आतंकवादियों के लिए एक शक्तिशाली हथियार बन रहा है स्मार्टफोन
बम और बंदूकों से परे ‘स्मार्टफोन’ आतंकवादियों के लिए एक शक्तिशाली हथियार साबित हो सकता है लेकिन साथ ही ये खुफिया सेवाओं के लिए उनका (आतंकवादियों का) पता लगाने का एक जरिया भी बन सकता है।
पेरिस। बम और बंदूकों से परे ‘स्मार्टफोन’ आतंकवादियों के लिए एक शक्तिशाली हथियार साबित हो सकता है लेकिन साथ ही ये खुफिया सेवाओं के लिए उनका (आतंकवादियों का) पता लगाने का एक जरिया भी बन सकता है। आज से ठीक तीन वर्ष पहले 13 नवम्बर 2015 को हुआ पेरिस हमला इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि इतने बड़े स्तर पर हमले की तैयारी बिना फोन के नहीं हो सकती थी। पूर्व फ्रांसीसी आतंकवाद निरोधक अधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि इस्लामिक स्टेट समूह के बंदूकधारी और हमलावर, जिन्होंने ‘बैटाक्लान कॉन्सर्ट हॉल’ और नाइटलाइफ वाली अन्य जगहों पर हमला किया उन्होंने इस नरसंहार को अंजाम देने के लिए आपस में समन्वय स्थापित करने के लिए इनका (फोन का) बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया था।
‘बैटाक्लान कॉन्सर्ट हॉल’ में हुए हमले में 90 लोग मारे गए थे। यहां दाखिल होने से तुरंत पहले हमलावरों ने बेल्जियम में अपने सहयोगियों को संदेश भेजा था, ‘‘हम आगे जा रहे हैं। यह शुरू हो गया है।’’ पेरिस हमले से पहले भी ऐसे कई मौके आए जब आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया गया।पूर्व अधिकारी ने ‘एएफपी’ को बताया कि इराक में वर्ष 2003 में अमेरिकी काफिले के गुजरते समय एसएमएस भेज देशी बम विस्फोट किए गए थे। इसके बाद अल-कायदा ने लगातार इसका इस्तेमाल किया। इन दिनों टेलीग्राम, वायर और व्हाट्सएप जैसी एप भी जिहादियों की मदद कर सकते हैं। कई सालों से आईएस ने कई क्षेत्रों में ऑनलाइन ट्यूटोरियल प्रकाशित किए हैं, जो जिहादियों को बताते हैं कि युद्ध क्षेत्र में बचने के लिए सबसे अच्छा सॉफ्टवेयर कैसे चुनें।
सुरक्षा समूह ‘सिमेंटेक’ में सुरक्षा रणनीतियों के निदेशक लॉरेन हेस्लाल्ट ने कहा, ‘‘फोन अब सिर्फ फोन नहीं है..वे अब कम्प्यूटर हैं।’’
सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि स्क्रीन पर एक स्वाइप के साथ ही स्मार्टफोन लोगों तक पहुंचने में सक्षम बना देता है। इससे जिहादियों के लिए नए सदस्यों को खुद से जोड़ना भी आसान हो गया है। दूसरी ओर, सरकार ने भी चरमपंथियों का पता लगाने के लिए फोन डेटा का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया है। पूर्व फ्रांसीसी अधिकारी ने बताया कि माली में फ्रांसीसी सैन्य अधिकारियों ने वर्ष 2013 में जिहादियों के देश के उत्तरी हिस्से पर कब्जा करने के बाद फोन डेटा के आधार पर ही हवाई हमले करने के लिए स्थानों को चुना था। उन्होंने कहा, ‘‘आजकल सभी हवाई हमले फोन पर केंद्रित होते हैं।’’
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