भैया, सिर्फ मुझे ही नहीं हर लड़की को मान-सम्मान देना

Brother, not just me, respect every girl
प्राची थापन । Aug 5 2017 5:49PM

राखी का ये त्यौहार देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा तथा लोगों के हितों की रक्षा के लिए बाँधा जाने वाला महापर्व है। जिसे धार्मिक भावना से बढ़कर राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

भारत में तीज त्यौहारों का मेला पूरे साल भर लगा रहता है ताकि भारत में प्रेम की भावना कायम रहे। रक्षा बंधन अपने ही सौन्दर्य में रंगा हुआ, एक ऐसा ही अनोखा उत्सव है। यह भाई बहन के अटूट रिश्ते और प्रेम का त्यौहार है। हम बचपन से ही देखते आये हैं कि सभी बहनें अपने भाइयों को राखी बाँधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देता है और वह पूरी कोशिश भी करता है की जब कभी भी उसकी बहन को उसकी जरूरत हो, तो वह हमेशा एक ढाल की तरह उसकी हर मुसीबत में उसके साथ रहे। इस त्यौहार का संबंध ज्यादातर भारत के उत्तर और पश्चिमी इलाकों से है लेकिन काफी समय से यह भारत में सभी जगह यह राष्ट्रीय पर्व की तरह बड़ी ही ख़ुशी के साथ सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

राखी के इस त्यौहार का पारम्परिक तरीका हम सभी जानते हैं और हर साल उसी पारम्परिक तरीके का पालन भी करते हैं। लेकिन ऐसा कहीं और किसी भी किताब में नहीं लिखा है और ना ही हमारी संस्कृति भी ऐसा बोलती है की जिस किसी का भाई नहीं है या जिस किसी की बहन नहीं वो इस पवित्र राखी के त्यौहार को नहीं मना सकता है। ऐसा कदापि नहीं है मैं खुद इस बात की साक्षी हूँ। बचपन में जब तक मेरे भाई नहीं थे मैंने हर राखी अपने पापा को बाँधी है और आज भी भाइयों के साथ साथ अपने पापा को भी राखी बांधती हूँ। हम लोगों में से कुछ रूढ़िवादी लोगों ने इसे संस्कृति, धर्म और परम्परा का नाम देकर इसे सिर्फ भाइयों तक ही सीमित कर दिया है। हम सभी राखी से सम्बंधित पौराणिक कथाओं से भली भांति परिचित हैं फिर चाहे इंद्राणी द्वारा इंद्र को बाँधा गया रक्षा सूत्र हो, श्री कृष्णा जी की सलाह पर सैनिकों और पांडवों को बाँधा गया रक्षा सूत्र या फिर रानी कर्मवती द्वारा हुमांयू को भेजा गया रक्षासूत्र हो, कहानी कोई भी रही हो इस पर्व के पीछे का सार या इसे प्रचलन में लाने का मकसद सिर्फ सुरक्षा की भावना का था।

राखी के असल मतलब से आप क्या समझते हैं रक्षा का अटूट धागा जो एक सुरक्षा की भावना से आपसी प्रेम और परस्पर रिश्तों की मिठास के लिए बांधा जाता है। जिसको भी आप ये प्रेम का धागा बाँधते हो उससे अपनी सुरक्षा की अपेक्षा रखते हो कि वह हमारी मुसीबत में हमें सहारा दे, या एक ढाल की तरह हमारी सुरक्षा करे तो यह सब हम लोगों के माँ बाप भी करते हैं और आजीवन करते हैं। इस हिसाब से तो हमें उनको भी राखी बांधनी चाहिए। रविन्द्रनाथ टैगोर ने तो, रक्षाबंधन के त्यौहार को स्वतंत्रता के धागे तक में पिरो डाला। उनका कहना था कि, राखी केवल भाई-बहन का त्यौहार नहीं है अपितु ये इंसानियत का पर्व है, भाई-चारे का पर्व है। जहाँ जातीय और धार्मिक भेद-भाव भूलकर हर कोई एक दूसरे की रक्षा कामना हेतु वचन देता है और रक्षा सूत्र में बँध जाता है। जहाँ भारत माता के पुत्र आपसी भेद-भाव भूलकर भारत माता की स्वतंत्रता और उसके उत्थान के लिए मिलजुल कर प्रयास करते।

रक्षा के नजरिये से देखें तो, राखी का ये त्यौहार देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा तथा लोगों के हितों की रक्षा के लिए बाँधा जाने वाला महापर्व है। जिसे धार्मिक भावना से बढ़कर राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। भारत जैसे विशाल देश में बहनें सीमा पर तैनात सैनिकों को रक्षासूत्र भेजती हैं एवं स्वयं की सुरक्षा के साथ साथ उनकी लम्बी आयु और सफलता की भी कामना करती हैं। हमारे देश में राष्ट्रपति भवन में तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में भी रक्षाबंधन का आयोजन बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है। 

ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि रक्षा की कामना लिये भाई-चारे और सद्भावना का ये धार्मिक पर्व सामाजिक रंग के धागे से बंधा हुआ है। जहाँ लोग जातीय और धार्मिक बंधन भूलकर एक रक्षा सूत्र में बंध जाते हैं। अंत में कुछ पंक्तियाँ इस खास भाई बहन के पर्व के लिए-

मेरे भईया अबकी बार बड़ा निराला है राखी का त्यौहार

लिया धागा कच्चा मैंने पिरो दिया है अपना प्यार

एक मोती है प्यार का एक मोती दुलार का 

बहुत ही खास और पवित्र रिश्ता है प्यार का

बचपन की यादों का चित्रहार,

हर घर में खुशियों का उपहार

दिल का सुकून और मीठा सा ज़ज्बात

शब्दों की नहीं ये है दिल से दिलों की बात

भाई बहन के रिश्तों का पवित्र अहसास

राखी घोलती है इस रिश्ते में मिठास

सावन की पूर्णिमा का दिन होता है ये ख़ास 

साल भर रहती बहनों को जिसकी आस

बात बात पर झड़प और बात बात पर लड़ाई

भाई बहन की रब ने क्या जोड़ी है बनाई

भाई करे बहन की रक्षा या बहन करे भाई की

बस ये बात है हर माँ, बेटी और बहन के सम्मान की

देना चाहो यदि तुम मुझे कुछ उपहार 

ना चाहूँ धन दौलत बस चाहूँ एक उपकार

वही रक्षा वही आदर वही सम्मान देना

दिल ना दुखाना किसी का वही मान देना

- प्राची थापन

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