जिन्दगी से दूर रखना है अवसाद तो कर लें शादी- रिपोर्ट
एक कहावत है कि शादी का लड्डू जो खाएं वो भी पछताएं और जो न खाएं वो भी पछताएं। हालांकि एक अध्ययन में जो बात सामने आई है उससे शादी करने के बाद किसी तरह का पछतावा नहीं होने के संकेत मिलते है
वॉशिंगटन। एक कहावत है कि शादी का लड्डू जो खाएं वो भी पछताएं और जो न खाएं वो भी पछताएं। हालांकि एक अध्ययन में जो बात सामने आई है उससे शादी करने के बाद किसी तरह का पछतावा नहीं होने के संकेत मिलते है। इस अध्ययन के अनुसार शादी करने से अवसाद कम हो सकता है। अध्ययन के मुताबिक जो लोग शादी करते हैं और जिनकी प्रतिवर्ष कुल घरेलू आय 60 हजार अमेरिकी डॉलर से कम है, उनमें अच्छा कमाने वाले अविवाहित लोगों की तुलना में अवसाद के लक्षण कम पाये गये है।
हालांकि, अमेरिका में जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, अधिक कमाई वाले जोड़ों के लिए, शादी से उसी तरह के मानसिक स्वास्थ्य लाभ नहीं दिखते है। जर्नल सोशल साइंस रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात कही गयी है। शोधकर्ताओं ने एक राष्ट्रीय अध्ययन से आंकड़ों की जांच की जिसमें अमेरिका में 24 से 89 वर्ष की आयु में 3,617 वयस्कों के साक्षात्कार शामिल थे और ये कई सालों से विशिष्ट अंतराल पर लिये गये थे।
इस सर्वेक्षण में सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य विषय शामिल हैं। जार्जिया स्टेट के एक सहायक प्रोफेसर बेन लेनोक्स कैल ने कहा कि, ‘जो लोग विवाहित है और जो एक वर्ष में 60 हजार अमेरिकी डालर से कम कमाई करते है उनमें अवसाद के कम लक्षण दिखाई देते है।’
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