सामाजिक मान्यता भले न हो पर बाजार ने मान्यता दे दी है वेलेंटाइन डे को
दुनिया भर में हर साल 14 फरवरी को मनाया जाने वाला वेलेंटाइन डे भारत में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। तमाम विरोधों के बावजूद इस पर्व ने युवाओं के बीच गहरी पैठ बना ली है।
दुनिया भर में हर साल 14 फरवरी को मनाया जाने वाला वेलेंटाइन डे भारत में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। तमाम विरोधों के बावजूद इस पर्व ने युवाओं के बीच गहरी पैठ बना ली है। आज हर वर्ग का युवा इस पर्व के इंतजार में रहता है और इसे अपने तरीके से मनाता है। इस पर्व को भारत में सामाजिक मान्यता भले ही न मिली हो लेकिन हमारे बाजारों ने इसे मान्यता दे दी है। तभी तो भारतीय पर्वों पर सजने वाले बाजार इस पर्व पर भी सजने लगे हैं और तरह−तरह के उपहारों से बाजार पटा पड़ा है।
वेलेंटाइन संत के नाम पर इस पर्व का नामकरण किया गया था जिनके बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। संत वेलेंटाइन के बारे में कहा जाता है कि वह प्राचीन रोम में एक धर्मगुरु थे। उन दिनों वहां सम्राट क्लाडियस−2 का शासन था। क्लाडियस का मानना था कि अविवाहित युवक बेहतर सैनिक हो सकते हैं क्योंकि युद्ध के मैदान में उन्हें अपनी पत्नी या बच्चों की चिंता नहीं सताती। इस मान्यता के कारण उन्होंने रोम में युवकों के विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय संत वेलेंटाइन ने क्लाडियस−2 के इस अन्यायपूर्ण फैसले का विरोध करने का फैसला किया।
संत वेलेंटाइन ने सम्राट के फैसले के खिलाफ बिगुल बजा दिया और उनके आदेश का उल्लंघन करते हुए प्रेम करने वाले कई युवक−युवतियों का गुप्त विवाह कराया। जब इस बात का पता सम्राट को चला तो उसने संत वेलेंटाइन को 14 फरवरी के दिन फांसी की सजा दे दी। कहा जाता है कि तभी से संत वेलेंटाइन के इस त्याग के कारण हर साल युवा प्रेमी उनकी याद में वेलेंटाइन डे मनाते हैं।
इस दिन युवा न सिर्फ अपने प्रेम का इजहार करते हैं बल्कि अपने रूठे साथी को भी मना लेते हैं। प्रेम का संदेश देने वाले इस पर्व का युवाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है। बरसों से किसी से दोस्ती का सपना संजोए लोग इस दिन अपने अमुक दोस्त से अपने प्यार का इजहार करते हैं और इस दिन वह दोस्ती लगभग स्वीकार भी कर ली जाती है।
युवाओं के दिलों में अपनी जगह बना चुका यह पर्व तेजी से अपनी लोकप्रियता बढ़ा रहा है इस पर्व के प्रति दीवानागी का अहसास इसी बात से हो जाता है कि आज सोलह साल का युवा भी इस पर्व के दिन अपने साथी से अपने प्यार का इजहार करता हुआ नजर आता है।
हर पर्व की तरह इस पर्व के दौरान भी कुछ असामाजिक तत्व अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इसलिए युवाओं को चाहिए कि वह एकांत में जाने से बचें। युवाओं को चाहिए कि इस पर्व को सिर्फ मौज−मस्ती का पर्व ही न समझें बल्कि इस पर्व की गंभीरता और इसके पीछे के संदेश को ध्यान में रखते हुए अपने साथी से सच्चे प्यार का इजहार करें।
इस दिन चूंकि उपहारों को देने का भी चलन है तो आप अपने साथी को एक गुलाब से लेकर शानदार घड़ी तक दे सकते हैं। वैसे बाजारों में आज तरह−तरह के बुके, चाकलेट पैकेट, किताबें, म्यूजिक सीडी व कैसेट, कपड़े, घड़ियां आदि कई प्रकार की चीजें उपहार में देने के लिए बिक्री हेतु उपलब्ध हैं। आप अपने बजट के अनुसार, इनमें से सर्वश्रेष्ठ का चुनाव कर उसे अपने साथी को दे सकते हैं।
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