आंखें खोल कर इंटरनेट की दुनिया में मारी डुबकी, खोज लाए आपके लिए आजाद भारत के पहले कुंभ की तस्वीरें...

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रेनू तिवारी । Jan 9 2019 1:08PM

भारत में महाकाल की आराधना बड़े स्तर पर होती हैं। महाकाल के आराधक को शिव भक्त कहा जाता हैं। शिव की भक्ती में लीन भक्त मकर संक्रांति पर लगने वाले कुंभ मेले में अधिक मात्रा में आते है।

'अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का, काल भी उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का" जय श्री महाकाल'

भारत में महाकाल की आराधना बड़े स्तर पर होती हैं। महाकाल के आराधक को शिव भक्त कहा जाता हैं। शिव की भक्ती में लीन भक्त मकर संक्रांति पर लगने वाले कुंभ मेले में अधिक मात्रा में आते है। इस पर्व केवल हिंदू भक्त ही नहीं बल्कि देश-दुनिया से लोग आते है और पवित्र नदी के जल में स्नान करते है। कुंभ पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। 2013 का कुम्भ प्रयाग में हुआ था। 2019 में प्रयाग में अर्धकुंभ मेले का आयोजन हुआ है। 

खगोल जानकारी के मुताबिक यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को "कुम्भ स्नान-योग" कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलकारी माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। यहाँ स्नान करना साक्षात् स्वर्ग दर्शन माना जाता है।

2019 में प्रयागराज में अर्ध-कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। कुम्भ की तैयारियां आखिरी चरण में पहुंच चुकी है। लेकिन आज हम आपको 2019 के अर्ध-कुंभ मेले के बारे में नहीं बल्कि आज़ादी के बाद सबसे पहली बार साल 1954 में आयोजित हुए कुंभ के मेले के बारें में बताऊंगी। हममे स्नान के लिए तो नहीं बल्कि इंटरनेट की सर्च की दुनियां में डुबकी मारी है और आपके लिए खोज के लाएं है सबसे पहले लगे कुंभ के मेले की यादगार तस्वीरें.... 

यहां देखें तस्वीरें-  आज़ाद भारत के पहले कुंभ को James Burke ने अपने कैमरे में बख़ूबी क़ैद किया था। 

‘अर्ध’ शब्द का अर्थ होता है आधा और इसी कारण बारह वर्षों के अंतराल में आयोजित होने वाले पूर्ण कुम्भ के बीच अर्थात पूर्ण कुम्भ के छ: वर्ष बाद अर्ध कुंभ आयोजित होता है।

पौराणिक विश्वास जो कुछ भी हो, ज्योतिषियों के अनुसार कुंभ का असाधारण महत्व बृहस्पति के कुंभ राशि में प्रवेश तथा सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ जुड़ा है।

ग्रहों की स्थिति हरिद्वार से बहती गंगा के किनारे पर स्थित हर की पौड़ी स्थान पर गंगा जल को औषधिकृत करती है तथा उन दिनों यह अमृतमय हो जाती है। यही कारण है ‍कि अपनी अंतरात्मा की शुद्धि हेतु पवित्र स्नान करने लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।

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