Ratan Tata Birthday: भारत के सबसे सफल बिजनेस टाइकून की लिस्ट में शामिल हैं रतन टाटा, आज मना रहे 86वां जन्मदिन
देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कारोबारियों के लिए रतन टाटा एक मिसाल हैं। आज यानी की 28 दिसंबर को रतन टाटा अपना 86वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। वहीं रतन टाटा एक दरियादिल इंसान भी हैं।
उद्योग जगत में रतन टाटा ने अगल मुकाम हासिल किया है। वह देश के सफल बिजनेसमैन की लिस्ट में शामिल हैं। आज यानी की 28 दिसंबर को रतन टाटा अपना 86वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट से अपने करियर की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने एक ट्रेनी से लेकर टाटा समूह के चेयरमैन तक का सफर तय किया है। इसके अलावा उन्होंने देश के विकास के लिए भी कई कार्य किए हैं। न सिर्फ कारोबारी व व्यापारी बल्कि देश का युवा भी उन्हें अपना आदर्स मानता है। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर रतन टाटा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
मुंबई में नवल टाटा और सूनी टाटा के घर 28 दिसंबर 1937 को रतन टाटा का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा मुंबई के चैंपियन स्कूल से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने मुंबई के कैथेड्रल और जॉन कॉनोन स्कूल के अलावा शिमला के बिशप कॉट्टन स्कूल से भी पढ़ाई की थी। वहीं साल 1955 में न्यूयॉर्क सिटी के रीवरडेल कंट्री स्कूल से ग्रेजुएशन किया। फिर अमेरिका के कॉरनेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। साल 1975 में रतन टाटा ने हॉवर्ड बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट किया।
जानिए क्यों नहीं की शादी
अन्य लोगों की तरह रतन टाटा की भी एक प्रेम कहानी थी। लेकिन उनकी प्रेम कहानी अधूरी ही रह गई। लॉस एंजिल्स में एक कंपनी में काम करने के दौरान रतन टाटा को एक लड़की से प्यार हुआ था। वह उस लड़की से शादी के लिए भी तैयार थे। लेकिन दादी की तबियत खराब होने के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा। उन्हें यह उम्मीद थी कि वह लड़की भी उनके साथ भारत आएगी। तभी साल 1962 के दौरान भारत-चीन की लड़ाई शुरू हो गई। इसलिए लड़की के पेरेंट्स उनके भारत आने के पक्ष में नहीं थी। इस तरह से रतन टाटा का प्यार अधूरा रह गया।
करियर
आपको बता दें कि साल 1962 में टाटा स्टील से रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत की थी। नौकरी की शुरूआत में उन्होंने टाटा स्टील के प्लांट में चूना पत्थर को भट्ठियों में डालने का काम भी किया। यहां पर काम करते हुए 9 साल बाद वह नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी में डायरेक्टर पद पर पहुंच गए। इसके बाद साल 1977 में वह टाटा समूह की कंपनी इंप्रेस मिल्स पहुंचे। बाद में यह बंद हो गया था।
साल 1991 में जेआरडी टाटा ने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी चुना। जिसके बाद रतन टाटा अपनी समझ और प्रतिभा के चलते टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया। इसके बाद साल 1998 में रतन टाटा ने पहली देसी घरेलू छोटी कार इंडिका को लॉन्च किया। फिर मिडिल क्लास के लोगों को ध्यान में रखते हुए वह नैनो कार लेकर आए। बता दें कि नैनो कार को लखटकिया कार भी कहा जाता है। इसके साथ ही उन्हें उड़ने का बहुत शौक है। साल 2007 में वह F-16 फाल्कन उड़ाने वाले पहले भारतीय बने। रतन टाटा को कारों का काफी शौक था।
टाटा ने खरीदी बड़ी कंपनियां
साल 2000 में ग्लोबल लेवल पर टाटा की शुरूआत हुई थी। इस दौरान टाटा ने टेटली को टेकओवर किया था। उन्होंने केवल 9 साल करीब 36 कंपनियों का अधिग्रहण किया था। इनमें कोरस स्टील का अधिग्रहण, लक्जरी कार कंपनी जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण सबसे अहम माना जाता है।
परोपकार में करते हैं विश्वास
रतन टाटा हमेशा परोपकार में विश्वास करते हैं। वह देश के सबसे पुराने और सम्मानित चैरिटी फाउंडेशन के तौर पर मौजूद है। साल 1919 में रतन टाटा ट्रस्ट की शुरूआत 80 लाख रुपए के कोष के साथ की गई थी।
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