स्वामी विवेकानंद जयंती विशेषः उठो, जागो और कुछ कर दिखाओ

National Youth Day
सुखी भारती । Jan 12 2021 11:35AM

युवा होना एक अवस्था का नाम नहीं है अपितु यह किसी दीपक की वह अवस्था है जब उससे सबसे ज्यादा प्रकाश की आशा की जाती है। यह किसी व्यक्ति की उम्र का वह दौर है जब किसी व्यक्ति विशेष का नहीं अपितु राष्ट्र का भविष्य भी निर्धिरत होता है।

'हे मेरे देश के युवको! उठो जागो, साहसी एवं सामर्थ्यवान बनो। देश के उत्थान का सारा कार्यभार अपने सशक्त कंधें पर ले लो। इस बात को सदैव याद रखना कि आप स्वयं ही अपना भाग्य लिखने वाले हैं। क्योंकि आप के अंदर ही सारी संभावनाएं व सामर्थ्य छुपा हुआ है। पूरे देश में उठो, जागो का बिगुल बजा दें। दीन दुनिया के सारे दुखः कष्ट हरने की अपार शक्ति आप के भीतर ही समाई हुई है। अगर आप इस बात पर दृढ़ता से विश्वास करेंगे तो वह सोई हुई शक्ति जाग उठेगी। यह संसार भीरु लोगों के लिए नहीं है। अपितु शेर जैसा हौंसला रखने वाले शूरवीरों के लिए है। इस लिए अपने कर्त्तव्यों से भागने की कोशिश न करें। सफलता−असफलता का विचार न करते हुए पूर्ण निष्काम भाव से निरंतर कर्त्तव्यरत्त रहें। इस बात को सदैव याद रखना कि जीत उसी की होती है जो दृढ़ संकल्पवान एवं धीरजवान होते हैं। हे मेरे देश के वीरो! आप सब अज्ञानता की जंजीरों में जकड़े हुए लोगों को मुक्त करने के लिए आगे बढ़ें। पवित्र एवं परोपकारी बने क्योंकि यही धर्म का सार है। सच्चा युवा वही होता है जो अनीति, अत्याचार एवं अज्ञानता से लड़ता है। जो बुरी आदतों से सदैव दूर रहता है। जो काल की चाल को बदल के रख देता है। जिसके अंदर जोश के साथ होश भी होता है। जिसके अंदर भटकती मानवता के लिए कुछ कर गुजरने की आस्था हिलोरे ले रही होती है। जो समस्याओं का सटीक समाधान ढूंढता है एवं प्रेरणादायक इतिहास रचता है। जो बातों का बादशाह नहीं अपितु कुछ कर गुजरने का ज़ज्बा रखता है।' 

उपरोक्त कथन 20वीं सदी के महान संत, समाज सुधरक एवं विचारक स्वामी विवेकानंद जी के हैं। एक महान युवा संन्यासी, युग पुरुष एवं विदेशों में भारतीय संस्कृति की कीर्ति को चार चाँद लगाने वाले स्वामी विवेकानंद को समर्पित 'राष्ट्रीय युवा दिवस' 12 जनवरी को उनके जन्मदिवस वाले दिन मनाया जाता है। 

युवा होना एक अवस्था का नाम नहीं है अपितु यह किसी दीपक की वह अवस्था है जब उससे सबसे ज्यादा प्रकाश की आशा की जाती है। यह किसी व्यक्ति की उम्र का वह दौर है जब किसी व्यक्ति विशेष का नहीं अपितु राष्ट्र का भविष्य भी निर्धिरत होता है। युवा शक्ति ही वह शक्ति है जिसने हर काल में युग निर्माण किया है। जिनकी योग्य अगुवाई में सभ्यता संस्कृति आगे बढ़ी है। फिर चाहे वह श्री राम जी की वानर सेना हो, वीर अंगद, नल−नील, हनुमान जैसे उत्साह एवं गुरु भक्ति से लबालब युवा हों। या फिर देश को आज़ाद करवाने के लिए शहीद भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, ऊधम सिंह जैसे देश भक्त या फिर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा सजाई गई खालसा फौज हो। भगवान श्री कृष्ण जी की योग्य अगुवाई में अधर्मी लोगों का नाश करने वाली पांडव सेना हो या फिर विश्वामित्र जी की आज्ञा अनुसार देश के अंदर आतंकी राक्षसों का नाश करने वाले युवा श्री राम जी एवं लक्ष्मण जी हों। अर्थात हर समय में ही युवा शक्ति ने ही विश्व में नए आयामों का निर्माण करके देश के मान−प्रतिष्ठा, सभ्यता−संस्कृति एवं धर्म की रक्षा की है। 

स्वामी विवेकानंद जी का कथन है− 'उत्तिष्ठ जाग्रत प्राप्य वरान्नि बोधत' अर्थात उठो, जागो एवं तब तक न रुको जब तक आपका लक्ष्य, आप के कदमों में न आ जाए। इस लिए आज के समय में युवा शक्ति को संचित एवं पोषित करना बेहद आवश्यक है जिसके द्वारा हर असंभव को संभव किया जा सके। क्योंकि किसी देश की उन्नति एवं विकास का आधर स्तंभ सिर्फ युवा ही हुआ करते हैं। किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी सम्पति एवं ताक्त उसके युवा ही हुआ करते है। 

जनसंख्या के मामले में भारत आज अपनी युवा अवस्था में है। दुनिया के महान चिंतकों द्वारा आज भारत को एक खुशकिस्मत देश कहा जा रहा है। क्योंकि मौजूदा समय में भारत की कुल आबादी का लगभग 66 प्रतिशत युवा हैं। जो कि विश्व के दूसरे देशों की तुलना में बहुत ज्यादा है। इसलिए इन नौजवानों की ऊर्जा का संपूर्ण रुप में सही दिशा में प्रयोग करना इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है। जब तक यह ऊर्जा, उत्साह, सामर्थ्य, प्रतिभा सकारात्मक रुप में है। तब तक किसी भी देश का सर्वांग्रीण विकास होता रहता है। परंतु जैसे ही इसका नकारात्मक रुप में इस्तेमाल होने लगता है तो यह विनाशक रुप धारण कर लेती है। 

हमारे विचारकों का कथन है कि एक बच्चे का मन बिलकुल कोरे कागज़ की मानिद होता है। उस कागज़ पर नैतिक मूल्यों एवं अच्छी आदतों की छाप डालना माता−पिता का ही कर्त्तव्य है। परंतु आजकज माता पिता अपनी निजी जिंदगी में ही इतने व्यस्त हो गए हैं कि वह भूल ही गए हैं कि उनके बच्चे भाव देश की भावी पीढ़ी की जरुरत क्या है? कल को देश की कमान भावी युवकों के हाथ में ही होगी। परंतु जो आज खुद को ही नहीं संभाल पा रहे वह देश क्या संभालेंगे? इसलिए अब कुंभकर्णी नींद से जागने का अवसर आ चुका है। बच्चों को दोष देने की बजाय बड़ों को उन पर ध्यान देना पड़ेगा। 

डा. एपीजे अब्दुल कलाम के अनुसार− 'युवा अवस्था वह बिंदु है जब एक व्यक्ति असाधारण तल में प्रवेश कर जाता है एवं सफलता के नए आयाम छूता है। युवकों के अंदर अपार संभावनाएं हैं जिन्हें भरपूर तरीके से खिलने एवं बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। एक अच्छा व्यक्ति बनने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ ही अध्यात्मिक होना भी बहुत ही जरुरी है। इसके अलावा हर चीज में हमेशा सकारात्मक पहलू देखने की आदत होना भी एक आदर्श युवा का गुण होता है।'

इसलिए युवा शक्ति का जाग्रित होना बेहद जरुरी है। युवकों का सर्वप्रथम कर्त्तव्य यही बनता है कि वह कुंभकर्णी निद्रा का त्याग करके दूसरों के कल्याणार्थ कदम बढ़ाएं। युवकों के सामर्थ्य को बयां करता स्वामी विवेकानंद जी का कथन है− 'युवा वही है जो सदा क्रियाशील रहता है। जो निकम्मा नहीं जिसके अंदर शेर जैसा हौसला है। जिसकी दृष्टि सदैव अपने लक्ष्य पर केंदरित रहती है। जो इस संसार में कुछ अलग करना चाहता है। जो भाग्य के सहारे न बैठ कर हिम्मत एवं ज़ज्बे से अपने कर्त्तव्यों के प्रति जागरुक रहता है। ऐसा युवक फिर कभी परिस्थितियों का दास नहीं बनता अपितु परिस्थितियां उसकी दास बन जाती है। क्योंकि युवा राष्ट्र एवं समाज का प्राण हुआ करते हैं। राष्ट्र निर्माण में सबसे ज्यादा योगदान युवकों का ही होता है। युवा राष्ट्र के भूत एवं भविष्य को जोड़ने का पुल होने के साथ−साथ समाज के नैतिक मूल्यों का प्रतीक भी होते हैं। देश की युवा शक्ति ही राष्ट्र को जीवन मूल्यों एवं सांसकृतिक विरासत का प्रसार एवं आधार प्रदान करती है। इस दुनिया में भारत ही वह देश है जिसके युवकों के अंदर आध्यात्मिक, सांसकृतिक, राष्ट्र प्रेम, मानव सेवा एवं देश भक्ति सदियों से ही रहे हैं।' 

जिस समय बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की जब श्री रामकृष्ण परमहंस से पहली भेंट हुई तो स्वामी जी ने कहा कि आपका नाम बंकिम झुका हुआ क्यों है? इस बात पर बंकिम ने उत्तर दिया−अंग्रेजों की चाकरी में झुकने के कारण। उनका जवाब सुनकर रामकृष्ण परमहंस जी ने रहस्यमई मुस्कान दी एवं कहा आपका जन्म झुकने के लिए नहीं अपितु झुके हुए को सीध करने के लिए हुआ है। रामकृष्ण परमहंस जी की प्रेरणा के कारण उन्हें अपने जीवन की दिशा मिल गई। उन्होंने निश्चय किया कि अब मैं अंग्रेजों के सामने खुद भी नहीं झुकूंगा एवं दूसरों के अंदर भी चेतना पैदा करुंगा। इस प्रकार उनके द्वारा रचित देशभक्ति की रचनाएं भारतीय युवकों के अंदर सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत बन गईं। एवं 'वंदे मातरम' भारतीय स्वतंत्रता का नाद, मूल मंत्र एवं प्रेरणा बिंदु बन गया। 

इसी प्रकार ब्रिटिश शासन से इंडियन सिविल सर्विस परीक्षा पास किए हुए सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी, अरविंद घोष एवं सुभाष चंद्र जैसे युवकों ने सरकारी नौकरी न करके राष्ट्र सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। सुरेन्द्र नाथ बैनरजी जिन्हें लोग 'सरेंडर नोट' कहते थे ने अंग्रेजों की नीतियों का डटकर विरोध किया। अरविंद घोष क्रांतिकारी आध्यात्मिक मार्ग अपना कर लोगों के अंदर दोहरी चेतना पैदा की। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने भी सोई हुई मानवता को जगाकर संत सिपाही की दोहरी भूमिका निभाने के लिए तैयार किया। सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज द्वारा इस देश की स्वतंत्रता के लिए अनेकों प्रयास किए। 

देश की स्वतंत्रता के लिए सबसे ज्यादा बलिदान भी युवा क्रांतिकारियों ने दिए। 1857 के संग्राम से लेकर 1947 तक युवा क्रांतिकारियों की एक लंबी लिस्ट है। जिन्होंने अपना लहू देकर देश की मिट्टी के प्रति अथाह श्रद्धा एवं भक्ति का सबूत दिया। इसी प्रकार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्र शेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल आदि जैसे देशभक्तों ने देश, धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए हंसते−हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। 

आज का भारत युवा भारत है। भारत देश में युवकों की बढ़ रही संख्या विदेशियों में हलचल पैदा कर रही है। चीन के शी जिनपिंग इस बात से बहुत चिंतित हैं कि 2050 तक चीन का हर चौथा व्यक्ति 65 साल से ज्यादा उम्र का होगा। एवं भारत में उस समय सब से ज्यादा युवा होंगे और भारत एक महाशक्ति के रुप में उभरकर सामने आएगा। फ्रांस के प्रमुख अखबार 'ली फिगारो' के विशेष रिर्पोटर फरोनोस गिउटीयर ने निष्कर्ष निकाला है कि भारत का पुनर्जन्म हो रहा है। देश की युवा शक्ति के द्वारा यह उद्योग, अर्थव्यवस्था एवं आध्यात्मिकता में सुपर पॉवर होगा। विश्व के विद्वान आज भी हमारी भारतीय संस्कृति को विश्व संस्कृति के रुप में देखते हैं। क्योंकि भारतीय संस्कृति 'वसुधैव कुटुम्बकम्' एवं 'सर्वे सुखिनः संतु' का भाव व्यक्त करती है। 

मार्च 2013 में अमेरिका के राष्ट्रपति बरॉक ओबामा ने Economy of President रिपोर्ट पेश की थी। जिसके तहत वहाँ घट रही युवकों की गिनती के कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। 

अमेरिका जो कि तकनीकी एवं आर्थिक क्षेत्र में पूरी दुनिया में सब से आगे है। वहाँ युवकों की घट रही संख्या चिंता का विषय है। अमेरिका के ही प्रसिद्ध विद्वान डेविड फराले विश्व के कल्याण के लिए भारतीय युवकों का आह्नान करते हुए कहते हैं−हे भारतीय युवकों! उठो, आप उठेंगे तो सारे विश्व का कल्याण होगा। इस लिए जरुरत है देश की युवा शक्ति द्वारा एक क्रांति की जो सकारात्मक एवं विवेकपूर्ण हो। फिर ही भारत एक चेतन, बलवान एवं समर्थ राष्ट्र बनेगा।

- सुखी भारती

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