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ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने से पहले संभल जाएं वरना बिगड़ सकता है जायका
- अंकित सिंह
- फरवरी 19, 2021 15:26
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साइबर ठग फेसबुक पर भ्रामक प्रचार के जरिए मासूम ग्राहकों को फसाने की फिराक में रहते है। जब आप अपने फोन के जरिए पेमेंट करते हैं तो यह ठग आपके पर्सनल डिटेल्स निकाल लेते है और फिर सीधे आपके खाते से पैसे गायब कर देते है।
इंसान खाने को लेकर बड़ा सजग होता है। हालांकि, कभी-कभी अपने मूड के हिसाब से उसे खाना पसंद होता है। कभी उसका मूड घर में बना खाना खाने का कर सकता है तो कभी उसे बाहर से खाना मंगा कर खाने अच्छा लगता है। अक्सर जब हम घर में अकेले होते है या थके होते है तो खाना ऑनलाइन बुक कर के ही बाहर से मंगा लेते है। लेकिन अब आपको ऐसा करते वक्त सावधानी बरतने की जरूरत है और ऐसा इसलिए क्योंकि साइबर ठग आपके हर आर्डर पर नजर रहते हैं। दरअसल, साइबर ठग फेसबुक पर भ्रामक प्रचार के जरिए मासूम ग्राहकों को फसाने की फिराक में रहते है। जब आप अपने फोन के जरिए पेमेंट करते हैं तो यह ठग आपके पर्सनल डिटेल्स निकाल लेते है और फिर सीधे आपके खाते से पैसे गायब कर देते है।
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ऐसे में जब भी आप खाने का ऑर्डर ऑनलाइन दें तो संभल कर पेमेंट करें या फिर आप विश्वसनीय प्लेटफार्म पर जाकर ही अपना ऑर्डर बुक करें। वरना ठगी का शिकार होने के बाद आपके खाने पीने का जायका बिगड़ जाएगा। ऐसा ही कुछ हुआ शाहीन बाग में रहने वाले सहाब अहमद के परिवार के साथ हुआ। दरअसल, सहाब अहमद ने वैलेंटाइन डे के दिन दोपहर का खाना ऑर्डर से बुक किया। खास बात यह है कि उन्होंने नामी रेस्टोरेंट का विज्ञापन देखने के बाद यह आर्डर को किया था। खाने पर आकर्षक ऑफर भी था जो कि 1 प्लस 1 का था। सहाब अहमद ने फिर नंबर पर फोन किया जिसके बाद उन्हें बताया गया कि आप एक एप्लीकेशन डाउनलोड करें और फिर आप ऑर्डर बुक करें। ऐप पर तमाम जानकारी भरने के बाद उनके खाते से ₹99500 गायब हो गए।
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इस घटना के बाद से वह सहमे हुए हैं। डेबिट, क्रेडिट या फिर बैंक अकाउंट से लेनदेन कम ही कर रहे हैं। आगे भी वह ऐसे लेनदेन नहीं करना चाहते। इतना ही नहीं, होम मिनिस्ट्री के एक अफसर भी इस ठगी के शिकार हो गए हैं। होम मिनिस्ट्री के अफसर ने बताया कि वह इसी तरीके के ठगी का शिकार हुए और उनके अकाउंट से ₹33000 काट लिए गए। ऐसे में आप जब भी ऑनलाइन आर्डर करें तो चीजों को ठीक से पड़ताल कर लें। आर्डर करने के बाद पेमेंट के लिए किसी भी लिंक पर क्लिक ना करें। किसी भी तरह के एप्लीकेशन को डाउनलोड बिल्कुल भी ना करें। उन्ही के एप्लीकेशन पर जाकर आर्डर करें जो कि विश्वसनीय है। खाते की जानकारी साझा ना करें। ऑनलाइन फॉर्म भरने की कभी भी जरूरत नहीं होती है। खाने का ऑर्डर डिलीवरी होने के बाद ही पेमेंट करने की कोशिश करें।
तारापुर शहीद दिवस: जब 34 लोगों की शहादत पाकर तारापुर थाना पर लहराने लगा तिरंगा
- कमलेश पांडेय
- फरवरी 24, 2021 11:21
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1932 की इस घटना ने उन दिनों एक बार फिर 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग गोलीकांड की बर्बरता की याद ताजा कर दी थी। तभी से हर साल तारापुर शहीद दिवस प्रत्येक वर्ष 15 फरवरी को मनाया जाता है।
# "उस दिन तिरंगा फहराने पर अंग्रेजी अफसरों ने चलवा दी अंधाधुंध गोलियां, जिससे लगभग तीन दर्जन लोग शहीद हो गए थे"
फरवरी का महीना भारतीयों के स्वाभिमान और आन बान शान का प्रतीक है। इसी महीने की 15 फरवरी 1932 को बिहार के मुंगेर जिला के तारापुर वासियों ने अपने अदम्य साहस और राष्ट्रप्रेम का परिचय देते हुए वह कुर्बानी दी, जिस पर राष्ट्र का बच्चा-बच्चा गौरव करता आया है। वैसे तो देश प्रेम में निजी अथवा सामूहिक कुर्बानी देने के अनेक उदाहरण मौजूद हैं, लेकिन तारापुर गोली कांड ने पूर्वी भारत में स्वतंत्रता प्रेम की जो अलख जगाई, उसने महज 15 साल बाद ही 15 अगस्त 1947 के शुभ मुहूर्त को और ज्यादा संभव बना दिया। वैसे तो बचपन से ही तारापुर शहीद स्मारक का दीदार करता आया हूँ जिसे भारतवासियों को यह प्रेरणा मिलती है कि भारत माता के स्वाभिमान की रक्षा के लिए और राष्ट्रध्वज तिरंगा के सम्मान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने का वैसा ही जज्बा हमारे दिल में होना चाहिए, जैसा कि हमारे अमर शहीदों ने वक्त वक्त पर प्रदर्शित किया है।
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यूं तो तारापुर शहीद दिवस के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन इतिहास के पन्नों में आज से लगभग 9 दशक पहले क्या हुआ था, शायद कई लोग आज भी इससे अनजान होंगे। दरअसल, आजादी के लिए देश के कोने-कोने में लड़ी गई लड़ाइयां समय-समय पर कहानी और किताबों के माध्यम से सामने आती रही हैं। तारापुर के शहीदों की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में बिहार राज्य में स्थिति मुंगेर जिले के तारापुर के शहीदों का जिक्र किया था। जिससे इस घटना को एक बार पुनः चर्चा में आने का मौका मिला है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि तिब्बत सीमा पर 2020 की गलवान घाटी शहादत देने के पीछे भी हमारे देश के सैनिकों के समक्ष ऐसी ही गिनी चुनी घटनाओं से मिली प्रेरणाएं शामिल हैं। इसलिए हम सभी का यह पुनीत कर्तव्य है कि 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्व के मौके पर ऐसे बलिदान स्थलों पर वैसा स्वाभिमान रक्षा पर्व मनाएं कि भावी पीढ़ियों के लोग न केवल उस पर गौरव कर सकें, बल्कि वक्त आने पर वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत करने का मौका मिलने पर कतई नहीं हिचकिचाएं। राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा के लिए और देश में आतंकवाद, नक्सलवाद और अंडरवर्ल्ड की कारगुजारियों से लोहा लेते हुए हमारे वीर जवानों ने और आम वीर पुरुषों ने जो शहादत दी है, उसी से स्थापित अमन-चैन के माहौल में हमलोग सांस ले पा रहे हैं, अन्यथा गुलामी की घुटन महसूस करनी हो तो इतिहास के पन्ने पलट लें।
बता दें कि पीएम मोदी ने 31 जनवरी 2021 को मन की बात कार्यक्रम में कहा, "इस वर्ष भारत अपनी आजादी के, 75 वर्ष का समारोह- अमृत महोत्सव शुरू करने जा रहा है। ऐसे में यह हमारे उन महानायकों से जुड़ी स्थानीय जगहों का पता लगाने का बेहतरीन समय है, जिनकी वजह से हमें आजादी मिली। साथियों, हम आजादी के आंदोलन और बिहार की बात कर रहें हैं, तो, मैं, NaMo App पर ही की गई एक और टिप्पणी की भी चर्चा करना चाहूंगा। मुंगेर के रहने वाले एक समाजसेवी ने मुझे तारापुर शहीद दिवस के बारे में लिखा है। 15 फरवरी 1932 को, देशभक्तों की एक टोली के कई वीर नौजवानों की अंग्रेजों ने बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी थी। उनका एकमात्र अपराध यह था कि वे ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत मां की जय’ के नारे लगा रहे थे। मैं उन शहीदों को नमन करता हूं और उनके साहस का श्रद्धापूर्वक स्मरण करता हूं।"
# ......तब अंग्रेजी अफसरों के सामने ही थाने पर फहरा दिया तिरंगा और हंसते हंसते मौत को गले लगा लिया
मसलन, 1930 के दशक में तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए देश के कोने-कोने से स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी निकल रही थी। उनमें से एक बिहार राज्य के मुंगेर के तारापुर भी है। जहां 15 फरवरी की दोपहर में क्रांतिवीरों का जत्था घरों से बाहर निकला। क्रांतिवीरों का दल तारापुर तत्कालीन ब्रिटिश थाना पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के लिए तिरंगा हाथों में लिए बेखौफ बढ़ते जा रहे थे और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए जनता खड़ी होकर भारत माता की जय, वंदे मातरम आदि का जयघोष कर रही थी। तभी मौके पर मौजूद कलेक्टर ई ओली व एसपी डब्लू. एस. मैग्रेथ ने निहत्थे स्वतंत्रता सेनानियों पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दीं। गोलियां चलती रहीं और आजादी के दीवाने वहां से हिले तक नहीं। देखते ही देखते 34 लोगों की शहादत के बीच धावक दल के मदन गोपाल सिंह, त्रिपुरारी सिंह, महावीर सिंह, कार्तिक मंडल, परमानन्द झा ने ब्रिटिश थाने पर तिरंगा फहरा दिया। अंग्रेजी हुकूमत की इस बर्बर कार्रवाई में 34 स्वतंत्रता प्रेमी शहीद हुए। हालांकि विद्रोह को दबाने के लिए आनन-फानन में अंग्रेजों ने कायरतापूर्वक वीरगति को प्राप्त कई सेनानियों के शवों को वाहन में लदवाकर सुल्तानगंज भिजवाकर गंगा में बहवा दिया था।
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1932 की इस घटना ने उन दिनों एक बार फिर 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग गोलीकांड की बर्बरता की याद ताजा कर दी थी। तभी से हर साल तारापुर शहीद दिवस प्रत्येक वर्ष 15 फरवरी को मनाया जाता है। इतिहासकार डी सी डीन्कर ने अपनी किताब "स्वतंत्रता संग्राम में अछूतों का योगदान" में भी तारापुर की इस घटना का जिक्र किया है। इसके अलावा, लोक श्रुतियों, लोक गीतों, स्थानीय पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं में भी इस घटना के बारे में विस्तृत जानकारियां मौजूद हैं। इस पर कई शोध भी हो चुके हैं, लेकिन आधुनिक परिवेश के मद्देनजर इस पर नए सिरे से शोध होना चाहिए, ताकि राष्ट्रप्रेम के साथ साथ सामाजिक सद्भावना को भी बढ़ावा मिले, जिसका अकाल पड़ता जा रहा है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 20, 2021 14:34
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दुनिया ने शुक्रवार को मंगल ग्रह पर उतरते रोवर की पहली तस्वीर देखी। नासा ने लाल ग्रह के धूल भरे सतह पर उतरते रोवर की ‘विस्मित’ करने वाली तस्वीर जारी की। यह तस्वीर ‘पर्सविरन्स’ रोवर के मंगल ग्रह पर प्राचीन नदी के डेल्टा पर उतरने के 24 घंटे से भी कम समय में जारी की गई है।
केप केनावेरल (फ्लोरिडा)। दुनिया ने शुक्रवार को मंगल ग्रह पर उतरते रोवर की पहली तस्वीर देखी। नासा ने लाल ग्रह के धूल भरे सतह पर उतरते रोवर की ‘विस्मित’ करने वाली तस्वीर जारी की। यह तस्वीर ‘पर्सविरन्स’ रोवर के मंगल ग्रह पर प्राचीन नदी के डेल्टा पर उतरने के 24 घंटे से भी कम समय में जारी की गई है। यह रोवर प्राचीन जीवन के निशान को तलाश करेगा एवं एक दशक में धरती पर लाल ग्रह के चट्टान के प्रमाणिक नमूनों को लाने का भी प्रयास करेगा। नासा ने इस अंतरिक्ष यान में तस्वीर लेने के लिए 25 कैमरे लगाए गए हैं जबकि आवाज रिकॉर्ड करने के लिए दो माइक्रोफोन भी इसमें लगे हैं जिनमें से कई ने बृहस्पतिवार को सतह पर उतरने के दौरान काम करना शुरू दिया है।
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रोवर ने दो मीटर की दूरी से जमीन की असामान्य तौर पर बहुत साफ तस्वीर भेजी है जिसमें वह केबल के जरिये स्काई क्रेन से जुड़ा हुआ है और रॉकेट इंजन की वजह से लाल धूल उड़ रही है। कैलिफोर्निया के पेसाडेना स्थित नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी ने वादा किया है आने वाले कुछ दिनों में और तस्वीरें जारी की जाएंगी और संभवत: रोवर के उतरने के दौरान रिकॉर्ड आवाज भी सुनने को मिलेगी। फ्लाइट सिस्टम इंजीनियर एरन स्तेहुरा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ यह कुछ ऐसा है जिसे हमने पहले कभी नहीं देखा। यह चौंका देने वाली थी, टीम विस्मित थी। वहां जीत का भाव था कि हम इन तस्वीरों को कैद करने में सक्षम हुए और दुनिया के साथ साझा किया।’’ चीफ इंजीनियर एडम स्टेल्टज्नर ने कहा कि तस्वीर ‘खास’ है।
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जमीनी परिचालन की रणनीतिक मिशन प्रबंधक पॉवलिन ह्वांग ने कहा कि अबतक कई तस्वीरें मिली हैं। उन्होंने कहा, ‘‘टीम शुरुआती तस्वीरों को देख खुशी से झूम उठी।’’ उप परियोजना वैज्ञानिक कैटी स्टाक मॉर्गन ने कहा कि तस्वीर इतने स्पष्ट हैं कि शुरुआत में उन्हें लगा कि वे एनिमेशन हैं। गौरतलब है कि पिछले सात महीने में मंगल के लिए यह तीसरी यात्रा है। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात और चीन के एक-एक यान भी मंगल के पास की कक्षा में प्रवेश कर गए थे।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा। ‘पर्सविरन्स’ नासा का अब तक का सबसे बड़ा रोवर है और 1970 के दशक के बाद से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यह नौवां मंगल अभियान है। चीन ने अपने मंगल अभियान के तहत ‘तियानवेन-1’ पिछले साल 23 जुलाई को लाल ग्रह रवाना किया था। यह 10 फरवरी को मंगल की कक्षा में पहुंचा। इसके लैंडर के यूटोपिया प्लैंटिया क्षेत्र में मई 2021 में उतरने की संभावना है। यूएई का मंगल मिशन ‘होप’ भी इस महीने मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया है।
प्रतिभा के साथ अधिक रोजगार देने के मामले में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सबसे आगे
- अंकित सिंह
- फरवरी 18, 2021 15:23
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चौथे स्थान पर कर्नाटक है जबकि पांचवें पर आंध्रप्रदेश है। इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि भारत में रोजगार के लिए महिलाएं पहली पसंद बनती जा रही हैं। यानी कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा रोजगार मिल रहा है।
भारत में रोजगार को लेकर एक ताजा रिपोर्ट सामने आया है। इस रिपोर्ट में कई खुलासे देखने को मिले है। इंडिया स्किल रिपोर्ट 2021 के मुताबिक भारत में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले टॉप तीन राज्य बन गए हैं। खास बात यह है कि यह तीनों राज्य प्रतिभा के साथ रोजगार देने के मामले में भी आगे हैं। चौथे स्थान पर कर्नाटक है जबकि पांचवें पर आंध्रप्रदेश है। इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि भारत में रोजगार के लिए महिलाएं पहली पसंद बनती जा रही हैं। यानी कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा रोजगार मिल रहा है।
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इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि युवाओं में रोजगार के लिए सबसे पसंदीदा शहर के रूप में बैंगलोर टॉप पर है। प्रतिभा के हिसाब से राजस्थान और पश्चिम बंगाल भी टॉप 10 में आते हैं। लेकिन कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, तेलंगाना और गुजरात से नीचे हैं। हरियाणा में रोजगार को लेकर तमाम कौशल विकास की योजनाएं चलाई गई हैं परंतु फिर भी वह इस सूची में अपना स्थान नहीं बना सका। यह रिपोर्ट व्हीबॉक्स (Wheebox) ने सीआईआई (CII),एआईसीटीई (AICTE), एआईयू (AIU) और यूएनडीपी (UNDP) के साथ मिल कर तैयार की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 40% युवाओं को उच्च रोजगार के लिए योग्य माना गया है।
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हालांकि यह पिछले वर्षो की तुलना में काफी कम है। शिक्षा में कौशल विकास का एक अंतर साफ तौर पर देखने को मिलता है। ऐसे में यह आंकड़ा उत्साहजनक है। यह देखते हुए भी आंकड़ा उत्साहजनक है क्योंकि भारत की औसत आयु 26.8 वर्ष है। इस रिपोर्ट में यह साफ तौर पर उभर कर सामने आया है कि भारत में शिक्षा में कौशल विकास के कमी है। एक अच्छी बात यह भी है कि इस रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि पिछले साल की तुलना में कॉलेज में एडमिशन लेने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है।

