Unlock 2 के 24वें दिन भारत दुनिया में सबसे कम संक्रमण व न्यूनतम मृत्यु दर वाला देश

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मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में कोविड-19 के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले 320 लोगों को मास्क न पहनने और सामाजिक मेल जोल से दूरी का पालन नहीं करने के आरोप में जिला प्रशासन ने शहर में बने अस्थायी जेल में भेज दिया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा कि प्रति दस लाख आबादी पर पर 864 मामले सामने आने और 21 से कम मरीजों की मृत्यु के साथ भारत दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे कम संक्रमण और मृत्यु दर वाले देशों में से एक है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की ठीक होने की दर 63.45 प्रतिशत है जबकि मृत्यु दर 2.3 प्रतिशत है। डॉ. हर्षवर्धन शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शामिल देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की डिजिटल बैठक को संबोधित कर रहे थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी। बयान के अनुसार, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किस प्रकार कोरोना वायरस महामारी के दौरान आम लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग पर चर्चा करने के लिए एससीओ के भीतर कोई संस्थागत तंत्र नहीं है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2014-2023 को पूरा करने की क्षमता रखता हो। डॉ. हर्षवर्धन ने महामारियों से निपटने में सहयोग पर 2018 में किंगदाओ शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षरित संयुक्त वक्तव्य के प्रभावी कार्यान्वयन पर भी जोर दिया। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के स्वास्थ्य मंत्रियों की मौजूदा संस्थागत बैठकों के तहत पारंपरिक चिकित्सा पर एक नए उप समूह की स्थापना का प्रस्ताव रखा। डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 की चपेट में आने की वजह से दुनिया भर में हुई मौतों पर अपनी संवेदना व्यक्त की। इस महामारी को काबू करने के लिए भारत की राजनीतिक प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी की है और जानलेवा वायरस को फैलने से रोकने के लिए सक्रिय और क्रमिक प्रतिक्रिया सुनिश्चित की। डॉ. हर्षवर्धन ने इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि घातक वायरस पर काबू के लिए क्रमबद्ध तरीके से कार्रवाई शुरू की गई जिसमें यात्रा परामर्श जारी करना, शहर या राज्यों में प्रवेश के स्थानों की निगरानी, समुदाय आधारित निगरानी, प्रयोगशाला तथा अस्पतालों की क्षमता बढ़ाना आदि शामिल था। उन्होंने कहा कि लगातार लॉकडाउन के दौरान भारत को तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने, प्रयोगशालाओं की क्षमता और अस्पतालों के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए आवश्यक समय और अवसर भी मिला। डॉ. हर्षवर्धन ने लॉकडाउन के नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में कोविड-19 के अब तक 12.5 लाख मामले सामने आए और इसकी वजह से 30,000 से अधिक लोगों की मौत हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रति दस लाख आबादी पर 864 मामले सामने आने और 21 से कम मरीजों की मृत्यु होने के साथ भारत दुनिया में सबसे कम संक्रमण और मृत्यु दर वाले देशों में से एक है। उन्होंने बताया कि देश में संक्रमण से ठीक होने की दर 63.45 प्रतिशत है जबकि मृत्यु दर 2.3 प्रतिशत है। बयान के अनुसार हर्षवर्धन ने एससीओ के सभी सदस्य देशों से संकट की इस घड़ी में एकजुट होने और स्वास्थ्य तथा अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव को कम करने का आह्वान किया। उन्होंने महामारी से निपटने में लगे सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि वे "मानवता के लिए भगवान से कम नहीं" हैं।

केरल में कोविड-19 के 885 नये मामले

केरल में शुक्रवार को कोविड-19 के 885 नये मामले सामने आये, जबकि 968 लोग ठीक हुए हैं। संक्रमितों की तुलना में ठीक होने वाले लोगों की संख्या का अधिक होना राज्य के लिए थोड़ी राहत की बात है। नये संक्रमितों में 24 स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं। इसके अलावा संक्रमण के कारण चार लोगों की मौत हो गई, जिससे राज्य में मृतकों की संख्या 54 तक पहुंच गई। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि नए मामलों में से, 724 लोग संक्रमितों के संपर्क में आने से संक्रमित हुए हैं और 56 रोगियों के संक्रमण के स्रोत का पता अभी तक नहीं चल पाया है। वर्तमान में 9,371 लोग बीमारी का इलाज करा रहे हैं। पिछले दो दिनों के दौरान राज्य में संक्रमण के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई, एक ही दिन में 1,000 से अधिक मामले सामने आए थे। 885 मामलों के जुड़ने के साथ, राज्य में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 16,995 हो गई। संक्रमितों में से 64 लोग विदेश से लौटे हैं, जबकि 68 अन्य राज्यों से वापस आए हुए लोग हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि चार मौतें हुई हैं, जिनमें दो कासरगोड में और एक-एक तिरुवनंतपुरम और अलाप्पुझा जिलों में हुई है। पिछले 24 घंटों में 25,160 नमूनों की जांच हुई हैं। अब तक राज्य में 3.38 लाख जांच हुई हैं।

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इजराइल करेगा भारत की मदद

भारत के साथ उत्कृष्ट रक्षा सहयोग और स्थिरता तथा शांति की साझा आकांक्षाओं पर जोर देते हुए इजराइल के वैकल्पिक प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री बेनी गेंट्ज ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि मजबूत द्विपक्षीय संबंध कोविड-19 महामारी से निपटने के दुनिया के प्रयासों में भी अहम योगदान देंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से टेलीफोन पर हुई बातचीत में गेंट्ज ने कोरोना वायरस संकट के बीच भी द्विपक्षीय साझेदारी को बढ़ावा दिये जाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘आज सुबह भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से हमारे दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट रक्षा सहयोग तथा हमारे क्षेत्रों में स्थिरता एवं शांति के लिए हमारी साझा आकांक्षाओं पर बातचीत करके प्रसन्नता हुई।’’ गेंट्ज ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि अगले सप्ताह भारत पहुंच रहा इजराइली प्रतिनिधिमंडल कोविड-19 से लड़ने के वैश्विक प्रयासों में अहम योगदान देगा।’’ इससे पहले सिंह ने ट्वीट किया था कि उन्होंने दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग पर प्रगति की समीक्षा की और मौजूदा कोविड-19 के हालात पर भी चर्चा की। नयी दिल्ली में सरकार के सूत्रों ने बताया कि वार्ता में मुख्य रूप से दोनों देशों के बीच जारी रक्षा खरीद कार्यक्रम के तेजी से क्रियान्वयन तथा दोनों देशों के बीच समग्र रक्षा संबंधों के और अधिक विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया गया। सूत्रों ने बताया कि दोनों रक्षा मंत्रियों की बातचीत में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का भी मुद्दा उठा। उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान भारत द्वारा इजराइल से विभिन्न हथियारों और उपकरणों की खरीद संबंधी प्रक्रिया को तेज करने पर भी चर्चा हुई। सूत्रों ने बताया कि सिंह ने गेंट्ज को रक्षा निर्माण क्षेत्र में भारत द्वारा शुरू किए गए बड़े सुधारों के बारे में अवगत कराया और हथियारों तथा सैन्य उपकरणों के विकास में भारत की कंपनियों के साथ मिलकर व्यापक भागीदारी का भी आह्वान किया। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सिंह और गेंट्ज ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और रक्षा भागीदारी को और मजबूत करने की संभावना पर चर्चा की।

10 करोड़ से अधिक मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) ने शुक्रवार को कहा कि सरकार के कोविड-19 राहत पैकेज के तहत गरीब परिवारों को अप्रैल से जून के दौरान 10 करोड़ से अधिक रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति की गयी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने कोरोना वायरस संकट के अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव से निपटने के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत राहत पैकेज की घोषणा की। इसमें वंचित तबकों को मुफ्त राशन, रसोई गैस और नकद सहायता शामिल हैं। पीएमजीकेवाई के तहत आठ करोड़ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना लाभार्थियों को अप्रैल-जून के दौरान मुफ्त तीन एलपीजी सिलेंडर (रिफिल) उपलब्ध कराया जाना था। एचपीसीएल और अन्य तेल विपणन कंपनियों ने पीएमजीकेवाई के तहत 10 करोड़ से अधिक मुफ्त एलपीजी ‘रिफिल’ उपलब्ध कराये। कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘एचपीसीएल ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) लाभार्थियों को उनके घरों पर अप्रैल-जून के दौरान 2.85 करोड़ मुफ्त एलपीजी रिफिल उपलब्ध कराये।’’ कोविड-19 महामारी अभी भी जारी है और पूर्ण क्षमता के साथ काम शुरू होने में समय लग रहा है। इसको देखते हुए सरकार ने मुफ्त एलपीजी उपलब्ध कराने की अवधि सितंबर तक कर दी है। कंपनी के अनुसार, ‘‘लाभार्थियों को घरों तक मुफ्त एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराये जाने से न केवल उनके रहन-सहन को आसान बनाया गया है बल्कि गैस को लेकर बाहर जाने से वे बचे जिससे संक्रमण की आशंका कम हुई।’’ सरकार ने एक मई 2016 के पीएमयूवाई की शुरू की। इसका मकसद खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को पर्यावरण अनुकूल स्वच्छ खान पकाने का ईंधन (एलपीजी) उपलब्ध कराना था। बयान के अनुसार पीएमयूवाई शुरू होने के बाद देश में एलपीजी की घरों में पहुंच 55 प्रतिशत से बढ़कर 97 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गयी है।

मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के 736 नए मामले

मध्य प्रदेश में शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 736 नए मामले सामने आए और इसके साथ ही प्रदेश में संक्रमितों की कुल संख्या 26,210 तक पहुंच गयी। राज्य में पिछले 24 घंटों में इस बीमारी से 11 और व्यक्तियों की मौत की पुष्टि हुई है जिससे मरने वालों की संख्या 791 हो गयी है। राज्य के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण से भोपाल में दो, सागर में दो और इंदौर, मुरैना, जबलपुर, खरगोन, नीमच, हरदा, और सतना में एक-एक मरीज की मौत की पुष्टि हुई है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘राज्य में अब तक कोरोना वायरस से सबसे अधिक 302 मौत इन्दौर में हुई है। भोपाल में 150, उज्जैन में 71, सागर में 31, बुरहानपुर में 23, खंडवा में 19, जबलपुर में 23, खरगोन में 17, देवास, मंदसौर एवं ग्वालियर में 10-10, और धार, मुरैना, नीमच एवं राजगढ़ में नौ-नौ लोगों की मौत हुई है। बाकी मौतें अन्य जिलों में हुई हैं।’’ अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में शुक्रवार को कोविड—19 के सबसे अधिक 177 नये मामले भोपाल जिले में आये हैं, जबकि इंदौर में 99, ग्वालियर में 63, मुरैना में 49, उज्जैन में 24, छतरपुर में 30 और जबलपुर में 28 नये मामले आये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 26,210 संक्रमितों में से अब तक 17,866 मरीज स्वस्थ हो गये हैं और 7,553 मरीजों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को 507 रोगियों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में राज्य में कुल 2,839 निषिद्ध क्षेत्र हैं।

एकरूपता टीके के असरदार होने के लिए अच्छी

भारत में नोवेल कोरोना वायरस संक्रमण के अधिकतर मामलों में इसका प्रकार दुनिया के अन्य हिस्सों में संक्रमण सरीखा ही है और यह एकरूपता दुनिया में कहीं भी विकसित टीके या दवा के प्रभाव के लिहाज से अच्छी है। एक शीर्ष वैज्ञानिक ने यह बात कही है। सेलुलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि कोरोना वायरस की विस्तृत जीन मैपिंग से भी संकेत मिलता है कि इसके और अधिक खतरनाक स्वरूप में बदलने की संभावना नहीं है। उक्त केंद्र ने कोरोना वायरस की वायरल जीनोम श्रृंखला के संग्रह पर 315 जीनोम जमा किये हैं और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध 1700 से अधिक वायरस श्रृंखलाओं का विश्लेषण किया है जिनके नमूने देशभर में लिये गये। मिश्रा ने कहा, ‘‘वायरस का उत्परिवर्तन एक साल में 26 की दर से (हर 15 दिन में एक बार) हो रहा है जो दुनियाभर में देखी गयी दर के अनुरूप ही है और वायरस की स्थिरता की ओर संकेत करता है। वायरस के मौजूदा प्रकार के किसी और खतरनाक स्वरूप में परिवर्तित होने की आशंका बहुत कम है।'' उन्होंने कहा, ‘‘अब तक हमारे आंकड़ों में उत्परिवर्तनों के विश्लेषण से भी यही बात पता चलती है कि या तो वे खुद क्षय होने वाले हैं और इस तरह कमजोर वायरस बन जाते हैं। इसलिए नये नमूनों की और जीनोम श्रृंखलाओं का अध्ययन वायरस के प्रकार और टीका विकास तथा उपचार में इसके प्रभाव को समझने में अहम भूमिका निभा सकता है।’’ वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तहत हैदराबाद स्थित संस्थान सीसीएमबी द्वारा किये गये जीनोम श्रृंखला के विश्लेषण से सामने आया कि भारत में वायरस के दो प्रमुख प्रकार (क्लेड) हैं। इनमें ए2ए क्लेड और ए3आई क्लेड हैं। मिश्रा के अनुसार ए2ए क्लेड दुनियाभर में सर्वाधिक व्याप्त प्रकार है। मिश्रा ने कहा, ‘‘भारत में व्याप्त वायरस के स्वरूप की यह एकरूपता अच्छी है क्योंकि दुनिया में कहीं भी प्रभावशाली दवा या टीका विकसित होता है तो यह हमारे देश में भी उतना ही असरदार होगा।’’

पुडुचेरी में मृतकों की संख्या 35 हुई

पुडुचेरी में कोरोना वायरस संक्रमण से शुक्रवार को एक और व्यक्ति की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 35 हो गई। वहीं 97 नए मामले सामने आने के बाद केंद्रशासित प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,513 है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशक एस मोहन कुमार ने कहा कि एक 75 वर्षीय महिला की जेआईपीएमईआर अस्पताल में आज सुबह मौत हो गई। महिला को सांस संबंधी दिक्कतों के साथ 22 जुलाई को जेआईपीएमईआर अस्पताल में भर्ती किया गया था। मोहन कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि पिछले 24 घंटे में 83 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दी गई है। उन्होंने बताया कि 97 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 2,513 हो गई। केंद्रशासित प्रदेश में 996 लोगों का इलाज चल रहा है जबकि 1,483 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। यहां संक्रमित होने की दर 14.9 फीसदी और मृत्यु दर 1.4 फीसदी है।

दर्द बयां नहीं कर सकता पावरलिफ्टर

बिना झिझक, एक बार में आसानी से 295 किलोग्राम का वजन उठाने वाले पावरलिफ्टर मोहम्मद अजमतुल्ला कोविड-19 से मरने वालों का पूरे सम्मान से कफन-दफन करने का सामाजिक काम कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि ऐसे शवों का वजन उठाने में होने वाले दर्द को बयां करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं। चैम्पियन पावरलिफ्टर का कहना है, ‘‘कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले किसी व्यक्ति के शव को उठाते वक्त जो दर्द मैं महसूस करता हूं, उसे बयां नहीं कर सकता।’’ ऐसे में जबकि कोरोना वायरस को लेकर समाज में डर का माहौल है, लोग कोविड-19 से मरने वालों के शवों को छूने से परहेज कर रहे हैं, आसपड़ोस में उनके अंतिम संस्कार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, यहां तक कि संक्रमण से मरने वालों के रिश्तेदारों को भी शक की नजर से देख रहे हैं, किसी शव का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी उठाना बड़ी बात है। अजमतुल्ला ऊर्फ अजमत वैसे तो एक आईटी फर्म डीएक्ससी में प्रोग्राम मैनेजर हैं और सप्ताह में पांच दिन, सोमवार से शुक्रवार तक नौकरी करते हैं, लेकिन बचे हुए अपने दो दिन (शनिवार, इतवार) में वह ‘मर्सी मिशन’ के साथ मिलकर कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों का अंतिम संस्कार करते हैं। अजमत ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मैं लॉकडाउन के दौरान राहत कार्य करने वाले समूह का हिस्सा था, और जब मैंने इस बीमारी से जुलाई में बड़ी संख्या में लोगों को मरते हुए देखा तो मैंने खुद को मर्सी मिशन के साथ जोड़ने का फैसला लिया।’’ मर्सी मिशन के साथ काम करने वालों की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अंतिम संस्कार में बहुत वक्त लगता है, अस्पताल से लेकर कब्रिस्तान तक पूरी प्रक्रिया बहुत लंबी है। इतना ही नहीं, इन स्वयंसेवकों को स्थानीय लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ता है जिससे और देरी होती है। कोरोना वायरस संक्रमण से बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं, लेकिन अजमत को उनसे डर नहीं लगता है। उनका कहना है, ‘‘मौत को आना ही है, उसके बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहिए। लेकिन मैं पूरा एहतियात बरतता हूं, क्योंकि मेरा भी परिवार है।''

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उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के 2667 नये मामले

उत्तर प्रदेश में कोविड-19 से 50 और रोगियों की मौत हो गयी जिससे शुक्रवार को मृतकों की कुल संख्या बढ़कर 1348 पहुंच गयी। राज्य में कोरोना वायरस के एक दिन में सर्वाधिक 2667 नये मामले आने के साथ ही एक मामलों की कुल संख्या 60,771 पहुंच गयी। बृहस्पतिवार को प्रदेश में मृतकों की संख्या 1,298 थी और कुल रोगियों की संख्या 58,104 थी। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि प्रदेश में संक्रमित रोगियों की संख्या 21,771 है। अब तक 37,712 लोग इस महामारी से पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। हालांकि प्रसाद ने कहा कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 2712 नये मामले सामने आये है। इस आंकड़े में बृहस्पतिवार को सामने आये 45 मामले भी शामिल हैं।

नागपुर में शनिवार, रविवार को जनता कर्फ्यू

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए महाराष्ट्र के नागपुर शहर में शनिवार और रविवार को जनता कर्फ्यू लगाया जाएगा। नगर निगम के प्रमुख ने शुक्रवार को इस बारे में घोषणा की। नागपुर निगम आयुक्त तुकाराम मुंढे ने शहर में शनिवार और रविवार (25 और 26 जुलाई) को जनता कर्फ्यू लगाने की घोषणा की। निर्वाचित प्रतिनिधियों और निगम प्रशासन की बैठक में इस संबंध में फैसला किया गया। मुंढे ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि पिछले आठ-दस दिनों से निकाय प्रशासन यह कोशिश कर रहा था कि जनता कोविड-19 को लेकर और सावधानी भरा रवैया अपनाएं। अधिकारी ने आगाह किया, ‘‘कोविड-19 के नियमों का सही से पालन हो, इस बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हमने दो दिनों का जनता कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है। लेकिन अगर नियमों का कड़ाई से पालन नहीं किया गया तो शहर में सख्त कर्फ्यू लगाया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम नागरिकों से जनता कर्फ्यू में सहयोग करने और अपने व्यवहार में बदलाव लाने तथा कोरोना वायरस की कड़ी को तोड़ने की अपील करते हैं।’’ निगम आयुक्त ने कहा कि जरूरी सेवा की दुकानों को छोड़कर सारे प्रतिष्ठान शनिवार और रविवार को बंद रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘दवा की दुकानें, स्वास्थ्य केंद्र और दूध की दुकानें खुली रहेंगी । गैर जरूरी बाजार बंद रहेंगे।’’ नागपुर में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के 172 नए मामले आने से संक्रमितों की संख्या 3,465 हो गयी। शहर में संक्रमण से 64 लोगों की मौत हुई है और 2213 मरीज ठीक हो चुके हैं।

कामगारों के खातों में डाले एक-एक हजार रुपये

कोरोना वायरस महामारी के बीच प्रदेश लौटने वाले श्रमिकों में से नौ लाख आठ हजार 885 कामगारों को उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को दूसरे चरण के तहत आर्थिक सहायता राशि मुहैया कराई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन श्रमिकों के बैंक खातों में एक-एक हजार रुपये की सहायता राशि के तौर पर कुल 90 करोड़ 88 लाख रुपये ऑनलाइन हस्तांतरित किये। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि शासन की योजनाओं का लाभ समाज के अन्तिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को अवश्य मिले। गौरतलब है कि इससे पहले प्रथम चरण में 13 जून 2020 को प्रदेश वापस आए 10 लाख 48 हजार 166 श्रमिकों को एक-एक हजार रुपये की धनराशि हस्तांतरित की गयी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर आपदा पूर्व चेतावनी तथा राहत प्रबन्धन हेतु वेब बेस्ड एप्लीकेशन्स-‘एकीकृत पूर्व चेतावनी प्रणाली’ तथा ‘ऑनलाइन बाढ़ कार्य योजना मॉड्यूल’ एवं ‘आपदा प्रहरी’ ऐप का लोकार्पण भी किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान में देश व पूरा विश्व सबसे बड़ी त्रासदी कोविड-19 से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन में पूरा देश कोविड-19 से लड़ रहा है। इस आपदा से गरीब और अन्य सामान्य जन को किसी प्रकार की कोई समस्या न हो इसके लिए प्रधानमंत्री जी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की। इस पैकेज के अन्तर्गत गरीबों को नवम्बर, 2020 तक निःशुल्क खाद्यान्न देने की व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने भी तीन महीने तक प्रत्येक लाभार्थी को निःशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने सुनिश्चित किया है कि शासन की योजनाओं का लाभ समाज के अन्तिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को अवश्य मिले। इसी के तहत आज एक साथ नौ लाख 8 हजार 855 प्रवासी श्रमिकों के बैंक खातों में एक-एक हजार रुपये की धनराशि अन्तरित की गयी है। उन्होंने स्किल मैपिंग के माध्यम से प्रत्येक कामगार एवं श्रमिक को उसकी योग्यता के अनुरूप कार्य उपलब्ध कराने का डाटा तैयार करने के लिए राजस्व विभाग की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में कौशल प्राप्त लोगों को उद्योगों में समायोजित किया गया है। वर्तमान में 50 लाख से अधिक लोग उद्योगों में काम कर रहे हैं। वृक्षारोपण कार्यक्रम, तालाब व नदियों के पुनर्जीवन सहित अन्य विकास व निर्माण कार्यों से श्रमिकों को जोड़ा गया है, जिससे उत्तर प्रदेश का नवनिर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी को 2,000 रुपये की धनराशि उपलब्ध करायी गयी है। इसके अलावा, उज्ज्वला योजना के प्रत्येक लाभार्थी को निःशुल्क गैस सिलेंडर देने की व्यवस्था सितम्बर, 2020 तक कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी श्रमिकों और कामगारों के वापस आने पर उन्हें राशन किट व उनके खाते में 1,000 रुपये की धनराशि उपलब्ध करायी गयी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनपद बाराबंकी, लखीमपुर खीरी, हरदोई, उन्नाव तथा फिरोजाबाद के लाभार्थियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद किया।

बिरयानी भारतीयों की पसंदीदा व्यंजन

कोविड-19 महामारी और उसके चलते लगाये गये लॉकडाउन के कारण कई लोगों ने रसोई में विभिन्न व्यंजनों को लेकर हाथ आजमाने शुरू कर दिये और जो लोग ऐसा नहीं कर सकते थे उन्होंने अपने पसंदीदा खाने के लिए ऑनलाइन ऑर्डर की शरण ली। एक नयी रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान भारतीयों के बीच सबसे अधिक ‘बिरयानी’’ की मांग रही। भोजन एवं व्यंजन पहुंचाने वाले मंच स्विगी की ‘स्टेटिस्टिक्स रिपोर्ट: क्वारांइटाइन एडिशन’ में पाया गया कि भारतीयों ने अपने पसंदीदा रेस्तराओं से ‘5.5 लाख से अधिक बार’ बिरयानी का आर्डर किया। लोगों की पसंदीदा सूची में बिरयानी के बाद बटर नान के लिए 3,35,185 और मशाला डोसा के लिए 3,31,423 बार आर्डर किये गये। स्विगी के अनुसार बिरयानी लगातार चौथे साल सबसे अधिक आर्डर किये जाने वाले व्यंजनों में शीर्ष पर रही। भारतीय लॉकडाउन के इन अनिश्चित महीनों में लोग अपना मुंह मीठा करने से भी नहीं भूले। इस दौरान उन्होंने 1,29,000 बार चोको लावा केक आर्डर किये। विभिन्न शहरों में पिछले महीने में स्विगी पर किये गये आर्डर के विश्लेषण में कहा गया है, ''गुलाब जामुन 84,558 बार और बटरस्कोच माउसेज केक 27,317 बार आर्डर किये गये।’’ रिपोर्ट के अनुसार रोज रात आठ बजे तक भोजन के औसतन 65000 आर्डर किये गये।

पंजाब सरकार ने देखभाल केन्द्र शुरू किया

पंजाब सरकार ने 60 साल से कम आयु वाले बिना लक्षणों और हल्के लक्षणों वाले मरीजों की देखभाल के लिए 10 जिलों में कई कोविड देखभाल केन्द्र स्थापित किए हैं, जहां कुल 7,520 बिस्तर उपलब्ध होंगे। शुक्रवार को जारी सरकारी बयान के अनुसार, शेष 12 जिलों में से ऐसे ही केन्द्र बनाए जाएंगे और प्रत्येक जिले में 100 बिस्तरों की व्यवस्था होगी। नए कोविड देखभाल केन्द्र काम करने लगे हैं और इनके तहत मोहाली में कुल 1,500 बिस्तर उपलब्ध हैं, जिनमें से चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में 1,000 बिस्तर और ज्ञान सागर अस्पताल में 500 बिस्तर हैं। लुधियाना में 1,200 बिस्तरों वाला केन्द्र काम कर रहा है जबकि जालंधर और अमृतसर में एक-एक हजार बिस्तर उपलब्ध हैं। बठिंडा में 950, संगरुर में 800, पटियाला में 470, पठानकोट में 400 और फाजिल्का तथा फरीदकोट में 100-100 बिस्तर उपलब्ध हैं। बयान के अनुसार, ये सभी केन्द्र स्कूलों और अन्य संस्थानों के भवनों में बनाए गए हैं। इनमें फिलहाल 7,000 से ज्यादा बिस्तर लगे हुए हैं और जरुरत के आधार पर इन्हें बढ़ाकर 28,000 बिस्तर किया जा सकता है। इन केन्द्रों के संचालन का काम जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के हवाले है। पंजाब में अभी तक करीब 12,000 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जबकि संक्रमण से 277 लोगों की मौत हुई है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बनायी समिति

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष के नेतृत्व में एक समिति गठित करने का निर्णय किया। भारत में रहकर अधिक छात्र पढ़ सकें तथा कोविड-19 के कारण विदेशों से भारतीय छात्र सुचारू रूप से स्वदेश वापसी कर सके, समिति इससे संबंधित उपायों के बारे में अपने सुझाव देगी। केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने यह घोषणा की। निशंक ने ‘भारत में रूके और भारत में पढ़ें’’ विषय पर मंत्रालय से जुड़े तकनीकी एवं स्वायत्त संस्थानों के प्रमुखों के साथ गहन विचार विमर्श किया। इस बैठक में यूजीसी, एआईसीटीई के प्रमुखों, मंत्रालय के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। अधिकारियों ने बताया ‘‘समिति एक पखवाड़े में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।’’ मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस बैठक में निर्णय किया गया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एक समिति का नेतृत्व करेंगे जो अधिक से अधिक छात्रों के भारत में रहकर अध्ययन करने के संबंध में दिशानिर्देश और उपाय सुझायेगी। यह समिति अच्छा प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालयों में दाखिला बढ़ाने के लिये एक तंत्र भी सुझायेगी। इसमें बहु-विषय और एवं नवोन्मेषी कार्यक्रम शुरू करने को लेकर व्यवस्था तलाशी जायेगी। साथ ही सेंटरों की क्रॉस कंट्री डिजाइनिंग, विदेश में प्रख्यात शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन व्याख्यान की सुविधा, शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के बीच जुड़ाव की सुविधा, जॉइंट डिग्री वेंचर्स की सुविधा और उच्च शिक्षण संस्थानों में बाद में भी दाखिले की व्यवस्था की जाएगी। बयान के अनुसार, एआईसीटीई के अध्यक्ष तकनीकी संस्थानों से संबंधित मुद्दों की देख-रेख करेंगे। बैठक में यह भी तय किया गया कि आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी के निदेशकों और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के सीओए और कुलपतियों वाली उप समितियां गठित की जाएंगी जो यूजीसी के अध्यक्ष और एआईसीटीई के अध्यक्ष की सहायता करेंगी। शिक्षा क्षेत्र के अनुभव को देखते हुए एनटीए के अध्यक्ष और सीबीएसई के अध्यक्ष को भी सुझाव देने के लिए बुलाया जा सकता है। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि विदेशों में पढ़ने के इच्छुक कई छात्रों ने कोविड-19 के कारण भारत में ही रहने और यहां अपनी पढ़ाई करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ''अपनी पढ़ाई पूरी होने की चिंता के साथ भारत लौटने वाले छात्रों की संख्या भी बढ़ रही है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इन दोनों तरह के छात्रों की जरूरतों पर ध्यान देने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह स्थिति चिंता के दो महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ी है।’’ निशंक ने कहा, ''वर्ष 2019 के दौरान लगभग सात लाख 50 हजार छात्रों ने अपनी पढ़ाई के लिए विदेश यात्रा की और इस वजह से मूल्यवान विदेशी मुद्रा भारत से बाहर चली गई और साथ ही कई प्रतिभावान छात्र विदेश चले गए।’’ उन्होंने कहा कि हमें भारत में अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिभावान छात्रों की मदद करने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए। साथ ही सरकार के घोषणापत्र के अनुसार वर्ष 2024 तक सभी प्रमुख संस्थानों में सीट क्षमता 50 प्रतिशत बढ़ानी होगी और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संख्या 2024 तक बढ़ाकर 50 करनी होगी। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों के समाधान के लिए छात्रों के वर्तमान और भविष्य की शैक्षिक आवश्यकताओं और करियर योजनाओं की गहन समझ की आवश्यकता होती है, जिन्हें समय पर जरूरी हस्तक्षेप के साथ उचित रूप से संबोधित करने की आवश्यकता है।

मास्क नहीं लगाने पर जुर्माना

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में बिना मास्क लगाये घर से बाहर निकलने वालों पर 5000 रूपये जुर्माना और राजधानी शिमला में ऐसा करने वालों पर 1000 रूपये का जुर्माना लगेगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अपने फेसबुक और ट्विटर एकाउंट पर हमीरपुर के पुलिस अधीक्षक अरजीत सेन ठाकुर ने कहा कि जो बिना मास्क लगाये घर से बाहर निकलेंगे, उन पर 5000 रूपये का जुर्माना लगेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मास्क लगाना अनिवार्य बनाया है। ऐसा ही बयान शिमला के उपायुक्त अमित कश्यप ने जारी किया जिसमें कहा गया है कि मास्क नहीं लगाने या ठीक ढंग से नहीं लगाने वालों पर 1000 रूपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

एम्स में व्यक्ति को दी गयी पहली खुराक

नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए भारत के पहले स्वदेश निर्मित टीके ‘कोवेक्सिन’ के मनुष्य पर क्लीनिकल ट्रायल का पहला चरण शुक्रवार को यहां एम्स में शुरू हो गया और 30 से 40 साल की बीच की उम्र के एक व्यक्ति को पहला इंजेक्शन लगाया गया। एम्स में परीक्षण के लिए पिछले शनिवार से 3,500 से अधिक लोग अपना पंजीकरण करा चुके हैं जिनमें से कम से कम 22 की स्क्रीनिंग चल रही है। यह जानकारी एम्स में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रोफेसर और मुख्य अध्ययनकर्ता डॉ संजय राय ने दी। राय ने बताया, ‘‘दिल्ली निवासी पहले व्यक्ति की दो दिन पहले जांच की गयी थी और उसके सभी स्वास्थ्य मानदंड सामान्य स्तर पर पाये गये। उसे कोई अन्य बीमारी भी नहीं है। इंजेक्शन से 0.5 मिलीलीटर की पहली डोज उसे दोपहर 1.30 बजे के आसपास दी गयी। अभी तक कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखाई दिया है। वह दो घंटे तक देखरेख में था और अगले सात दिन उस पर निगरानी रखी जाएगी।’’ क्लीनिकल परीक्षण में शामिल कुछ और प्रतिभागियों की स्क्रीनिंग रिपोर्ट आने के बाद शनिवार को उन्हें टीका लगाया जाएगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ‘कोवेक्सिन’ के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए एम्स समेत 12 संस्थानों को चुना है। पहले चरण में 375 लोगों पर परीक्षण होगा और इनमें से अधिकतम 100 एम्स से होंगे। राय के अनुसार दूसरे चरण में सभी 12 संस्थानों से मिलाकर कुल करीब 750 लोग शामिल होंगे। पहले चरण में टीके का परीक्षण 18 से 55 साल के ऐसे स्वस्थ लोगों पर किया जाएगा जिन्हें अन्य कोई बीमारी नहीं है। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के अनुसार दूसरे चरण में 12 से 65 साल की उम्र के 750 लोगों पर यह परीक्षण किया जाएगा। अभी तक एम्स पटना और कुछ अन्य संस्थानों में भी पहले चरण का मानव परीक्षण शुरू हो चुका है। डॉ. गुलेरिया ने कहा था, ‘‘पहले चरण में हम टीके की सुरक्षा देखते हैं जो सबसे महत्वपूर्ण है और खुराक की रेंज भी मापी जाती है।’’ 

शून्य मृत्यु दर पर ध्यान केंद्रित करना होगा

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि उनका प्रशासन राज्य में कोविड-19 से शून्य मृत्यु दर पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जहां संक्रमण और मौत के मामले देश में सर्वाधिक हैं। राज्य में बृहस्पतिवार तक संक्रमितों की संख्या तीन लाख 47 हजार 502 हो गई जबकि संक्रमण से मरने वालों की संख्या अभी तक 12,854 हो गई है। चिकित्सकों की बैठक को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रशासन से कहा कि लोगों में वायरस की जांच को लेकर शिथिलता नही बरती जाये। ठाकरे ने कहा, ‘‘मृत्यु दर कम करके शून्य तक लाने पर हमारा ध्यान केंद्रित होना चाहिए।’’ उन्होंने पूरे राज्य में उपचार में एकरूपता लाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने मुंबई में कार्य बल की प्रशंसा की।

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सामुदायिक प्रतिरोध क्षमता विकसित होने में समय लगेगा

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि कोविड-19 के खिलाफ ‘‘हर्ड इम्युनिटी’’ विकसित होने में अभी लंबा वक्त लगेगा और टीका आने के बाद ही इसमें तेजी आएगी। कोविड-19 के खिलाफ बड़ी आबादी में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने को ही ‘‘हर्ड इम्युनिटी’’ कहा जाता है। जिनेवा से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा शुक्रवार को आयोजित सोशल मीडिया लाइव कार्यक्रम में वैज्ञानिक ने कहा कि नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता के स्तर पर पहुंचने के लिए संक्रमण के और दौर की जरूरत होगी। इसलिए उन्होंने चेतावनी दी कि कम से कम अगले वर्ष या उसके बाद दुनिया में कोरोना वायरस से निजात पाने में ‘‘तेजी आएगी’’, हालांकि वैज्ञानिक टीका बनाने को लेकर काम कर रहे हैं। इस बीच चिकित्सा से मृत्यु दर कम करने में मदद मिलेगी और लोग जीवन जी सकेंगे। स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘हर्ड इम्युनिटी की अवधारणा के लिए आपको 50 से 60 फीसदी आबादी में प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए ताकि संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘टीका से ऐसा करना ज्यादा आसान होगा, हम इसे तेजी से पा सकते हैं, जिसमें लोग बीमार नहीं पड़ें और मरें नहीं। इसलिए हर्ड इम्युनिटी को नैसर्गिक संक्रमण के माध्यम से प्राप्त करना ज्यादा बेहतर है। संक्रमण के कई चरण आएंगे और दुर्भाग्य से हमें लोगों को मरते देखना पड़ रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ समय में लोगों में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने लगेगी। हमें कई प्रभावित देशों में हुए अध्ययनों से पता चलता है कि सामान्य तौर पर आबादी के पांच से दस फीसदी में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। कुछ स्थानों पर यह उससे अधिक है, 20 फीसदी तक।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर क्लीनिकल परीक्षण सफल होते हैं और इस वर्ष के अंत तक कुछ टीके आ भी जाते हैं तो हमें अरबों खुराक की जरूरत होगी, जिसमें वक्त लगेगा।’’ टीका विकास के बारे में मुख्य वैज्ञानिक ने कहा कि 200 से अधिक कंपनियां टीका विकास के अलग-अलग चरण में हैं और उन्होंने कोरोना वायरस को समझने में आई तेजी को उजागर किया। उन्होंने कहा, ‘‘टीका का विकास करना सामान्य तौर पर लंबा और श्रमसाध्य प्रक्रिया है... हमारे पास टीका विकसित करने के जितने अधिक उम्मीदवार होंगे, सफलता के उतने अधिक अवसर होंगे।’’ कोविड-19 का टीका कभी विकसित नहीं होने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘हमें इस संभावना को स्वीकार करना होगा। हमें इस वायरस के साथ जीना सीखना पड़ेगा।’’ डॉ. स्वामीनाथन भारत की बाल रोग विशेषज्ञ हैं और पूरी दुनिया में तपेदिक और एचआईवी की प्रसिद्ध शोधकर्ता हैं।

पशुओं में प्रतिरोधक क्षमता विकसित की

चीन में मनुष्य पर परीक्षण के शुरुआती स्तर से गुजर रहे कोविड-19 रोधी टीके ने चूहों और अफ्रीकी बंदरों में नोवेल कोरोना वायरस के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित की है। एक नये अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। चीन के सिंघुआ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों समेत अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि एआरसीओवी ने चूहों और बंदरों में नोवेल कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटीबॉडी तथा कोशिका आधारित प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित किया। पत्रिका सेल में शुक्रवार को प्रकाशित अध्ययन के अनुसार एआरसीओवी का मनुष्य पर परीक्षण के पहले चरण में मूल्यांकन किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में लिखा, ‘‘हमारे निष्कर्षों में सामने आया कि एआरसीओवी टीके की दो डोज ने चूहों में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटीबॉडी के स्तर को बढ़ाया है।’’

-नीरज कुमार दुबे

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