भारत को उठाना पड़ता है जंगलों की आग से 1100 करोड़ का सालाना नुकसान

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[email protected] । Oct 9 2018 6:28PM

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा. हर्षवर्धन ने मंगलवार को यह रिपोर्ट जारी करते हुये जंगलों में आग की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिये विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्रालय के साथ व्यापक तकनीकी सहयोग कायम करने की जरूरत पर बल दिया।

नई दिल्ली। भारत के 647 जिलों में से हर साल लगभग आधे जिलों में जंगल में आग लगने की घटनायें होती हैं और इनसे देश को सालाना 1101 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। भारत के जंगलों में आग की घटनाओं पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और विश्व बैंक की साझा अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा. हर्षवर्धन ने मंगलवार को यह रिपोर्ट जारी करते हुये जंगलों में आग की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिये विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्रालय के साथ व्यापक तकनीकी सहयोग कायम करने की जरूरत पर बल दिया। 

हर्षवर्धन ने देश के 70 प्रतिशत वनक्षेत्र आग के खतरे के दायरे में होने पर चिंता व्यक्त करते हुये इस स्थिति से निपटने के लिये रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने के लिये मंत्रालय से पुख्ता कार्ययोजना बनाने को कहा है। जिससे इन घटनाओं में प्रभावी रूप से कमी लायी जा सके। रिपोर्ट के अनुसार साल 2003 से 2016 के बीच देश के 20 जिलों में जंगल में आग लगने की 44 प्रतिशत घटनायें हुईं। इनमें सर्वाधिक घटनायें पूर्वोत्तर राज्यों में दर्ज की गयी। 

रिपोर्ट में जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने के लिये जनभागीदार सुनिश्चित करने वाली दीर्घकालिक कार्ययोजना बनाने की सिफारिश की गयी है। इन घटनाओं को रोकने के लिये सरकार की मौजूदा नीति में स्पष्ट रणनीति के अभाव का जिक्र करते हुये रिपोर्ट में केन्द्र और राज्य सरकारों के स्तर पर इसके लिये पर्याप्त वित्तीय प्रावधान करने, तकनीकी सहयोग बढ़ाने और वनक्षेत्रों में रहने वाले समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने की सिफारिश की है। 

रिपोर्ट में हालांकि जंगलों में आग की यथाशीघ्र जानकारी हासिल करने में उपग्रह की मदद का बेहतर इस्तेमाल करने को सराहनीय प्रयास बताया है। इसमें कहा गया है कि उपग्रह की मदद से जंगल की आग की सटीक जानकारी हासिल करने के मामले में भारत अग्रणी देश बन कर उभरा है। इसका पहला सफल प्रयोग मध्य प्रदेश में किया गया था।

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