टिकट दलालों पर रेलवे का ऑपरेशन थंडर, पर क्या अब यात्रियों को मिलेगा कंफर्म टिकट ?
RPF ने ऑपरेशन थंडर अभियान के तहत देश के 205 शहरों के 338 स्थानों पर छापा मार कर 387 दलालों को गिरफ्तार किया है। इतने बड़े पैमाने पर रेलवे ने पहली बार टिकट दलालों के खिलाफ कार्रवाई की है।
छुट्टियों का यह मौसम रेलवे के लिए पीक सीजन माना जाता है। लेकिन ये पीक सीजन दलालों के लिए भी होता है, टिकट के दलालों के लिए। ये दलाल रेलवे की टिकट आरक्षण प्रणाली में घुसपैठ कर टिकटें बनाते हैं और फिर कालाबाजारी कर उसे मंहगे दामों पर बेचते रहते हैं। नतीजा हमारे और आप जैसे सामान्य यात्रियों को बड़ी मुश्किल से सिर्फ वेटिंग टिकट ही मिल पाता है क्योंकि कंफर्म टिकट तो ये दलाल ले जाते हैं। गर्मी की छुट्टियों, होली-दिवाली जैसे पीक सीजन में तो समान्य यात्रियों के लिए कंफर्म टिकट पा जाना सपने की तरह ही होता है। सरकारें आती गईं जाती गईं लेकिन इन दलालों का वर्चस्व कम नहीं हुआ। कभी-कभार रेलवे इनके खिलाफ अभियान चलाता है, कुछ गिरफ्तारी होती है। इसके बाद जेल फिर जमानत और ये दलाल फिर अपने दलाली के धंधे में जुट जाते हैं। हर बार रेलवे में सफर करने वाला आम यात्री अपने आपको ठगा-सा महसूस करता है। पूर्वांचल, बिहार और बंगाल जाने वाली ट्रेनों में तो कंफर्म टिकटों की मारा-मारी साल भर बनी रहती है।
इसे भी पढ़ें: क्या बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए रेलवे का निजीकरण होगा ?
उम्मीद जगाता आरपीएफ का ऑपरेशन थंडर
इस बीच खबर आती है कि रेलवे सुरक्षा बल यानि आरपीएफ ने देशभर में इन दलालों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलाया है– ऑपरेशन थंडर। RPF ने ऑपरेशन थंडर अभियान के तहत देश के 205 शहरों के 338 स्थानों पर छापा मार कर 387 दलालों को गिरफ्तार किया है। इतने बड़े पैमाने पर रेलवे ने पहली बार टिकट दलालों के खिलाफ कार्रवाई की है। रेलवे सुरक्षा बल यानि RPF ने अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर ट्रेन टिकट कंफर्म कराने वाले दलालों के राष्ट्रव्यापी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 375 मुकदमे दर्ज कर 387 दलालों को गिरफ्तार किया गया है। इन दलालों के रैकेट का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इनके पास से पचास हजार यात्रियों से संबंधित लगभग 37 लाख रुपये की कीमत के बाइस हजार से ज्यादा टिकट जब्त किए गए। ये टिकट जिन पचास हजार से अधिक यात्रियों के लिए जारी किए गए थे, उन्हें अब वैध तरीके से पुन: टिकट लेने होंगे। इतना ही नहीं प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि इन दलालों ने इससे पहले भी लगभग 3.80 करोड़ रुपये मूल्य के टिकटों का अवैध कारोबार किया था।
रेलवे टिकट आरक्षण प्रणाली में घुसपैठ
देश का शायद ही कोई शहर हो जो रेलवे नेटवर्क से जुड़ा हो और इन दलालों की पहुंच से अछूता हो। ऑपरेशन थंडर के तहत सबसे ज्यादा 51 मामले कोलकाता में दर्ज हुए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर बिलासपुर रहा जहां 41 केस दर्ज किए गए हैं। इसी प्रकार गोरखपुर में 32, इलाहाबाद में 25, दिल्ली-एनसीआर में 30 जबकि पटना में 17 मामले दर्ज किए गए हैं। हद तो यह देखिए कि इन दलालों ने अवैध सॉफ्टवेयर बना कर रेलवे की आरक्षण टिकट प्रणाली तक में घुसपैठ कर ली थी। दलाल टिकट काउंटर एवं ई-टिकटिंग सुविधा का दुरुपयोग करते हुए फर्जीवाड़ा कर ऊंचे दामों पर रेल टिकटों की कालाबाजारी करते थे। ऑपरेशन थंडर की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि आरक्षित टिकट हासिल करने के लिए टिकट दलाल विभिन्न तरीकों से आईआरसीटीसी (IRCTC) की वेबसाइट को हैक करते थे। ये टिकट दलाल कई नकली पर्सनल आईडी बनाकर रखते थे। सुबह दस बजे आम यात्रियों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा ओपन होती है। जबकि सवा दस बजे से एजेंट की आईडी ओपन होती है। करीब सवा 11 बजे से स्लीपर के रिजर्वेशन टिकट एजेंट बना सकते हैं। पंद्रह मिनट के इस अंतर में ही एजेंट फर्जी पर्सनल आईडी से धड़ाधड़ टिकटों की बुकिंग करते थे। हाईस्पीड इंटरनेट और अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए यह खेल बड़े पैमाने पर खेला जाता था। जिस बीच लोगों का कर्सर घूम रहा होता है, उसी दौरान ये लोग कई टिकट बुक करा चुके होते थे। जिस वजह से आम लोगों को कंफर्म टिकट मिल ही नहीं पाता था। वैसे अब इन सभी दलालों से जुड़े यूजर आइडी को रद्द किया जा रहा है। इनकी पहुंच का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बीमार, दिव्यांग, बुजुर्ग, महिला, खिलाड़ी, सैनिक और पदक विजेता खिलाड़ियों की कंफर्म टिकट वाले इमरजेंसी कोटे में भी इनका खेल जारी था।
टिकट आरक्षण प्रणाली को पुख्ता बनाना रेलवे की जिम्मेदारी
सुरक्षित यात्रा करवाना रेलवे की प्राथमिक जिम्मेदारी मानी जाती है। समय के साथ-साथ इसमें बेहतर सुविधाएं प्रदान करवाना भी जुड़ गया है। मतलब बेहतर सुविधाओं के साथ सुरक्षित मंजिल पर यात्रियों को पहुंचाना रेलवे की जिम्मेदारी है और हर सरकार, हर रेल मंत्री यही दावे भी करता है। ऐसे में आरपीएफ के इस ऑपरेशन थंडर की तारीफ तो करनी ही चाहिए लेकिन यहीं से रेलवे की एक बड़ी जिम्मेदारी भी शुरू होती है। रेलवे टिकट आरक्षण प्रणाली में इन दलालों की घुसपैठ का स्थायी समाधान निकालना बहुत जरूरी हो गया है। डिमांड-सप्लाई की थ्योरी तो बनी रहेगी लेकिन रेलवे को क्रिस के साथ मिलकर इस बात का पुख्ता इंतजाम तो करना ही चाहिए कि उसकी टिकट आरक्षण प्रणाली में कोई घुसपैठ न कर सके। लगातार उन्नत होते जा रहे तकनीक के इस दौर में यह कर पाना बहुत ज्यादा असंभव नहीं होगा। देश के तमाम आरक्षण केंद्रों पर इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने के साथ-साथ आईआरसीटीसी को भी यह निर्देश देना चाहिए कि वो अपनी साइट और एप्प की क्षमता बढ़ाए। एक बात और इतने बड़े पैमाने पर दलालों का नेटवर्क बिना किसी मिलीभगत के चलाना संभव नही हैं इसलिए रेलवे को एक अभियान अपने अंदर भी चलाना चाहिए। आखिर यह कैसे संभव हो पाता है कि सीसीटीवी कैमरे की मौजूदगी के बावजूद दलाल हर रोज टिकट खिड़की पर सबसे आगे खड़ा नजर आता है। इसलिए इस बड़ी कामयाबी के बाद जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है। यही मौका है जब रेलवे इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल सकता है। इतना बड़ा ऑपरेशन चलाकर रेलवे ने अपने सख्त रूख को तो जाहिर कर ही दिया है अब जरूरत इस बात की है कि ये सख्ती हर मोर्चे पर दिखाई जाए ताकि आम यात्रियों का हर मौसम में कंफर्म टिकट पाने का सपना सच साबित हो सके।
-संतोष पाठक
अन्य न्यूज़