अब अपनी कदकाठी के नाप के कपड़े पहनेंगे भारतीय

Indians will now wear clothes of their stomach
[email protected] । Mar 11 2018 12:58PM

सिलेसिलाए कपड़ों के साइज को लेकर आम लोगों की दिक्कत जल्द ही दूर होने की उम्मीद है। सरकार ने भारतीयों की कदकाठी के हिसाब से मानक साइज चार्ट बनाने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी है।

नयी दिल्ली। सिलेसिलाए कपड़ों के साइज को लेकर आम लोगों की दिक्कत जल्द ही दूर होने की उम्मीद है। सरकार ने भारतीयों की कदकाठी के हिसाब से मानक साइज चार्ट बनाने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी है। इस पहल का उद्देश्य एक तरह से अमेरिका, ब्रिटेन व यूरोप के चार्ट पर निर्भरता को खत्म करना भी है। दुनिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी इस पहल से कपड़ा उद्योग व आम लोगों ​विशेष रूप से महिलाओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है जो आमतौर पर खुद के साथ साथ सारे परिवार के लिए कपड़ों की खरीदारी करती हैं। दरअसल राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) राष्ट्रीय आकार सर्वे ‘इंडिया साइज’ कर रहा है। इसके तहत देश भर में 25,000 व्यक्तियों की कदकाठी का माप किया जाएगा। इसके आधार पर समूचे वस्त्र, परिधान उद्योग के लिए एक मानक साइज चार्ट तैयार किया जाएगा। निफ्ट की निदेशक वंदना नारंग ने कहा कि भारत सरकार की मंजूरी से शुरू की जा रही इस परियोजना की लागत 30 करोड़ रुपये है। इस अध्ययन के परिणाम 2021 तक आने की उम्मीद है और तैयार मानक साइज चार्ट को दो साल में कार्यान्वित किया जाएगा।

इस अध्ययन के तहत देश को छह क्षेत्रों में बांटते हुए छह शहरों कोलकाता, मुंबई, नयी दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु व शिलांग में 25,000 महिला व पुरुषों की कदकाठी का वैज्ञानिक आधार पर मापन किया जाएगा। नारंग ने कहा कि किसी भी देश में यह अपनी तरह का सबसे बड़ा सर्वे है। इसमें 3 डी समूची बाडी स्कैनर का इस्तेमाल किया जाएगा और 15 से 65 वर्ष आयुवर्ग के व्यक्ति इसमें शामिल होंगे। प्रमुख वस्त्र ब्रांड रेमंड लिमिटेड के अध्यक्ष (परिधान) गौरव महाजन ने उम्मीद जताई है कि इस पहल से ग्राहकों व वस्त्र उद्योग को काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि मानक साइज चार्ट नहीं होने से न केवल कंपनियों बल्कि उपभोक्ताओं को भी बड़ी परेशानी होती है। भारत में इस समय बिकने वाले ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के कपड़े यूरोप, ब्रिटेन या अमेरिकी साइज चार्ट के हिसाब से होते हैं। महाजन के अनुसार भारतीयों व यूरोपीय व अमेरिकी लोगों की कदम काठी, डीलडौल में काफी अंतर है। यही कारण है कि प्राय: कपड़ों पर लिखे साइज और भारतीय ग्राहक की वास्तविक कदकाठी में मेल नहीं होता।

निफ्ट का कहना है कि देश में सिलेसिलाए वस्त्रों को लौटाए जाने का एक बड़ा कारण फिटिंग है। एक अनुमान के अनुसार कुल बिके वस्त्रों व परिधानों में से 20-40 प्रतिशत कपड़े मुख्य रूप से साइज की दिक्कत के चलते रिटर्न हो जाते हैं। यह प्रतिशत ईकामर्स कंपनियों के आने के बाद बढ़ा है। महाजन ने उम्मीद जताई कि भारतीय परिधानों, वस्त्रों के लिए इस तरह का मानक साइज चार्ट बहुत मददगार साबित होगा। इससे जहां देश विदेशी में भारतीय माप के हिसाब से बेहतर फिटिंग वाले परिधान उपलब्ध होंगे, ग्राहकों का संतुष्टि स्तर बढ़ेगा वहीं उद्योग जगत को रिटर्न आदि मद में होने वाले नुकसान से निजात मिलेगी। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी व चीन सहित दर्जन से अधिक देश अपने देशवासियों की कदकाठी के हिसाब से साइज चार्ज पहले ही तैयार कर चुके हैं। भारत का वस्त्र व परिधान उद्योग 2021 तक 123 अरब डालर होने की उम्मीद है और यह परिधान निर्यात में पांचवें पायदान पर है।

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