जमींदोज दरख्त बयां कर रहे फोनी तूफान से उजड़े चमन की कहानी
पहले ही शहर से रोज टनों कचरा हटवाने की जद्दोजहद से जूझ रहे भुवनेश्वर नगर निगम के लिए अब ग्रीन गारबेज नयी मुसीबत बन गया है जबकि वन विभाग बच्चों की तरह पाले इन पेड़ों को खोने के दुख से उबर नहीं पा रहा है।
भुवनेश्वर। चंद रोज पहले तक शहर को हरियाली की चादर पहनाते लहलहाते पेड़ हर गली, स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघर और रेस्त्रां के बाहर जमींदोज पड़े अब फोनी से धरती पर लगे उन जख्मों को बयां कर रहे हैं जिन्हें भरने में दस पंद्रह बरस लग जाएंगे। तीन मई को आए चक्रवात फोनी ने जिंदगियों पर तो कहर उतना नहीं बरपाया लेकिन शहर भर में दस लाख से अधिक पेड़ बर्बाद हो गए जिनके दम पर स्मार्टसिटी भुवनेश्वर का चप्पा चप्पा हरा भरा नजर आता था। पहले ही शहर से रोज टनों कचरा हटवाने की जद्दोजहद से जूझ रहे भुवनेश्वर नगर निगम के लिए अब ग्रीन गारबेज नयी मुसीबत बन गया है जबकि वन विभाग बच्चों की तरह पाले इन पेड़ों को खोने के दुख से उबर नहीं पा रहा है।
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शहर के डिवीजनल वन अधिकारी अशोक मिश्रा ने ‘भाषा’ को बताया शहर में बिखरे पेड़ों को देखकर हमारे आंसू निकल आए क्योंकि इन्हें बच्चों की तरह हमने बड़ा किया था। अब जो गिने—चुने पेड़ बच गए हैं , उनके रिहैबिलिटेशन में हमारी 40 सदस्यीय टीम जुटी हैं। पिछले चार दिन में करीब 800 पेड़ों का रिहैबिलिटेशन किया गया है। उन्होंने बताया शहर भर के अलावा पार्क और शहर के बाहर तथा लोगों के आंगन में गिरे पेड़ अलग हैं। अकेले पत्रापाड़ा पार्क में करीब एक लाख पेड़ गिर गए हैं। शहर की हरियाली छिन गई है और अब फिर पेड़ों को इतना बड़ा करने में कम से कम 15 से 20 साल लगेंगे।
Heartening to see fury of Fani averted by great commitment and excellent disaster management. Kudos. -Sg @Naveen_Odisha @Indiametdept #CycloneFanihttps://t.co/QWgvA6DrWa
— Sadhguru (@SadhguruJV) May 6, 2019
नयापल्ली में रहने वाली क्षिप्रा मोहंती के घर में आम का बड़ा पेड़ टूट कर गिर गया जो उनकी दादी ने लगाया था। उन्होंने कहा यह मेरी दादी की निशानी थी। फोनी में यह गिर गया और ऐसा लग रहा है जैसे दादी का साया फिर सिर से उठ गया। घर में किसी ने भी उस दिन खाना नहीं खाया। वन विभाग के सामने बड़ी चुनौती नए सिरे से शहर को हरा भरा बनाने की भी है और अब कुदरती कहर झेल सकने वाले पेड़ लगाने की योजना है।
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मिश्रा ने कहा कि पूरे शहर से मलबा हटाने के बाद ही नए सिरे से वृक्षारोपण मुहिम शुरू की जाएगी और उनका लक्ष्य मानसून की पहली बारिश से इसका आगाज करने का है। उन्होंने कहा हमारे पास दो लाख पौधों का नर्सरी भंडार है लेकिन वृक्षारोपण चरणबद्ध तरीके से होगा। इस बार हम नीम, अमलतास जैसे मजबूत पेड़ लगाएंगे क्योंकि अब यहां चक्रवात बार-बार आ रहे हैं और फोनी ने तो पीपल, बरगद को भी नहीं छोड़ा।
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Shopkeeper Hata Jena lost his son last year. On May 3 he lost his small shop near Malatipatapur bus stand to Cyclone Fani which flung it 50 metre away. pic.twitter.com/dUVqzEhNUy
— 𝓓𝓮𝓫𝓪𝓫𝓻𝓪𝓽𝓪 𝓜𝓸𝓱𝓪𝓷𝓽𝔂 (@debabrata2008) May 7, 2019
पूरे शहर में टूटे पेड़ों और बिजली के गिरे हुए खंभों का जाल बिछा हुआ है जिन्हें शहर के बाहर भुसुनी में बनाए गए अस्थायी ट्रांजिट स्टेशन तक भेजने के लिए भारी तादाद में ट्रक लगाए गए हैं। बीएमसी द्वारा बनाए गए विभिन्न सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी वाले नियंत्रण कक्ष में अब तक करीब एक हजार कॉल आ चुके हैं और अधिकारियों का कहना है कि इनमें से अधिकतर कॉल पेड़ों को हटाने के लिए है। बीएमसी, लोक कार्य, एनडीआरएफ, ओडिशा, दमकल सेवा और ओडीआरएएफ मिल कर इस काम को अंजाम दे रहे हैं। हरित मलबे को हटाने के लिए बीएमसी ने 10 वार्ड में 445 सफाई कर्मचारी लगाए हैं जबकि बाकी एजेंसियों ने 57 वार्ड में 2306 कर्मी लगाए हैं।
It didn’t matter that world’s biggest democracy was in the throws of India’s greatest election ever, it did not impede the impeccable arrangements that the Odisha/Indian government made for evacuations. Cyclone Fani evacuation efforts hailed a success https://t.co/l7kizLx9DT
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) May 4, 2019
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