अब अमरनाथ यात्रा के ही चर्चे हैं पूरे कश्मीर में, क्या आप नहीं आएंगे यात्रा करने ?

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अमरनाथ यात्रा को लेकर चाहे इस बार वे लोग खुश होंगें जिनकी रोजी रोटी इस धार्मिक यात्रा के साथ जुड़ी हुई है पर आम कश्मीरी के साथ-साथ जम्मू संभाग की वह जनता भी परेशान है जिनके घर, गांव आदि नेशनल हाईवे से निकलने वाले लिंक मार्गों पर हैं।

बालटाल। करीब एक सप्‍ताह से कश्‍मीर में सिर्फ और सिर्फ अमरनाथ यात्रा के ही चर्चे हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्‍योंकि अगर अमरनाथ यात्रा पर मंडराते खतरे के हौव्‍वे को बढ़ा चढ़ा कर पेश किए जाने के बाद कश्‍मीर में रेलबंदी और रोडबंदी से आम नागरिक परेशान हो उठे हैं वहीं आतंकी अमरनाथ यात्रा के दौरान पुलवामा दोहराने की योजनाओं को अंतिम रूप दे रहे हें। इन सबके बीच आतंकी कमांडर बुरहान वानी की बरसी भी सरकार को डराने लगी है क्‍योंकि करीब तीन सालों से बुरहान वानी की बरसी पर अमरनाथ यात्रा ही पथरबाजों का शिकार हुई है। अमरनाथ यात्रा को लेकर चाहे इस बार वे लोग खुश होंगें जिनकी रोजी रोटी इस धार्मिक यात्रा के साथ जुड़ी हुई है पर आम कश्मीरी के साथ-साथ जम्मू संभाग की वह जनता भी परेशान है जिनके घर, गांव आदि नेशनल हाईवे से निकलने वाले लिंक मार्गों पर हैं। 

कारण स्पष्ट है। सुरक्षा के हौव्वे को खड़ा कर कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के लिए कश्मीरियों को रोडबंदी और रेलबंदी का सामना करना पड़ रहा है। प्रतिदिन 6 से 7 घंटों के लिए उन मार्गों पर नागरिक वाहनों के चलने पर पाबंदी लागू है जहां से अमरनाथ श्रद्धालुओं के जत्थे गुजर रहे हैं। ठीक इसी प्रकार रेल भी स्थगित की जा रही है। कुछ माह पूर्व भी कश्मीर में रोडबंदी हुई थी। तब इसे सप्ताह में दो दिन लागू किया गया था तो खूब हो हल्ला मचा था। अब तो इसे लगातार 46 दिनों के लिए इसलिए लागू किया गया है क्योंकि 15 अगस्त तक अमरनाथ यात्रा चलेगी। इस बार इस पर बवाल मचा हुआ है क्योंकि पांबदी के दौरान स्कूली छात्रों, एंबूलेंस आदि किसी को भी आने जाने की अनुमति नहीं मिल रही है।

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इस पांबदी से सिर्फ कश्मीरी नागरिक ही नहीं बल्कि जम्मू संभाग के लोग भी त्रस्त हैं। राज्य के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर काजीगुंड तक के नेशनल हाइवे के 400 किमी लंबे मार्ग के साथ जुड़ने वाले लिंक मार्गों से सटे कस्बों और गांवों को भी इस पाबंदी का शिकार होना पड़ रहा है। जानकारी के लिए यह पांबदी पूरी तरह से कर्फ्यू की तरह है जिसमें लिंक मार्गों को कांटेदार तारों से बंद करने के साथ ही सुरक्षाकर्मियों की तैनाती बख्तरबंद गाड़ियों के साथ ही जा रही है। हालांकि जम्मू संभाग की पांबदी में राहत इतनी है कि जत्थों के गुजरने के तुरंत बाद इन लिंक मार्गों को यातायात के लिए खोल दिया जा रहा है पर कश्मीर से गुजरने वाले राजमार्ग और लिंक मार्गों पर यह पाबंदी कभी कभी 12 घंटों तक चलने लगी है। नतीजतन कश्मीरियों की जिन्दगी दुश्वारियों से भरी हो चुकी है जिस कारण अब एक नए पलायन का भी जन्म होने लगा है।

खतरा भी बढ़ा है यात्रा पर 

सुरक्षाधिकारियों के मुताबिक, कश्मीर में आतंकी एक बार फिर से बड़ा हमला करने की फिराक में हैं। मिली जानकारी के मुताबिक आतंकी एक बार फिर से पुलवामा जैसा हमला दोहराने की कोशिश कर सकते हैं। इस बार भी आतंकी पुलवामा में ही सुरक्षाबलों पर आतंकी हमले करने की साजिश रच रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बार आतंकी आईईडी और स्नाइपर के जरिए अपने मंसूबे पूरे करने की कोशिश करेंगे। ऐसे में आज जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बद्रगुंड-काजीगुंड के बीच हाइवे पर कोई संदिग्ध वस्तु देखे जाने के बाद सेना ने यातायात अवरूद्ध कर जांच शुरू कर दी है। इसे इसी साजिश का हिस्सा माना जा रहा है। स्थानीय पुलिस व सेना ने क्षेत्र की घेराबंदी कर दी है और संदिग्ध वस्तु की जांच के लिए बम निरोधक दस्ते व डाग स्कवाड को भी बुला लिया गया है। हाइवे पर किस तरह की वस्तु पाई गई है अभी तक इस बारे में सुरक्षाकर्मियों ने कोई जानकारी नहीं दी है।

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पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार सुबह करीब 10.15 बजे स्थानीय लोगों से यह सूचना मिली कि बद्रगुंड-काजीगुंड हाइवे पर संदिग्ध वस्तु रखी हुई है। इसी मार्ग से सुबह अमरनाथ श्रद्धालुओं का जत्था भी निकलना था। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय पुलिस ने सुरक्षाबलों को भी सूचित कर दिया। कुछ ही समय में सुरक्षाबलों व पुलिस ने हाइवे पर वाहनों की आवाजाही रोक क्षेत्र की घेराबंदी कर दी है। मौके पर बम निरोधक दस्ता पहुंच गया है और उन्होंने संदिग्ध वस्तु की जांच शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि पाक परस्त आतंकी पुलवामा में सुरक्षा बलों पर हमले के लिए नेशनल हाईवे पर सुरक्षा बलों पर स्नाइपर गन से हमला सकते हैं। साथ ही आईईडी ब्लास्ट के जरिए भी सुरक्षाबलों पर हमले किया जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा बलों ने 6 से 8 पाकिस्तानी आतंकियों के प्लान का पता लगाया है। बताया जा रहा है कि उनकी इस टीम में एक स्नाइपर एक्सपर्ट भी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने कश्मीर में छुपकर रहने के लिए अपने नाम भी बदल लिए हैं। बताया जाता है कि आतंकी मारे गए आतंकी कमांडर बुरहान वानी की बरसी पर उसका बदला लेना चाहते हैं। सुरक्षा बलों ने तीन साल पहले 8 जुलाई 2016 को बुरहान वानी को मार गिराया था। पुलवामा में सुरक्षा बलों पर आतंकी हमले की खुफिया रिपोर्ट मिलने के बाद से सभी सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। और यात्रा स्‍थगित करने के चर्चे भी हिज्बुल मुजाहिदीन का आतंकी कमांडर बुरहान वानी मरने के बाद भी राज्य सरकार के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। परसों उसकी तीसरी बरसी है। बरसी को मनाने की घोषणा अलगाववादियों द्वारा की जा चुकी है। इसके लिए हड़ताली कैलेंडर भी जारी किया जा चुका है और सुरक्षाधिकारियों को इस दौरान कश्मीर में माहौल के हिंसामय होने की पूरी आशंका है और इस सबके बीच अमरनाथ यात्रा चिंता का कारण बनी हुई है। फिलहाल नागरिक प्रशासन इस दुविधा से जूझ रहा है कि क्या वह हड़ताली कैलेंडर के दिनों के लिए अमरनाथ यात्रा को स्थगित कर दे या फिर इसे जारी रखने का खतरा मोल ले ले।

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8 जुलाई से 13 जुलाई तक कश्मीर में हड़ताली कैलेंडर के तहत विरोध प्रदशनों की तैयारी अगर अलगाववादी खेमे की ओर से की जा रही है तो उससे निपटने को पुलिस व नागरिक प्रशासन भी कमर चुका है। स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में अघोषित अवकाश की सरकारी घोषणाएं हो चुकी हैं। अगर किसी पर फैसला नहीं हो पाया है तो वह अमरनाथ यात्रा है। 30 जून को इसकी शुरूआत हुई थी और यह निर्बाध रूप से जारी है। पर अब आशंका यह है कि 8 से 13 जुलाई के बीच इस पर खतरा भयानक तौर पर टूट सकता है। कारण स्पष्ट है। बुरहान की बरसी को लेकर जो भी प्रदर्शन और अन्य कार्यक्रम अलगाववादी नेताओं द्वारा घोषित किए गए हैं उन सभी का केंद्र अनंतनाग जिला है और यह भी याद रखने योग्य है कि अमरनाथ यात्रा भी अनंतनाग जिले से होकर गुजरती है और अनंतनाग जिल में ही यह संपन्न होती है।

वर्ष 2016 की 8 जुलाई को सुरक्षाबलों ने बुरहान वानी को ढेर कर दिया था तो अमरनाथ यात्रा ही पत्थरबाजों की सबसे अधिक शिकार हुई थी। हालांकि इस बार अभी तक अमरनाथ यात्रियों पर पथराव की कोई घटना सामने नहीं आई हैं क्योंकि सईद अली शाह गिलानी अमरनाथ यात्रियों को अपना मेहमान घोषित कर चुके हैं। पर हड़ताली कैलेंडर के दौरान पत्थरबाजों के तेवर कब बदल जाएं यह कहना मुश्किल है। ऐसे में प्रशासन कोई खतरा मोल लेने के पक्ष में नहीं है। नतीजतन उसने 8 जुलाई से 13 जुलाई तक अमरनाथ यात्रा के प्रति कोई भी फैसला लेने की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार पर डाल दी है। बताया जाता है कि इसके लिए राज्यपाल से भी सलाह मशविरा किया जा रहा है। वैसे अधिकारी अप्रत्यक्ष तौर यही कहते थे कि अमरनाथ यात्रा को कुछ दिनों के लिए रोका जाना ही बेहतर होगा और कोई खतरा मोल नहीं लिया जाना चाहिए। पर अधिकतर इसके पक्ष में नहीं थे क्योंकि उनका कहना था कि इसका गलत संदेश जाएगा।

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