बढ़ती प्रदूषित हवा में सांस लेना मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकता है: अध्ययन

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पीएम 2.5 या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषक होते हैं जिनके बढ़ने पर लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। पीएम 2.5 कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इससे दृश्यता कम हो जाती है।

बीजिंग। लंबे समय तक प्रदूषित वायु में सांस लेने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। चीन में हाल ही में एक अध्ययन से यह बात सामने आई है। मधुमेह से दुनियाभर में काफी आर्थिक और स्वास्थ्य बोझ बढ़ता है। विश्व भर में चीन में मधुमेह के सबसे अधिक मामले हैं। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि विकासशील देशों में वायु प्रदूषण और मधुमेह के बीच के संबंध के बारे में विरले ही जानकारी दी गई खासतौर से चीन में जहां पीएम 2.5 का स्तर अधिक है। पीएम 2.5 या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषक होते हैं जिनके बढ़ने पर लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। पीएम 2.5 कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इससे दृश्यता कम हो जाती है।

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चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज फुवई होस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अमेरिका स्थित एमरॉय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर लंबे समय तक पीएम2.5 के संपर्क में रहने और 88,000 से अधिक चीनी वयस्कों से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर मधुमेह के बीच संबंध का विश्लेषण किया।शोध के नतीजों से पता चला कि लंबे समय तक पीएम2.5 के 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ने से मधुमेह का खतरा 15.7 प्रतिशत तक बढ़ गया। यह शोध पत्रिका एनवॉयरमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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