लड़कियों के लिए पाक कला में दक्ष होना आज भी है जरूरी

ईशा । May 17 2017 2:50PM

हालांकि शिक्षा के प्रसार से स्थितियां बदली हैं। मगर लड़की कितनी पढ़ी लिखी हो, हर मां यह चाहती है कि बेटी को अच्छा खाना बनाना जरूर आ जाए।

भारत संभवतः दुनिया में अकेला देश है, जहां बेटियों का बचपन होते ही माएं उन्हें पाक कला में निपुण बनाने की कोशिश में जुट जाती हैं। शायद यही वजह है कि जब बात विवाह की आती है तो मां−बाप वर पक्ष से बेटी की पाक कला का जिक्र करना नहीं भूलते। हालांकि शिक्षा के प्रसार से स्थितियां बदली हैं। मगर लड़की कितनी पढ़ी लिखी हो, हर मां यह चाहती है कि बेटी को अच्छा खाना बनाना जरूर आ जाए। यही हाल युवकों का है कि वे पढ़ी−लिखी और नौकरी करने वाली लड़की तो चाहते हैं साथ में एक शर्त यह भी होती है कि वह पाक कला में भी जरूर दक्ष हो।

यही कारण है कि भारतीय लड़कियां पढ़ाई−लिखाई के साथ मां के साथ किचन में हाथ बंटाते हुए स्वादिष्ट भोजन बनाना सीखती जाती हैं। विवाह से कुछ महीने पहले कई लड़कियां तो कुकरी क्लासेज में नई डिशेज बनाना सीखती हैं।

शादी के बाद एक तरफ पति का प्यार पाने के लिए ज्यादातर युवतियों की कोशिश होती है कि वे अच्छी से अच्छी चीजें बना कर उन्हें खुश करें। जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो उनकी फरमाइशें पूरी करने के लिए गृहणियां नए प्रयोग करती हैं। इस लिहाज से देखें तो हर एक मां और हर एक अच्छी गृहिणी मास्टर शेफ न सही, अपने घर की शेफ जरूर है।

भारत जैसे देश में जहां आज की गरीबी के कारण लाखों लोगों को दो वक्त का भोजन नहीं मिलता, वहीं मध्यवर्ग में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से खाने में पौष्टिकता पर जोर दिया जाने लगा है। इसके साथ ही स्वादिष्ट डिश कैसे बने, इसकी जुगत मध्य वर्ग की महिलाएं जरूर करती हैं। क्योंकि खाना पौष्टिक हो और उसमें जायका न हो, तो बच्चे तो क्या बड़े भी नहीं खाते। लिहाजा महिलाओं की जिम्मेदारी दोहरी हो गई है। चटपटे खाने के फेर में पड़े घर के सदस्यों को पौष्टिक खाना खिलाना भी जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो इसका सेहत पर असर पड़ सकता है। यही वजह है कि स्वादिष्ट और नए−नए व्यंजन बनाने के तरीके बताने वाले टीवी चैनल भी पौष्टिकता पर विशेष जोर दे रहे हैं।

टीवी चैनलों का प्रभाव सभी चीजों पर पड़ा है, तो भला किचन और घर की थाली कैसे बच पाती। अब तो पुरुष भी किचन में घुस कर नए प्रयोग कर रहे हैं। महिलाओं पर घर−परिवार का बोझ तो है ही, अब नए व्यंजन बनाने का दबाव भी है। घर के लोग शाकाहारी व्यंजनों के साथ मांसाहार में भी नए प्रयोग चाहते हैं। डर यह कि अच्छा बना तो बल्ले−बल्ले और अगर डिश बिगड़ गई तो जायका खराब हो जाता है। 

घर पर बार−बार एक ही शैली में बना खाना खा कर उकता चुके लोगों को शिप्रा खन्ना और पंकज कपूर जैसे मास्टर शेफ ने नई राह दिखाई है। साबित हो गया है कि घर पर ही कम बजट में फाइव स्टार खाना बन सकता है। ये वो डिशेज हैं, जिन्हें होटलों में खाने के लिए मोटे बिल चुकाने पड़ते हैं। नए व्यंजन बनाने का यह जोश घर में भोजन की संस्कृति में नया बदलाव लाने वाला है। नए अंदाज में सजी हुई घर की थाली जब फाइवस्टार होटल के खाने का मुकाबला करेगी, तो लोग बाहर जाने की बजाए होम मेड खाना ही खाएंगे।

घर पर खाने में नए प्रयोग करने का उत्साह केवल माओं में ही नहीं, बेटियों में भी बढ़ा है। नई पीढ़ी को भी लगने लगा है कि बाहर फिजूलखर्ची करने के बजाय क्यों न घर पर ही नई डिश बनाई जाए और कुछ नए प्रयोग किए जाएं। कालेज जाने वाली युवतियां ही नहीं, दसवीं−बारहवीं की लड़कियां भी नई−नई रेसिपी में दिलचस्पी ले रही हैं। वैसे भी घर पर नए और स्वादिष्ट व्यंजन बनाने का आनंद तो है ही, गृहणियों को संतोष भी मिलता है। यह संतोष और आनंद इसलिए भी बढ़ा है, क्योंकि उनकी पाक विद्या में रचनात्मकता भी बढ़ गई है।

ईशा

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