पापा बने सबके सांता (बाल कहानी)

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कभी कोई पुस्तक, कभी चॉकलेट्स तो कभी खेल−खिलौने, केक पेस्ट्री रोहन को हर दिन पापा से कुछ न कुछ उसकी पसंद का मिलता था और रात होती तो वह अपने पिता से कोई बढ़िया सी कहानी भी जरूर ही सुनता था।

रोहन पांचवीं कक्षा का विद्यार्थी था जो दिल्ली में एक निजी स्कूल में पढ़ता था। रोहन के पिता का अपना बिजनेस था। रोहन उनका इकलौता और लाड़ला बेटा था। हर शाम ऑफिस से लौटते समय रोहन के पापा अपने बेटे के लिए उसकी पसंद की कोई न कोई चीज साथ में लेकर आते थे।

पापा के ऑफिस से लौटने का इंतजार रोहन हर दिन करता था। कभी कोई पुस्तक, कभी चॉकलेट्स तो कभी खेल−खिलौने, केक पेस्ट्री रोहन को हर दिन पापा से कुछ न कुछ उसकी पसंद का मिलता था और रात होती तो वह अपने पिता से कोई बढ़िया सी कहानी भी जरूर ही सुनता था।

दिसम्बर का महीना था और इस महीने में रोहन के पापा ने रोहन को कई कहानियां क्रिसमस और सांता क्लॉस की सुनाई थीं। क्रिसमस की कहानियां सुनकर रोहन बहुत रोमांचित था। उसे भी क्रिसमस का इंतजार था, उसने पापा से सुना था कि इस दिन सांता बच्चों के लिए तोहफा लेकर आते हैं।

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क्रिसमस ईव पर रोहन ने अपने घर पर बहुत ही सुंदर क्रिसमस ट्री सजाया था और अब वह बेसब्री से सांता का इंतजार कर रहा था। हमेशा की तरह रोहन के पापा आज भी ऑफिस से लौटकर रोहन के लिए केक और चॉकलेट्स लेकर आए थे। रोहन पापा के लाए केक चॉकलेट्स से खुश तो था पर कहीं न कहीं उसे सांता के तोहफे का भी इंतजार था।

जब रात होने लगी और सांता नहीं आया तो रोहन की आस टूटने लगी थी वह रूआंसा होकर पापा से बोला− पापा आप तो कहते थे क्रिसमस पर सांता बच्चों के लिए गिफ्ट्स लाते हैं, मेरे पास तो सांता नहीं आए। मुझे भी सांता से गिफ्ट चाहिए।

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रोहन के पापा रोहन की मासूमियत पर हंसे और रोहन को समझाते हुए बोले− अरे हां! बेटा, मुझे तो ख्याल ही नहीं आया, मेरा बेटा भी तो छोटा है। सांता का गिफ्ट उसे भी मिलना चाहिए। रोहन थोड़ा इंतजार करो, तुम्हें तो पता है न दुनिया भर में बहुत सारे बच्चे हैं उन सभी को सांता को गिफ्ट बांटना होता है। आपके पास आते−आते सांता को समय लग सकता है।

रोहन को पापा की बात समझ आ गई थी। गिफ्ट का इंतजार करते−करते उसे नींद आ गई। अगले दिन रोहन के स्कूल में क्रिसमस का सेलिब्रेशन था। सुबह से तैयार होकर रोहन स्कूल पहुंचा।

स्कूल में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित थे इन्हीं कार्यक्रमों के बीच स्टेज से ऐलान हुआ− बच्चों, क्योंकि आज क्रिसमस है तो सभी बच्चों के लिए सांता कुछ गिफ्ट लेकर आए हैं।

एनाउंसमेंट के साथ ही सांता स्टेज पर आते हैं। सांता ने रोहन की तरफ इशारा कर उसे स्टेज पर बुलाया और उसके हाथ में एक लिफाफा थमाते हुए बोले− बेटे, इस लिफाफे को खोलो इसके अंदर तुम सब बच्चों के लिए गिफ्ट है।

रोहन ने लिफाफा खोला... उसमें रखे पत्र पर लिखा था− सभी बच्चों को सांता की तरफ से 'मेरी क्रिसमस'। सांता की तरफ से तोहफा है कि आप सभी आज सांता के साथ नेशनल जू़लॉजी पार्क देखने और वहां पिकनिक मनाने जाओगे... रोहन ने सभी बच्चों को सांता का यह संदेश पढ़कर सुनाया तो सभी बच्चे खुशी से झूम उठे, सबने एक साथ तालियां बजाईं।

दिल्ली के नेशनल जूलॉजी पार्क की सैर के लिए स्कूल के बाहर एक बड़ी बस तैयार खड़ी थी। सांता सहित सभी बच्चे प्रिंसिपल मैडम और कुछ शिक्षकगण बस में जू़ के लिए रवाना हुए। 

रास्ते भर और फिर चिड़ियाघर में सांता के साथ सभी बच्चों ने खूब एन्जॉय किया। यहां हजारों की संख्या में एनिमल्स, बहुत सारे पक्षी, झील में तैरते पेलिकन और सरीसृपों को देखकर सभी आश्चर्यचकित थे। उछलकूद करती गिलहरियों, सफेद बाघों की गर्जना, तोते, नीलगाय, काले हिरन, बंदर, घड़ियाल, मोर और गैंडों को देखकर बच्चों को बहुत मजा आया। वहीं चिड़ियाघर में ही खाने−पीने की व्यवस्था भी थे। सभी ने अपनी पसंद की चीजें खा−पीकर पिकनिक का आनंद लिया।

सभी बच्चे सांता का गिफ्ट पाकर बहुत खुश थे और सबसे ज्यादा आश्चर्य तो रोहन को तब हुआ जब उसे पिकनिक से लौटकर सांता के साथ ही घर जाने को मिला। रोहन ने पाया कि सांता कोई और नहीं बल्कि उसके पापा थे। क्रिसमस पर सांता से सिर्फ रोहन को ही नहीं बल्कि पूरे स्कूल को गिफ्ट मिला था। बच्चों के साथ पिकनिक और चिड़ियाघर जाने का प्लान रोहन के पापा ने ही स्कूल प्रिंसिपल के साथ मिलकर तय किया था। रोहन की खुशी का ठिकाना न था उसे सांता की बढ़िया गिफ्ट जो मिली थी जिसे उसने पूरे दिन एन्जॉय किया। पापा को बाहों में भरते हुए रोहन खुशी से कह उठा− ''मेरे पापा सबके सांता।''

-अमृता गोस्वामी

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