Lockdown के 33वें दिन 24 घंटे में लगभग 2000 मामले बढ़ने से सबकी चिंता बढ़ी

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति में सुधार हो रहा है और इसके परिणामस्वरूप ही देश में संक्रमण से प्रभावित हॉटस्पॉट जिलों के रूप में चिन्हित किये गये क्षेत्र अब सामान्य स्थिति की ओर अग्रसर हैं।

कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि के एक महीने से अधिक समय बाद गायिका कनिका कपूर ने रविवार को अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि उनकी यात्राओं की समय सारिणी के संबंध में ‘‘कई गलत जानकारियां फैलाई’’ गईं। कनिका को 20 मार्च को संक्रमित पाए जाने के बाद कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच ब्रिटेन से देश लौटने के बावजूद स्वयं को पृथक-वास में नहीं रखने और लापरवाही बरतने को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। कनिका ने लखनऊ में कम से कम तीन समारोहों में भाग लिया था जिनमें से एक पार्टी में भाजपा की वरिष्ठ नेता एवं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत सिंह भी शामिल हुए थे। इसके बाद गायिका के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने लापरवाही बरतने और ऐसे कृत्य करने का मामला दर्ज किया गया जिससे संक्रमण फैलने की आशंका थी। गायिका ने अपने बयान में कहा कि वह उनमें संक्रमण का पता लगने के संबंध में सामने आई ‘‘कई कहानियों’’ से अवगत हैं लेकिन ‘‘किसी व्यक्ति को नकारात्मक टिप्पणियों के साथ निशाना बनाए जाने से वास्तविकता नहीं बदलती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि इनमें से कुछ कहानियों को मेरे अभी तक चुप रहने के कारण और बल मिला। मैं इसलिए चुप नहीं थी, क्योंकि मैं गलत हूं। मैं इस बात से पूरी तरह अवगत हूं कि मेरे मामले में कुछ गलतफहमियां हुईं और गलत जानकारियां फैलाई गईं। मैं समय दे रही थी ताकि सच सामने आए और लोगों को इसका एहसास हो।’’ कनिका ने कहा कि उनके मामले में कुछ तथ्यों को वह स्पष्ट करना चाहती हैं कि वह ब्रिटेन, मुंबई या लखनऊ में जिस भी व्यक्ति के संपर्क में आईं, उनमें से किसी व्यक्ति में संक्रमण के ‘‘कोई लक्षण नहीं दिखे हैं, बल्कि उनकी जांच में उनमें संक्रमण नहीं होने की पुष्टि हुई है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं 10 मार्च को ब्रिटेन से मुंबई आई और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मेरी पूरी जांच हुई। उस दिन तक इस बारे में कोई परामर्श जारी नहीं किया गया था कि मुझे स्वयं को पृथक-वास में रखने की आवश्यकता है। (ब्रिटेन का यात्रा परामर्श 18 मार्च को जारी हुआ था।) मुझमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे, इसलिए मैंने स्वयं को पृथक-वास में नहीं रखा।’’ गायिका ने कहा कि वह अपने परिवार से मिलने 11 मार्च को लखनऊ गईं और उन्होंने दावा किया कि ‘‘घरेलू उड़ानों के लिए जांच की कोई व्यवस्था नहीं थी।'' कनिका ने कहा कि 14 और 15 मार्च को उन्होंने एक मित्र के यहां दोपहर और रात का भोजन किया। उन्होंने स्पष्ट किया, ''मैंने कोई पार्टी आयोजित नहीं की थी और मैं एकदम स्वस्थ थी।’’ उन्होंने कहा कि उनमें 17 और 18 मार्च को बीमारी के लक्षण दिखने शुरू हुए और उन्होंने 19 मार्च को जांच कराई। कनिका ने कहा, ‘‘20 मार्च को जब मुझे संक्रमित होने के संबंध में बताया गया तो मैंने अस्पताल जाने का फैसला किया। मुझे तीन बार जांच में संक्रमण नहीं होने की पुष्टि के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और इसके बाद से मैं 21 दिन के लिए घर में पृथक-वास में थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन चिकित्सकों और नर्सों का विशेष रूप से धन्यवाद करना चाहती हूं, जिन्होंने भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण समय में मेरा पूरा ध्यान रखा।’’

कोविड-19 से हुई 826 की मौत

देश में कोविड-19 संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर रविवार को 826 हो गई, वहीं संक्रमण के कुल मामले 26,917 हो गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय द्वारा शनिवार शाम को जारी किए गए ताजा आंकड़ों के बाद से अब तक 47 लोगों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हो चुकी है, वहीं इस अवधि में संक्रमण के कुल 1,975 नये मामले सामने आए हैं। मंत्रालय ने कहा कि देश में कोविड-19 से संक्रमित 20,177 मरीजों का इलाज चल रहा है, वहीं 5,913 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से छुट्टी दी जा चुकी है। एक रोगी देश छोड़कर जा चुका है। स्वस्थ होने वाले मरीजों का प्रतिशत 21.96 हो गया है। संक्रमण के कुल मामलों में 111 विदेशी नागरिक भी हैं। एक दिन में मौत के 45 मामलों में महाराष्ट्र में 22, राजस्थान में आठ, मध्य प्रदेश में सात, गुजरात में छह और दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर तथा तमिलनाडु से एक-एक व्यक्ति की मौत हुई। अब तक मौत के कुल 824 मामलों में सर्वाधिक महाराष्ट्र से आए हैं जिनकी संख्या 323 है, इसके बाद गुजरात से 133, मध्य प्रदेश से 99, दिल्ली से 54, राजस्थान से 33 और आंध्र प्रदेश से 31 रोगियों की मौत के मामले आए हैं। मंत्रालय ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 27 लोगों की मौत हुई, तेलंगाना में 26 लोगों की, तमिलनाडु में 23 की और कर्नाटक तथा पश्चिम बंगाल में 18-18 लोगों की मौत हुई। कोविड-19 के कारण पंजाब में 17 लोगों की मौत हुई, जम्मू-कश्मीर में छह लोगों की, केरल में चार लोगों की, झारखंड और हरियाणा में तीन-तीन लोगों की मौत हुई। बिहार में दो लोगों की मौत हुई। मेघालय, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक संक्रमण के सर्वाधिक 7,628 मामले महाराष्ट्र से, 3,071 मामले गुजरात से, दिल्ली से 2,625 मामले, राजस्थान से 2,083 मामले और मध्य प्रदेश से 2,096 तथा उत्तर प्रदेश से 1,843 मामले सामने आए। इसके अलावा तमिलनाडु में मरीजों की संख्या बढ़कर 1821, आंध्र प्रदेश में 1097 और तेलंगाना में 991 हो गयी है। जबकि पश्चिम बंगाल में 611, कर्नाटक में 501, जम्मू कश्मीर में 494, केरल में 458, पंजाब में 298 और हरियाणा में 289 में मरीज हो गये है। बिहार में मरीजों की संख्या 251, ओडिशा में 103, झारखंड में 67, उत्तराखंड में 50, हिमाचल प्रदेश में 40, छत्तीसगढ़ में 37, असम में 36, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 33, लद्दाख में 20, मेघालय में 12, गोवा और पुडुचेरी में सात सात, मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो तथा मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक मरीज है।

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भेदभाव बिना सबकी मदद करें

देश में कोरोना वायरस के संकट के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत के हितों की विरोधी ऐसी ताकतों के खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है जो स्थिति का फायदा उठाना चाहती हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संकट की इस घड़ी में प्रभावित सभी लोगों की मदद भेदभाव के बिना की जानी चाहिए और देश के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम किया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के कार्यकर्ताओं के नाम ऑनलाइन संबोधन में कहा, ‘‘हमें धैर्य और शांति से काम करना होगा। कोई भय या गुस्सा नहीं होना चाहिए क्योंकि भारत विरोधी मनोवृत्ति रखनेवाले लोग इसका इस्तेमाल देश के खिलाफ कर सकते हैं।’’ संघ प्रमुख ने संभवत: तबलीगी जमात के लोगों से जुड़ी घटनाओं के संदर्भ में कहा कि यदि किसी ने कुछ गलत किया है तो हर किसी को अपराधी न मानें। कुछ लोग इसका दुरुपयोग करना चाहते हैं। भागवत ने संघ कार्यकर्ताओं से बिना भेदभाव लोगों की सेवा करने को कहा। उन्होंने कहा कि जिन्हें भी सहायता की आवश्कता है, ‘‘वे हमारे अपने हैं।’’ आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘संकट की इस घड़ी में सहायता करना हमारा दायित्व है। सभी 130 करोड़ भारतीय अपने हैं।’’ यह उल्लेख करते हुए कि राहत गतिविधियों के रूप में आरएसएस लॉकडाउन के दौरान सक्रिय है, भागवत ने कहा, ‘‘इस महामारी का खतरा पूरी तरह खत्म होने तक हमें राहत कार्य जारी रखने चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि भारत ने इस महामारी का सामना प्रभावी ढंग से किया है क्योंकि सरकार और लोगों ने आगे बढ़कर काम किया है। संघ प्रमुख ने कहा कि विकास का नया मॉडल होना चाहिए जो भारत को आत्मनिर्भर बनाए। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक संभव हो, लोगों को स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए।’’

लॉकडाउन समाप्त होने के बाद होगा निर्णय

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि राज्य में लागू पाबंदियों में ढील देने का निर्णय तीन मई को देशव्यापी लॉकडाउन समाप्त होने पर स्थिति की समीक्षा करने के बाद लिया जाएगा। राज्य में कोरोना वायरस की स्थिति को लेकर टेलीविजन पर अपने संबोधन में उन्होंने ये विचार रखे। ठाकरे ने कहा, “तीन मई तक बढ़ाए गए लॉकडाउन की स्थिति की समीक्षा अगले सप्ताह की जाएगी। उसके बाद हम लॉकडाउन में ढील देने के कदम पर निर्णय लेंगे।” ठाकरे ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी उनके कथन के लिए धन्यवाद दिया, जिसमें गडकरी ने कहा था कि किसी भी प्रकार की राजनीति करने का यह सही समय नहीं है। ठाकरे ने कहा, “गडकरी जी ने परोक्ष रूप से कहा कि कुछ लोग गंदी राजनीति कर रहे हैं। इसके लिए उनका लाख बार धन्यवाद। सभी लोगों से मुझे समर्थन देने को कहने के लिए उनका धन्यवाद। कोरोना वायरस के विरुद्ध लड़ाई में आपने लोगों से मेरा समर्थन करने को कहा।” इससे पहले राज्य में कोरोना वायरस से उपजी स्थिति को लेकर भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महा विकास आघाडी सरकार की आलोचना की थी।

सीआरपीएफ के 15 कर्मी संक्रमित

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के दिल्ली स्थित बटालियन में तैनात 15 कर्मी कोविड-19 से संक्रमित पाये गए हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये जवान सीआरपीएफ की 31वीं बटालियन के हैं जिसके नौ कर्मी बृहस्पतिवार को कोविड-19 से संक्रमित पाये गए थे। इन ताजा मामलों के साथ इस इकाई में संक्रमित कर्मियों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है। अधिकारी ने कहा कि मरीजों को पृथक कर दिया है और उन्हें यहां मंडावली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने कहा कि इकाई के करीब 12 और कर्मियों के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं और उनकी जांच रिपोर्ट का इंतजार है। अधिकारी ने कहा कि इस इकाई के कर्मियों की जांच तब करायी गई जब पिछले सप्ताह बटालियन जाने वाला एक हेड कान्स्टेबल जांच में कोविड-19 से संक्रमित पाया गया। हेड कान्स्टेबल नर्सिंग कर्मी के तौर पर कार्यरत है और जम्मू- कश्मीर के कुपवाड़ा में तैनात 162वीं बटालियन का हिस्सा है। वह छुट्टी पर नोएडा आया हुआ था। जवान से जांच के लिए 31वीं बटालियन जाने के लिए कहा गया था और वह 21 अप्रैल को कोविड-19 से संक्रमित पाया गया था।

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जनता लड़ रही है कोरोना के खिलाफ जंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ भारत में जारी जंग को पूरी तरह से जनता द्वारा, जनता के नेतृत्व में लड़ी जा रही लड़ाई बताते हुये देशवासियों को आगाह भी किया कि कुछ इलाकों को संक्रमण मुक्त बनाने में मिली सफलता के बाद अति आत्मविश्वास में न आयें, क्योंकि जरा सी भी लापरवाही बेहद घातक साबित हो सकती है। मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम भाग्यशाली हैं कि, आज, पूरा देश, देश का हर नागरिक, जन-जन, इस लड़ाई का सिपाही है, लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। आप कहीं भी नज़र डालिये, आपको एहसास हो जायेगा कि भारत की लड़ाई जनता द्वारा लड़ी जा रही (पीपुल ड्रिवेन) है।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में समाज के सभी वर्गों के योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक दूसरे की मदद के लिये हर जगह लोग आगे आ रहे हैं। उन्होंने इस अभियान में कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने में मिली शुरुआती कामयाबी का जिक्र करते हुये देशवासियों को अति आत्मविश्वास में आने से बचने के प्रति आगाह भी किया। उन्होंने पूरी सतर्कता बरतने की जरूरत पर बल देते हुये कहा, ‘‘हमारे यहां कहा भी गया है कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी।’’ मोदी ने अक्षय तृतीया पर्व और रमजान के पवित्र माह की शुरुआत का उल्लेख करते हुये संकट के दौर में सभी वर्गों के लोगों द्वारा अपने पर्व घरों में ही मनाने का आह्वान किया। उन्होंने इससे पहले ईसाइयों के पर्व ईस्टर सहित अन्य त्योहार घरों में ही मनाने के लिये सभी धर्मों के मतावलंबियों की प्रशंसा करते हुये देशवासियों से रमजान के पवित्र माह में दुनिया को इस महामारी से मुक्ति दिलाने की दुआयें करने का आह्वान किया। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान इस संक्रमण के खिलाफ जनभावनाओं को समेकित करने के लिये ताली, थाली बजाने और दीया मोमबत्ती जलाने के अभियान को मददगार बताया। मोदी ने कहा, ‘‘इन गतिविधियों ने जनभावनाओं को जज्बे में तब्दील कर दिया।’’ उन्होंने कहा कि हर गांव और शहर में लोगों ने कोरोना के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। मोदी ने कहा, ‘‘महामारी के बीच किसान खेतों में मेहनत कर रहे हैं, शहरों में कोई किराया माफ कर रहा है, कोई अपनी पुरस्कार राशि पीएम केयर फंड में दान कर रहा है, कहीं मजदूर जिस स्कूल में क्वारंटाइन में हैं, उस स्कूल की रंगाई-पुताई कर रहे हैं।’’ मोदी ने कहा कि यह सेवाभाव ही कोरोना के खिलाफ भारत को ताकत दे रहा है और इस लड़ाई को जनता के नेतृत्व वाली लड़ाई में तब्दील कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की जन भावनाओं को वह आदरपूर्वक नमन करते हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में लॉकडाउन के कारण बीच रास्ते में फंसे प्रवासी मजदूरों ने पृथक-वास के दौरान राजस्थान के सीकर जिले के पलासाना कस्बे के दो सरकारी स्कूलों का रंगरोगन कर उनकी सूरत बदल दी थी। मोदी ने स्कूल व जगह का नाम लिए बिना कहा ,‘‘कोई मास्क बना रहा है, कहीं हमारे मजदूर भाई-बहन पृथक-वास में रहते हुए, जिस स्कूल में रह रहे हैं, उसकी रंगाई-पुताई कर रहे हैं।’’ कोरोना संकट के बाद की स्थिति का उल्लेख करते हुये मोदी कहा, ‘‘जब पूरा विश्व इस महामारी के संकट से जूझ रहा है। भविष्य में जब इसकी चर्चा होगी, उसके तौर-तरीकों की चर्चा होगी, मुझे विश्वास है कि भारत की यह ‘पीपुल ड्रिवेन’ लड़ाई, इसकी ज़रुर चर्चा होगी।’’ इस दौरान मोदी ने इस लड़ाई में कोविड वॉरियर बनने के लिये सरकार द्वारा शुरु किये गए नये प्लेटफार्म का जिक्र करते हुये कहा कि ‘‘कोविड वॉरियर डॉट जीओवी डॉट इन’’ नामक इस पोर्टल पर अब तक लगभग 1.25 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिये डॉक्टर, नर्स, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), आशा कर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता तथा अनगिनत वॉलेंटियर सेवा भाव के साथ आगे आ रहे हैं। उन्होंने देशवासियों से ‘कोविड वॉरियर’ बनने की अपील करते हुये इस पोर्टल से जुड़ने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये हाल ही में जारी अध्यादेश को जरूरी कदम बताते हुये कहा, ‘‘देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों ने, अभी हाल ही में जो अध्यादेश लाया गया है, उस पर अपना संतोष व्यक्त किया है। इस अध्यादेश में, कोरोना योद्धाओं के साथ हिंसा, उत्पीड़न और उन्हें किसी रूप में चोट पहुचाने वालों के खिलाफ़ बेहद सख्त़ सज़ा का प्रावधान किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि डॉक्टर, नर्स और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मी सहित ऐसे सभी लोग, जो देश को ‘कोरोना-मुक्त’ बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं, उनकी रक्षा करने के लिए ये कदम बहुत ज़रुरी था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बीमारी ने विभिन्न क्षेत्रों में समाज की सोच को भी बदला है। उन्होंने कहा कि भले ही कारोबार हो, कार्यालय की संस्कृति हो, शिक्षा हो या चिकित्सा क्षेत्र हो, हर कोई कोरोना वायरस महामारी के बाद की दुनिया में बदलावों के अनुरूप खुद को ढाल रहा है। मोदी ने कहा, ‘‘हर लड़ाई कुछ सबक देती है और नयी मंजिल की दिशा भी प्रदान करती है। इसी का नतीजा है कि भारत नयी संकल्प शक्ति के साथ नये तकनीकी बदलावों की ओर ‘टीम भावना’ से आगे बढ़ रहा है। इसमें हर इनोवेटर कुछ नया बना रहा है।’’ इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ राज्य सरकारों के योगदान की भी सराहना की और कहा कि उन्होंने इस अभियान में बेहद सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने केन्द्र, राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल की सराहना करते हुये कहा कि डाक विभाग से लेकर उड्ययन और रेल मंत्रालय सहित अन्य संबद्ध महकमे राहत एवं चिकित्सा सामग्री को देश के कोने-कोने में जरुरतमंद लोगों तक पहुंचा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने संकट की इस घड़ी में कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिये जरूरतमंद देशों को दवाइयों की आपूर्ति करने के फैसले को मुसीबत में दूसरों का भी साथ देने की भारत की संस्कृति और मूल चरित्र पर आधारित बताया। मोदी ने कहा, ‘‘भारत ने अपने संस्कारों और सोच के अनुरूप, हमारी संस्कृति का निर्वहन करते हुए कुछ फ़ैसले लिए हैं। संकट की इस घड़ी में, दुनिया के लिए भी, समृद्ध देशों के लिए भी, दवाइयों का संकट बहुत ज्यादा रहा है। यह ऐसा समय है कि अगर भारत दुनिया को दवाइयां न भी देता, तो कोई भारत को दोषी नहीं मानता। हर देश समझ रहा है कि भारत के लिए भी उसकी प्राथमिकता अपने नागरिकों का जीवन बचाना है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने भारत की आवश्यकताओं के लिए जो करना था, उसका प्रयास तो बढ़ाया ही, लेकिन, दुनिया-भर से आ रही मानवता की रक्षा की पुकार पर भी, पूरा-पूरा ध्यान दिया। हमने विश्व के हर जरूरतमंद तक दवाइयों को पहुँचाने का बीड़ा उठाया और मानवता के इस काम को करके दिखाया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज जब मेरी अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों से फ़ोन पर बात होती है तो वो भारत की जनता का आभार जरूर व्यक्त करते हैं। जब वे लोग कहते हैं, ‘‘थैंक्यू इंडिया, थैंक्यू पीपुल ऑफ इंडिया’’ तो देश के लिए गर्व और बढ़ जाता है।’’ उन्होंने कोरोना संकट के दौरान भारत के आयुर्वेद को दुनिया भर में स्वीकार किये जाने का जिक्र करते हुये देश के युवाओं से आयुर्वेद के सिद्धांतों की वैज्ञानिक व्याख्या कर विश्व को इससे अवगत कराने का आह्वान किया। मोदी ने कहा, ‘‘इस समय दुनिया-भर में भारत के आयुर्वेद और योग के महत्व को भी लोग बड़े विशिष्ट-भाव से देख रहे हैं। हर तरफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए, किस तरह से, भारत के आयुर्वेद और योग की चर्चा हो रही है।’’ प्रधानमंत्री ने अपने ही देश में पारंपरिक ज्ञान को नकारने पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने इस सोच के लिये सैकड़ों वर्षों की गुलामी को मुख्य वजह बताते हुये कहा, ‘‘हम अपने देश के पारम्परिक सिद्दांतों को, शोध परक साक्ष्यों के आधार पर, आगे बढ़ाने के बजाय उसे छोड़ देते हैं, उसे हीन समझने लगते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत की युवा-पीढ़ी को, अब इस चुनौती को स्वीकार करना होगा। जैसे, विश्व ने योग को सहर्ष स्वीकार किया है, वैसे ही, हजारों वर्ष पुराने, हमारे आयुर्वेद के सिद्दांतों को भी विश्व अवश्य स्वीकार करेगा। इसके लिए युवा-पीढ़ी को संकल्प लेना होगा और दुनिया जिस भाषा में समझती है, उस वैज्ञानिक भाषा में हमें समझाना होगा।’’ प्रधानमंत्री ने देशवासियों से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये आयुष मंत्रालय द्वारा जारी प्रोटोकॉल का प्रयोग करने की अपील की। इस दौरान मोदी ने कोविड-19 के संक्रमण के खतरे के मद्देनजर देशवासियों से सार्वजनिक स्थलों पर थूकने की आदत को हमेशा के लिये खत्म करने का भी आह्वान किया। मोदी ने कहा, ‘‘हमारे समाज में एक और बड़ी जागरूकता ये आयी है कि अब सभी लोग ये समझ रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के क्या नुकसान हो सकते हैं। यहाँ-वहाँ, कहीं पर भी थूक देना, गलत आदतों का हिस्सा बना हुआ था। ये स्वच्छता और स्वास्थ्य को गंभीर चुनौती भी देता था।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वैसे तो हमेशा से ही हम इस समस्या को जानते रहे हैं, लेकिन, ये समस्या, समाज से समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब वो समय आ गया है कि इस बुरी आदत को, हमेशा हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया जाए।’’ प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट के कारण समाज और लोगों की सोच में कई तरह के सकारात्मक बदलाव आने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा ‘‘कोरोना के कारण कई सकारात्मक बदलाव, हमारे काम करने के तरीके, हमारी जीवन-शैली और हमारी आदतों में भी स्वाभाविक रूप से अपनी जगह बना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस संकट ने हमारी समझ और हमारी चेतना को जागृत किया है। जो असर, हमें अपने आस-पास देखने को मिल रहे हैं, इनमें सबसे पहला है मास्क पहनना और अपने चेहरे को ढंककर रखना।’’ उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से बदले हालत में, मास्क जीवन का हिस्सा बन रहा है और अब यह सभ्य-समाज का प्रतीक बन जायेगा। उन्होंने कहा कि अगर, बीमारी से खुद को और दूसरों को भी बचाना है, तो, मास्क लगाना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने समाज की सोच में आये बदलाव का उल्लेख करते हुये कहा कि कोरोना संकट ने पुलिसकर्मियों से लेकर सामान्य मजदूरों तक विभिन्न वर्गों और कार्यों के प्रति समाज में लोगों के सामान्य नजरिये को बदलने का भी अवसर प्रदान किया है। मोदी ने कहा कि ऑटो चालक हों, दुकानों में काम करने वाले कामगार हों, मंडी के मजदूर हों या सफाई कर्मी, इन तमाम लोगों की अहमियत को हम सब संकट की इस घड़ी में महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब लोग इन सभी लोगों के बारे में सोशल मीडिया सहित अन्य मंचों पर इनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुये लिख कर अपने भाव व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा है कि शहरों में लोग सफाई कर्मियों पर पुष्प वर्षा कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि पहले इनकी सेवाओं को सामान्य मानकर इस प्रकार से भाव प्रकट नहीं किये जाते थे लेकिन संकट काल में इनकी सेवाओं से अभिभूत होकर ही समाज के नजरिये में बदलाव आया है। मोदी ने देश भर में पुलिस कर्मियों के प्रति भी इस दौरान लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आने का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस व्यवस्था को लेकर भी आम सोच बदली है। पहले पुलिस के प्रति लोगों की सामान्य तौर पर नकारात्मक सोच थी।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज पुलिस हर किसी की मदद के लिये आगे आ रही है। इससे पुलिस का मानवीय और संवेदनशील पक्ष उभरा है। इस कारण से हमें पुलिस के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने का मौका मिला है।’’ उन्होंने कहा कि ये घटनायें आने वाले समय में समाज में सकारात्मक बदलाव लायेंगी। प्रधानमंत्री ने आगाह भी किया कि ‘‘इन घटनाओं को हमें नकारात्मकता के रंग से नहीं रंगना है।’’ उन्होंने उम्मीद जतायी कि अगली ‘मन की बात’ जब हम करेंगे तब कोरोना संकट से मुक्ति मिलने की चर्चा हो सकेगी। गौरतलब है कि देश में कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर रविवार को 824 हो गई, वहीं संक्रमण के कुल मामले 26,496 हो गए हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से अति आत्मविश्वास में आने से बचने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘इस महामारी के बीच आपके परिवार के सदस्य के नाते मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं। हम इस अति आत्मविश्वास में न पड़ जायें कि हमारे घर, गली, मुहल्ले या दफ्तर में कोरोना नहीं पहुंचा है तो आगे भी यह नहीं पहुंचेगा। उन्होंने आगाह किया कि ‘‘हल्के में लेकर छोड़ दी गयी आग, कर्ज और बीमारी, मौका पाकर खतरनाक हो जाते हैं। इसलिये इनका पूरा इलाज जरूरी है।’’ उन्होंने ‘दो गज दूरी’ बनाये रखने का आह्वान दोहराते हुये कहा, ‘‘अति उत्साह में कोई लापरवाही न हो। दो गज दूरी, बहुत है जरूरी। ऐसी कोई भूल बिल्कुल न करें, जिससे बीमारी को लौटने का मौका मिले। हमारे यहां कहा भी गया है कि ‘सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी।’’

संक्रमित मरीज की तस्वीर व्हाट्एप्प पर डाली, गिरफ्तार

कर्नाटक के विजयपुरा जिले में व्हाट्सएप स्टेटस पर अपमानजनक संदेश के साथ कोरोना वारयस से संक्रमित महिला मरीज की तस्वीर पोस्ट करने के आरोप में 24 साल के एक युवक को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि अनिल राठौड़ ने शनिवार को छात्रा की तस्वीर स्टेटस पर पोस्ट की और शीर्षक दिया कि ''बुरी खबर छात्रा हुई संक्रमित"। पुलिस ने एक बयान में बताया कि मरीज की तस्वीर अपने व्हाट्सएप्प स्टेटस पर लगाकर उसने लोगों में दहशत फैलाने की कोशिश की और उसका फोटो वायरल कर जानबूझकर उसकी मानहानि की। पुलिस ने बताया कि यह कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की पहचान उजागर करने का अपराध है। राठौड़ के खिलाफ अफवाह और दहशत फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

जुलाई के अंत तक घर से काम करना पड़ सकता है

हरियाणा के गुरुग्राम स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनियों, बीपीओ और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों को अपने कर्मचारियों को जुलाई के अंत तक घर से काम करने की अनुमति देनी चाहिए। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्याधिकारी वीएस कुंडू ने यह बात कही। कुंडू ने कहा कि डीएलएफ सहित कई भूमि-भवन संपदा परियाजनाओं को निर्माण शुरू करने की मंजूरी दे दी गई है, लेकिन उन्हें भौतिक दूरी के नियमों के दायरे में काम करना होगा। वह हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव भी हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गुरुग्राम को मिलेनियम सिटी कहा जाता है और यहां इन्फोसिस, जेनपैक्ट, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट सहित अनेक बहुराष्ट्रीय और सूचना-प्रौद्योगिकी कंपनियां तथा बीपीओ कार्यालय हैं। गुरुग्राम जिला प्रशासन ने मार्च के मध्य में परामर्श जारी कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों, बीपीओ कार्यालयों, आईटी कंपनियों, कॉरपोरेट और उद्योगों से कहा था कि वे अपने कर्मचारियों को घर से काम करने दें। कुंडू ने कहा, ‘‘अभी ऐसा प्रतीत होता है कि घर से काम करने का यह परामर्श जुलाई के अंत तक जारी रहेगा। उन सभी को, जिनके कार्यालय गुरुग्राम में हैं, जहां तक संभव हो, घर से ही काम करना जारी रखना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि यह उद्योगों और विनिर्माण क्षेत्र के मामले में संभव नहीं है, लेकिन जहां भी संभव है, वहां इसका पालन किया जाना चाहिए। कुंडू ने कहा कि गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण परियोजनाओं को भौतिक दूरी के नियम के दायरे में कुछ निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति दे दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे निर्माण स्थलों को भौतिक दूरी के नियम के दायरे में काम शुरू करने की अनुमति दे दी गई है जहां मजदूर स्थल पर पहले से ही ठहरे हुए हैं और उनको भी, जहां मजदूर पास में ही रहते हैं।’’ अधिकारी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की प्रकृति ऐसी है कि कोई नहीं जानता कि ‘‘हम कब पहले जैसी सामान्य स्थिति में लौटेंगे।’’ कॉरपोरेट हब होने के साथ ही गुरुग्राम शहर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का भी केंद्र है। शहर में कोविड-19 के अब तक 51 मामले सामने आए हैं। इनमें से 35 लोग ठीक हो चुके हैं। हरियाणा में यह रेड जोन में है और नूंह, पलवल तथा फरीदाबाद के साथ राज्य में सर्वाधिक प्रभावित है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के रविवार के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में कोरोना वायरस के अब तक 289 मामले सामने आए हैं और तीन लोगों की मौत हुई है। इनमें से 176 लोग ठीक हो गए हैं। कुंडू ने गुरुग्राम में स्थिति को ‘‘उचित रूप से नियंत्रण में’’ बताया और कहा कि बीमारी के सामुदायिक प्रसार के कोई साक्ष्य नहीं हैं।

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वाधवान बंधुओं को सीबीआई ने हिरासत में लिया

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने वित्तीय अनियमितताओं के आरोपी डीएचएफएल प्रवर्तकों--कपिल और धीरज वाधवान को सतारा में अपनी हिरासत में ले लिया है और स्थानीय पुलिस ने केंद्रीय जांच एजेंसी को पूरा सहयोग दिया। वाधवान बंधु धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत वित्तीय अनियमितताओं के आरोपी हैं और वे 21 फरवरी से जमानत पर बाहर थे। इस माह के प्रारंभ में उन्हें तब पकड़ लिया गया था जब वे लॉकडाउन का उल्लंघन कर मुंबई से महाबलेश्वर जा रहे थे। मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘सीबीआई की एक टीम ने कपिल और धीरज वाधवान दोनों को हिरासत में ले लिया है। सतारा पुलिस ने टीम को जरूरी सहायता पहुंचाई और लिखित अनुरोध पर उसे मुंबई तक के लिए 1+3 गार्ड का एस्कार्ट वाहन भी उपलब्ध कराया। गिरफ्तारी की प्रक्रिया चल रही है और कानून सभी के लिए बराबर है।’’ सतारा में इन दोनों आरोंपियों की पृथक-वास की अवधि पूरी हो जाने के बाद देशमुख ने सीबीआई से उन्हें हिरासत में लेने का अनुरोध किया था। मंत्री ने यह भी कहा कि लॉकडाउन के दौरान वाधवान बंधुओं को यात्रा की कथित तौर पर अनुमति देने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच रिपोर्ट ‘‘आज या कल’’ सौंप दी जाएगी। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एवं राज्य के प्रधान गृह सचिव अमिताभ गुप्ता पर इन दोनों भाइयों को लॉकडाउन के दौरान यात्रा के लिए ‘‘चिकित्सा आपात’’ अनुमति पत्र देने का आरोप है। मामला प्रकाश में आने के बाद राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज सौनिक को गुप्ता की भूमिका की जांच करने को कहा था और गुप्ता को अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया गया था।

मध्य प्रदेश में 145 नये मामले

मध्य प्रदेश में रविवार को कोविड-19 के 145 नए मामले सामने आने के साथ ही राज्य में अभी तक 2,090 लोगों के वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हो गई है। राज्य सरकार के ताजा स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार कोविड—19 से रविवार को चार और मरीजों की मौत हुई है। इनमें से दो मौत उज्जैन में और एक—एक मौत खंडवा एवं होशंगाबाद में हुई है। इसी के साथ राज्य में अब तक कोरोना वायरस की महामारी से 103 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। कोरोना वायरस की महामारी से राज्य में हुई 103 मौत में से सबसे अधिक 57 मौत अकेले इन्दौर में हुई हैं, जबकि उज्जैन में 17, भोपाल में नौ, देवास में छह, खरगोन में छह, होशंगाबाद में दो और छिंदवाड़ा, जबलपुर, आगर मालवा, धार, खंडवा एवं मंदसौर में एक-एक मरीज की मौत हुई है। राज्य के कुल 52 में से 26 जिलों के लोग अब तक कोविड—19 के लिए संक्रमित पाये गये हैं। इन्दौर में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक 91 नये मामले आये हैं, जबकि इसके बाद भोपाल में 27, जबलपुर में 16, उज्जैन में तीन, होशंगाबाद एवं रायसेन में दो—दो, देवास, रतलाम एवं मंदसौर में एक-एक नया मामला सामने आया है। इसी के साथ कोरोना वायरस की महामारी से बुरी तरह प्रभावित इन्दौर में कोविड—19 की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 1,176 हो गयी है, जबकि भोपाल में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 415, उज्जैन में 106, जबलपुर में 59, होशंगाबाद में 32, रायसेन में 28, देवास में 23, रतलाम में 13 एवं मंदसौर में नौ हो गई है। इनके अलावा, खरगोन में अब कोरोना वायरस से 60 लोग संक्रमित हैं, जबकि धार एवं खंडवा में 36-36, आगर मालवा में 11, बड़वानी में 24, मुरैना में 13, विदिशा में 13, शाजापुर में छह, सागर और छिंदवाड़ा में पांच-पांच, श्योपुर एवं ग्वालियर में चार—चार, अलीराजपुर में तीन, शिवपुरी एवं टीकमगढ़ में दो—दो और बैतूल एवं डिंडोरी में एक—एक कोरोना वायरस की बीमारी के चपेट में आया है। वहीं, दो मरीज अन्य राज्य के हैं। मध्य प्रदेश में अब तक 302 कोरोना वायरस मरीज उपचार के बाद स्वस्थ्य भी हो चुके हैं। कोरोना वायरस के घातक संक्रमण को रोकने के लिए राज्य के प्रभावित जिलों में कुल 617 निषिद्ध क्षेत्र बनाए गए हैं। यहां लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। राज्य में कुल 1,685 कोरोना वायरस मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में उपचार किया जा रहा है। इनमें से 1,650 की हालत स्थित है जबकि 35 मरीज गंभीर हैं।

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बाधा उत्पन्न करने पर होगी तीन साल की सजा

तमिलनाडु में कोविड-19 से जान गंवाने वाले मरीजों को 'सम्मानजनक' तरीके से दफनाने और दाह संस्कार में बाधा उत्पन्न करने वालों को तीन साल तक की सजा हो सकती है। राज्य सरकार की ओर से जारी एक अध्यादेश में यह प्रावधान किया गया है। हाल ही में कोविड-19 संक्रमण के कारण शहर में दो डॉक्टरों की मौत हो गई थी, जिसके बाद लोगों ने इनके शव दफनाने का विरोध किया। इनमें से एक विरोध के दौरान तो लोग हिंसक हो गए और स्वास्थ्यकर्मियों एवं निगम कर्मचारियों पर हमला कर दिया था। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि अध्यादेश के मुताबिक, अधिसूचित बीमारी से मरने वालों को सम्मानजनक तरीके से दफनाने और दाह संस्कार में बाधा उत्पन्न करना और बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करने को दंडनीय अपराध बनाया गया है। बयान के मुताबिक, ऐसे अपराध में कम से कम एक साल जेल की सजा जबकि अधिकतम तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। इस अपराध के लिये जुर्माना भी लगाया जा सकता है। हालांकि, इसकी राशि के बारे में सूचना नहीं दी गई है।

घर वापसी के लिए विशेष तंत्र

राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने रविवार को कहा कि लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में विभिन्न राज्यों में अटके हुए प्रवासी राजस्थानी और प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी के लिये सरकार विशेष तंत्र (मैकेनिज्म) विकसित कर रही है ताकि बिना सोशल डिस्टेंसिंग के उल्लंघन और परेशानी के उन्हें राजस्थान लाया जा सके। डॉ. शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री अधिकारियों के साथ मंत्रणा कर उन्हें सकुशल घर वापस लाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मदद के लिए अन्य राज्यों में भी विज्ञापन जारी किए गए हैं। आने वाले सभी प्रवासियों की संघन जांच की जाएंगी और जरूरत पड़ने पर उन्हें पृथक वार्ड, घरों में पृथक-वास, या संस्थानात्मक पृथक वास केंद्रों में भी रखा जा सकता है। चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राज्य में प्रतिदिन 4-5 हजार नमूने जांच के लिए लिये जा रहे हैं। यही नहीं सरकार के अथक प्रयासों से जांच की सुविधाओं में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। भीलवाड़ा में आईसीएमआर द्वारा टेस्ट की अनुमति मिल चुकी है। उन्होंने बताया कि जयपुर के आरयूएचएस (राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय) में भी आईसीएमआर ने प्रतिदिन 250 जांच करने की अनुमति दे दी है। इसे आगे 1000 तक बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जयपुर और जोधपुर में टेस्ट की तादाद बढ़ाने के लिए कोबास-8800 मशीन खरीदने का आर्डर दिया जा चुका है। इन मशीनों के आने के बाद प्रतिदिन 3 से 4 हजार जांच अतिरिक्त की जा सकेंगी। कोरोना को रोकने के लिए प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी जांच बढ़ाने की सुविधाओं में विस्तार किया जा रहा है। शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार के योजनाबद्ध प्रयासों के चलते 14 अप्रैल के बाद कोरोना वायरस संक्रमण दर में भारी गिरावट आई है। यदि संक्रमण की गति पहले जितनी रहती तो संक्रमितों की तादाद 3400 से ज्यादा होती। उन्होंने कहा कि प्रदेश में टेस्टिंग और सैंपलिंग में कोई कमी नहीं की गई है। डॉ. शर्मा ने बताया कि वर्तमान मे राज्य में 1143 कोरोना वायरस संक्रमित अस्पतालों में भर्ती हैं, इनमें से कुछ लोग ही आईसीयू में है। उन्होंने बताया कि राज्य में 6.60 लाख लोग घरों में ही पृथक वास में हैं, जबकि 32-33 हजार लोग संस्थानिक पृथक वास केंद्र में रह रहे हैं। चिकित्सा मंत्री ने बताया कि रविवार को दोपहर तक कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 2152 तक पहुंच गई । उनमें से 518 लोगों की अगली जांच रिपोर्ट संक्रमण सामने नहीं आया और 244 को उपचार के बाद स्वस्थ होने पर घर भेजा जा चुका है। उन्होंने बताया कि देश में सर्वाधिक लगभग 83 हजार जांच केवल राजस्थान में ही हुई हैं और इसी से वास्तविकता का भी पता चल रहा है।

गुजरात में स्थिति बेहतर

राज्य के स्वास्थ्य विभाग की एक अधिकारी ने रविवार को कहा कि गुजरात की आबादी इटली, फ्रांस और स्पेन के लगभग बराबर है, लेकिन पहला मामला सामने आने के 35 दिन बाद प्रदेश में इन तीनों यूरोपीय देशों के मुकाबले कोरोना वायरस के कम मामले हैं। राज्य की प्रधान स्वास्थ्य सचिव जयंती रवि ने संवाददाताओं से कहा कि यह मुख्यत: लॉकडाउन और विदेशों से लौट रहे लोगों के लिए नियंत्रण रणनीति जैसे कदमों की वजह से है। उन्होंने बताया कि गुजरात में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने के 35 दिन बाद संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 3,071 तक पहुंच गई है, जबकि इटली में इतने ही दिनों में 80,536, फ्रांस में 56,972 और स्पेन में 94,410 मामले सामने आए थे। अधिकारी ने कहा कि इटली की आबादी 6.04 करोड़, फ्रांस की आबादी 6.5 करोड़ और स्पेन की आबादी 4.7 करोड़ तथा गुजरात की आबादी 6.25 करोड़ है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि लॉकडाउन और विदेशों से लौट रहे लोगों को तत्काल पृथक करने की रणनीति जैसे विभिन्न कारकों ने बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद की है।’’ अधिकारी ने कहा कि बीसीजी टीके के इस्तेमाल और इन तीनों यूरोपीय देशों के मुकाबले गुजरात में गर्म जलवायु जैसे कारकों ने भी वायरस के प्रसार को रोकने में भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, ‘‘यह तुलना सिर्फ हमारी सूचना के लिए है।’’ देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में महाराष्ट्र के बाद गुजरात दूसरे नंबर पर है। शनिवार तक राज्य में महामारी के 3,071 मामले थे, जबकि महाराष्ट्र में यह संख्या 7,628 है। गुजरात में इस घातक विषाणु के चलते अब तक 133 लोगों की मौत हुई है और राज्य इस मामले में भी महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर है जहां 323 लोगों की जान कोविड-19 की वजह से गई है। रवि ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना वायरस के अधिक मामलों से निपटने को तैयार है और इसके लिए आधारभूत ढांचा तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में इस बीमारी से निपटने के लिए 61 अस्पतालों में 10,500 बिस्तर और लक्षणमुक्त रोगियों की देखभाल के लिए 150 कोविड देखभाल केंद्रों में 22,385 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है। अधिकारी ने कहा कि कोरोना वायरस संबंधी जांच क्षमता भी बढ़ाकर 3,770 नमूने प्रतिदिन कर दी गई है, बीमारी के पहले सप्ताह में हर रोज 150 नमूनों की जांच की जा रही थी।

बिहार में मामलों की संख्या बढ़ी

बिहार में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के आठ नये मामले सामने आने के साथ राज्य में कोविड-19 से संक्रमित मामले अब बढ़कर 259 हो गये हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि गोपालगंज जिले में दो पुरुषों (19 एवं 60 वर्ष) और दो महिलाओं (50 एवं 60 वर्ष) में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया कि गोपालगंज जिले के पछदेवरी, सदर, फुलवारी और भोर प्रखंड के इन मरीजों के संपर्क में आये लोगों का पता लगाया जा रहा है। संजय ने बताया कि रविवार को पूर्वी चंपारण जिले के बंजरिया और अरेराज में चार पुरुषों (28, 32, 50 एवं 54 वर्ष) में भी कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है जिनमें से तीन मुंबई से और एक दिल्ली से अपने घर लौटे थे। गौरतलब है कि पटना एम्स में कोरोना संक्रमित मुंगेर जिला निवासी एक मरीज की गत 21 मार्च को तथा वैशाली जिला निवासी एक मरीज की शुक्रवार को मौत हो गयी थी। बिहार के कुल 38 जिलों में से अबतक 21 जिलों में कोविड-19 के मामले सामने आ चुके हैं। बिहार में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक मामले मुंगेर में 65, नालंदा में 34, पटना में 33, सिवान में 30, बक्सर में 25, कैमूर में 14, बेगुसराय एवं रोहतास में 09—09, गोपालगंज में 07, गया में 06, भागलपुर एवं पूर्वी चंपारण में 05—05, नवादा एवं सारण में तीन—तीन, बांका, औरंगाबाद, वैशाली एवं भोजपुर में दो—दो तथा लखीसराय, मधेपुरा एवं अरवल में एक—एक मामले सामने आए हैं। ओमान से लौटे सिवान निवासी एक मरीज के संपर्क में बीते दिनों आने से अबतक 23 लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। कतर से लौटे मुंगेर निवासी एक मरीज की 21 मार्च को पटना एम्स में मौत हो गयी थी और उसके संपर्क में आए 11 में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी। बिहार में अब तक कोरोना वायरस के 17041 संदिग्ध नमूनों की जांच की जा चुकी है। राज्य में कोरोना संक्रमित 56 लोग ठीक भी हुए हैं।

लॉकडाउन की स्थिति का जायजा लिया

पश्चिम बंगाल दौरे पर आईं केन्द्र की अंतर मंत्रालयी टीमों ने लॉकडाउन की स्थिति का जायजा लेने के लिये रविवार को कोलकाता और सिलीगुड़ी के कई इलाकों का दौरा किया। कोलकाता में ठहरी रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी अपूर्व चंद्र के नेतृत्व वाली टीम ने शहर के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में गार्डन रीच, इकबालपुर, खादरपुर, मोमिनपुर और कालीघाट इलाकों का दौरा किया। कोलकाता पुलिस के अधिकारी भी उनके साथ थे। इस दौरान उन्होंने प्रेस सहित किसी से बात नहीं की। टीम ने लॉकडाउन का पालन हो रहा है या नहीं, यह देखने के लिये हावड़ा के सल्किया और गोलबाड़ी जैसे इलाकों का भी दौरा किया। सिलीगुड़ी में वरिष्ठ अधिकारी विनीत जोशी के नेतृत्व वाली टीम ने बिधान बाजार और उससे लगे इलाकों का दौरा कर दुकानदारों और स्थानीय लोगों से बातचीत की। टीम ने मास्क लगाने और सैनिटाइजर के इस्तेमाल के बारे में पूछा। बाद में जोशी ने पत्रकारों से कहा, 'ऐसा प्रतीत होता है कि लोग लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं ले रहे है। उन्हें इसे गंभीरता से लेना चाहिये।' जोशी की टीम के सदस्यों ने कहा कि अपने दौरे के दौरान उन्होंने राज्य सरकार के किसी प्रतिनिधि को नहीं देखा।

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भारत ने बांग्लादेश को मदद दी

भारत ने पड़ोसी देश बांग्लादेश को कोरोना वायरस महामारी से निपटने में मदद करते हुए रविवार को मलेरिया रोधी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की एक लाख गोलियां और 50,000 सर्जिकल दस्ताने दिये। बांग्लादेश मे अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के करीब 5,000 मामले सामने आये हैं और 140 लोगों की मौतें हुई हैं। भारत की उच्चायुक्त रीवा गांगुली दास ने बांग्लादेश को मेडिकल सहायता की दूसरी खेप भेजे जाने के मौके पर भारत-बांग्लदेश संबंधों के महत्व को रेखांकित करने के लिये नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि रविंद्रनाथ टैगोर का जिक्र किया। ‘बीडी न्यूज 24 डॉट कॉम’ की खबर के मुताबिक दास ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की एक लाख गोलियां और 50,000 सर्जिकल दस्ताने सहित चिकित्सा सामग्री बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्री जाहिद मलिक को सौंपे। मंत्री ने कहा, ‘‘संकट की इस घड़ी में हमारे पड़ोसी देश (भारत) से मिली मदद का स्वागत है।’’ दास ने कहा कि इससे पहले भारत ने चिकित्साकर्मियों के लिये हेड कवर और मास्क दिये थे। दास ने कहा, ‘‘हम आपके साथ हैं। हम हमेशा से आपके साथ हैं। हम आपके साथ थे और भविष्य में भी आपके साथ बने रहेंगे। घरों के अंदर रहें, सुरक्षित रहें। मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि इस संकट से हम उबर जाएंगे।’’ 

इटली कोविड-19 संकट के कारणों की जांच में जुटा

कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक इटली में एक बात साफ है कि उसके सबसे प्रभावित प्रांत लोम्बार्डी में कुछ तो बेहद गलत हुआ जिसकी वजह से स्थिति भयावह हो गई। देश लॉकडाउन में ढील मिलने पर महामारी संकट के कारणों की जांच में जुट गया है। इटली कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा नागरिकों को खोने वाला देश है जहां इस वायरस की वजह से 26 हजार लोगों की मौत हुई है। इटली में वायरस संक्रमण का पहला मामला 21 फरवरी को सामने आया था। जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य देखभाल में कमियों के साथ ही राजनीतिक और कारोबारी हितों ने एक करोड़ की आबादी वाले लोम्बार्डी के लोगों को ऐसी आपदा की तरफ मोड़ दिया जो इससे पहले कभी देखी नहीं गई। विषाणु विज्ञानी और महामारी विशेषज्ञों ने कहा कि क्या गलत हुआ, इसका अध्ययन करने में कई साल लगेंगे, कैसे एक बीमारी ने उस पूरी चिकित्सा व्यवस्था को ही धता बता दिया जिसे यूरोपीय देशों की श्रेष्ठ व्यवस्थाओं में से एक माना जाता था। पड़ोसी इलाके वेनेटो में बीमारी का प्रकोप अपेक्षाकृत नियंत्रित था। अधिकारी फिलहाल यह तय कर रहे हैं कि क्या कई नर्सिंग होम में हुई सैंकड़ों लोगों की मौत के लिए कोई आपराधिक आरोप तय किया जा सकता है। इन मौतों में से कई को लोम्बार्डी के आधिकारिक मृतक आंकड़े 13,269 में गिना भी नहीं गया। इसके विपरीत लोम्बार्डी के अग्रिम पंक्ति के चिकित्सकों और नर्सों की नायकों की तरह सराहना की जा रही है जिन्होंने असाधारण स्तर के तनाव, थकान, पृथक-वास और डर के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का इलाज किया। पहला मामला सामने आने के बाद भी इटली में डॉक्टर यह नहीं समझ सके कि कोविड-19 किस असामान्य तरीके से असर डाल सकता है। कई मरीजों को तो अचानक ही सांस लेने की क्षमता के कम होने का पता चला। बुरी तरह प्रभावित क्रीमोना के सैन कैमिलो प्राइवेट क्लिनिक के डॉ. माउरीजियो मारविशी ने कहा, “हमारे पास वह नैदानिक जानकारी नहीं थी।” इटली में पहला मामला सामने आने के कुछ दिनों बाद ही अस्पतालों के आईसीयू मरीजों से भर गए। ऐसे में कई प्राथमिक देखभाल करने वाले डॉक्टरों ने मरीजों को घर पर ही इलाज देना शुरू किया, यहां तक कि कई मरीजों को ऑक्सीजन भी दी गई। यह रणनीति और घातक साबित हुई, क्योंकि कई लोगों की घरों पर ही मौत हो गई या अस्पताल में भर्ती कराने के कुछ ही समय में उनकी मौत हो गई, क्योंकि उन्होंने अस्पताल ले जाए जाने का फैसला करने में ही काफी वक्त गंवा दिया। इटली में आईसीयू क्षमता की भी बेहद कम साबित हुई। इटली में प्रति एक लाख लोगों पर 8.6 आईसीयू बिस्तर हैं जो कि ‘ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवपलमेंट’ के विकसित राष्ट्रों के 15.9 बिस्तरों के औसत से कहीं कम है। करीब 20 हजार इतालवी चिकित्सा कर्मी संक्रमित हुए तो 150 डॉक्टरों की जान इसकी वजह से चली गई। विशेषज्ञ एक बड़ी वजह शहरों के बीच आवाजाही रोकने में हुई देरी को भी मान रहे हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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