने वालों का मानना है कि उन्हें निराशा और कुंठा होती है और इस वजह से परिवार के बुजुर्ग सदस्यों पर गुस्सा कर बैठते हैं। सर्वेक्षण में कुल 2090 देखरेख करने वाले (जिनमें से पुत्र, बहू, बेटी और दामाद) शामिल थे। बुजुर्गों की सेवा को खुद पर बोझ समझने के बाद भी 32 फीसदी लोगों ने बुजुर्गों को उनकी दिनचर्या में मदद कर अपना फर्ज निभाया। 

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इस संगठन ने राष्ट्रीय स्तर पर हेल्पलाइन एप्प ‘हेल्पएज एसओएस’ की शुरुआत की है जिसका लक्ष्य जरूरतमंद बुजुर्ग व्यक्ति की एक क्लीक पर मदद करना है। 

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