बोरवेल में फंसे मासूम की तीन दिन पहले ही हो चुकी थी मौत, फिर भी जारी रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ दिन पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। पीजीआई के फोरेंसिक चिकित्सा विभाग में डॉक्टर वाई एस बंसल और डॉक्टर सेंथिल कुमार की टीम ने बच्चे का पोस्टमार्टम किया।
संगरूर (पंजाब), चंडीगढ़। चार दिनों से अधिक समय तक चले असफल बचाव कार्य के बाद बोरवेल से मृत अवस्था में निकाले गए दो वर्ष के बच्चे फतेहवीर सिंह को गांव वालों ने अश्रुपूर्ण विदाई दी। बच्चे का अंतिम संस्कार किए जाने से पहले जब उसे लकड़ी के बने ताबूत में रखा गया तो संगरूर जिले के भगवानपुरा गांव के निवासी और बच्चे के परिवार के सदस्य अपने आंसू नहीं रोक पाए। एक अधिकारी ने बताया कि करीब 110 घंटे तक बोरवेल में रहने के बाद बचावकर्मियों ने सुबह पौने पांच बजे बच्चे को बाहर निकाला। जीवनरक्षक प्रणाली से लैस एक एंबुलेंस में बच्चे को पीजीएमआईआर चण्डीगढ़ ले जाया गया और उसके साथ एंबुलेंस में डॉक्टर भी गए।
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पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ दिन पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। पीजीआई के फोरेंसिक चिकित्सा विभाग में डॉक्टर वाई एस बंसल और डॉक्टर सेंथिल कुमार की टीम ने बच्चे का पोस्टमार्टम किया। पीजीआई ने दोपहर में जारी बयान में बताया, ‘‘पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बताती है कि बच्चे की मौत कुछ दिन पहले ही हो गई थी। विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की जा रही है और जांच अधिकारी (पुलिस अधिकारी) को सौंप दी जाएगी।’’ संस्थान ने कहा, ‘‘बच्चे के शव को पुलिस और रिश्तेदारों को सौंप दिया गया।’’ इसके बाद एक हेलीकॉप्टर में उसका शव गांव लाया गया। हेलीकॉप्टर की व्यवस्था पंजाब सरकार ने की थी।
विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर ‘‘लापरवाही’’ बरतने के आरोप लगाए हैं। बच्चा सोमवार को दो वर्ष का हुआ था । वह 150 फुट गहरे बोरवेल में 125 फुट पर जाकर फंस गया था। बचावकर्मियों ने बोरवेल के समानांतर खुदाई कर बच्चे को बाहर निकाला। संगरूर के उपायुक्त घनश्याम थोरी ने पीटीआई को बताया कि फतेहवीर को पुलिस सुरक्षा में एंबुलेंस में चंडीगढ़ के परास्नातक चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) ले जाया गया। किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए पीजीएमआईआर में पुलिस की तैनाती की गई थी। बचाव अभियान में ‘‘विलंब’’की निंदा करने वाले प्रदर्शनकारियों का एक समूह अस्पताल में इकट्ठा हुआ था। संगरूर में शव को बच्चे के घर ले जाया गया जहां परिवार के सदस्यों और अन्य को संक्षिप्त समय के लिए अंतिम विदाई देने की अनुमति मिली। अंतिम संस्कार सिख रीति रिवाजों से हुआ। रिश्तेदारों ने बचाव अभियान में खामियां होने का आरोप लगाते हुए अधिकारियों को मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया। एक रिश्तेदार ने कहा, ‘‘उन्होंने उसे बचाने के लिए पहले उपयुक्त तकनीक इस्तेमाल नहीं की। कई दिनों तक अलग अलग तरीके आजमाए गए। आधुनिक विधियां और तकनीक कहां थी?’’
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ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अंत में उसके हाथ में क्लैम्प लगाकर बाहर निकाला गया। एक ग्रामीण ने बताया, ‘‘अगर उन्हें यही विधि अपनानी थी तो वे इसे काफी पहले कर सकते थे। परिवार के कष्ट को और बढ़ाने का क्या उद्देश्य था?’’ एक अन्य ग्रामीण ने कहा, ‘‘जब बच्चे को बाहर निकाला गया तो वह मर चुका था। उसका शव सड़ने लगा था। प्रशासन ने उसे 150 किलोमीटर दूर पीजीआई भेजकर परिवार का कष्ट और क्यों बढ़ाया।’’ ग्रामीण ने कहा, ‘‘जब हर किसी को पता था कि वह मर चुका है तो वे संगरूर सिविल अस्पताल में ही पोस्टमार्टम कर सकते थे।’’ बच्चे के माता-पिता अपने एक मात्र बेटे की मौत पर शोकाकुल थे।
Two-year-old Fatehveer Singh, who had fallen into a borewell in Sangrur, has passed away. https://t.co/wMn4IAhJJe
— ANI (@ANI) June 11, 2019
रिश्तेदार और स्थानीय लोगों की उनके घर में भीड़ लग गई। फतेहवीर बृहस्पतिवार को भगवानपुरा गांव में शाम चार बजे खेतों में खेलने के दौरान बोरवेल में गिर गया। बोरवेल का संकरा मुंह कपड़े से ढंका हुआ था और बच्चा अचानक उसमें जा गिरा। अधिकारियों ने बताया कि उसकी मां ने उसे बचाने का प्रयास किया लेकिन विफल रही। बाद में बच्चे को बाहर निकालने के लिए बड़ा राहत अभियान चलाया गया जिसमें राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के सदस्य भी शामिल थे। बचावकर्मियों ने उसे ऑक्सीजन मुहैया कराई लेकिन खाना या पानी मुहैया नहीं कराया जा सका। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस घटना पर दुख जताया है।
मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर कहा, ‘‘फतेहवीर की दुखद मौत पर काफी गमगीन हूं। मैं वाहेगुरु से प्रार्थना करता हूं कि उसके परिवार को दुख सहने की शक्ति दें। सभी उपायुक्तों से खुले बोरवेल के बारे में रिपोर्ट मांगी है ताकि भविष्य में इस तरह की भयावह घटनाओं को रोका जा सके।’’ शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट किया, ‘‘फतेहवीर : यह सर्वाधिक अमानवीय तरह की दिनदहाड़े की गई हत्या है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब में सरकार नाम की चीज नहीं है। राज्य के लोग जब गुस्से और दर्द में हैं तब मुख्यमंत्री ठंडे वातावरण में छुट्टियां मना रहे हैं। बच्चा जब मृत पड़ा था तब सरकार कहीं नहीं दिख रही। माफी देने लायक नहीं।’’
Very sad to hear about the tragic death of young Fatehveer. I pray that Waheguru grants his family the strength to bear this huge loss. Have sought reports from all DCs regarding any open bore well so that such terrible accidents can be prevented in the future.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) June 11, 2019
आम आदमी पार्टी के नेता हरपाल चीमा ने दावा किया कि बचाव अभियान चलाने में राज्य मशीनरी की तरफ से काफी खामियां रहीं। केंद्रीय मंत्री और शिअद की बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट किया, ‘‘फतेहवीर के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मैं उसके माता-पिता से सांत्वना जताती हूं। अकाल पुरख उन्हें इस अपूरणीय क्षति को सहने की ताकत दें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि ऐसे कदम उठाएं ताकि पंजाब में फिर किसी फतेहवीर को ऐसी भयानक स्थिति का सामना नहीं करना पड़े।’’ घटनास्थल के पास काफी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और कई लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। ग्रामीणों ने सुनाम- मानसा रोड को बाधित कर दिया।
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