पति-पत्नी को बांधे रखने में मददगार है विश्वास रूपी धागा

मिताली जैन । Nov 1 2017 4:23PM

जब दो लोग एक−दूसरे के साथ मिलकर अपना संसार बसाते हैं तो विश्वास रूपी धागा ही उनके रिश्ते की डोर को बांधे रखता है और उस डोर को मजबूती देने का काम करता है सपोर्ट।

कहते हैं कि अगर मनुष्य के पास अपनों का साथ हो तो वह जीवन की कठिन परिस्थितियों व बाधाओं को भी आसानी से पार कर जाता है। किसी अपने के सपोर्ट से मनुष्य के भीतर एक आत्मविश्वास का संचार होता है और वह नाकाम लगने वाले कार्यों को भी अपनी मेहनत व सपोर्ट से पूरा कर लेता है। अगर बात दांपत्य जीवन की हो तो वहां पर भी प्यार के अतिरिक्त विश्वास व छोटी−बड़ी बातों में सपोर्ट की बेहद आवश्यकता होती है। तो आईए जानते हैं रिश्ते को खुशनुमा बनाने के लिए एक−दूसरे के साथ के महत्व के बारे में−

हो जाते हैं एक

पति−पत्नी एक−दूसरे के पूरक कहे जाते हैं अर्थात एक की अनुपस्थिति दूसरे को अधूरा बनाती है। जब दो लोग एक−दूसरे के साथ मिलकर अपना संसार बसाते हैं तो विश्वास रूपी धागा ही उनके रिश्ते की डोर को बांधे रखता है और उस डोर को मजबूती देने का काम करता है सपोर्ट। वैवाहिक जीवन में व्यक्ति एक न रहकर हम में तब्दील हो जाता है। इसलिए जीवन में चाहे खुशियां हो या फिर मुश्किल भरे दिन, रिश्ते को हेल्दी व खुशनुमा रखना है तो इसके लिए एक दूसरे का साथ देना बहुत जरूरी है। भारतीय समाज में तो शादी करने की एक बड़ी वजह भी यही होती है कि व्यक्ति किसी खास का साथ अपनी जिंदगी में जीवनभर चाहता है।

न करें अनदेखी

अक्सर देखने में आता है कि शादी के शुरूआती दिनों में तो पति−पत्नी हर बात एक−दूसरे से शेयर करते हैं और उनकी राय जानते हैं, लेकिन बाद में ऐसा करना जरूरी नहीं समझते। जो उनके रिश्ते के लिए काफी घातक सिद्ध होता है। कभी−कभी तो बात तलाक तक पहुंच जाती है। जो दंपति जीवन के अनेक वर्ष साथ बिताने के बाद एक−दूसरे से अलग होने का फैसला करते हैं। उसकी मुख्य वजह एक−दूसरे की भावनाओं की अनदेखी व साथ की कमी ही होती है। अक्सर महिलाओं की यह शिकायत होती है कि उनके पति उनके साथ होकर भी नहीं होते। शादी के बाद भी वह वही लाइफ जीते हैं तो शादी से पहले जिया करते थे। ऐसे में उन्हें न तो उनका प्यार मिलता है और न ही साथ। बिना जीवनसाथी के सपोर्ट के उन्हें जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं पुरूषों की यह शिकायत होती है कि उनकी पत्नियां न तो उन्हें समझती हैं और उनके जीवन जीने के तरीकों में भी बहुत सी बंदिशें लगाती हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है वे न सिर्फ एक−दूसरे की बात को समझें बल्कि अपनी बात को भी समझाकर एक−दूसरे का साथ पाएं। 

रिश्ता बने अटूट

वैसे तो पति−पत्नी के रिश्ते को अटूट माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ समय में तलाक के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। अगर आप चाहते हैं कि आपका रिश्ता वास्तव में अटूट बने तो जीवनसाथी को इस बात का अहसास कराना बेहद आवश्यक है कि आप जीवन की हर परिस्थिति में उसका साथ देंगे। यही अहसास आपके रिश्ते में प्यार व विश्वास का संचार करेगा और वास्तव में तभी आपका रिश्ता अटूट बनेगा। याद रखें कि जब लड़की अपना परिवार छोड़कर नए घर में कदम रखती है तो वह सिर्फ एक व्यक्ति के भरोसे ही संभव होता है। उसे जितने भी नए रिश्ते सौगात में मिलते हैं वह उसी जीवनसाथी की बदौलत होते हैं। ऐसे में वह उम्मीद रखती है कि उसका जीवनसाथी हमेशा उसका हाथ थामकर उसे सपोर्ट करता रहेगा। और जब वास्तविकता में भी ऐसा ही होता है तो उनका रिश्ता पहले से भी मजबूत हो जाता है। वहीं अगर ऐसा नहीं होता तो न सिर्फ लड़की को नए घर में एडजस्ट करने में दिक्कत होती हैं, बल्कि घर में मनमुटाव व झगड़े भी बढ़ने लगते हैं। दूसरी ओर लड़के की जिंदगी में भले ही सभी रिश्ते मौजूद हों लेकिन वह अपनी जीवनसंगिनी से जीवन की धूप−छांव में साथ की अपेक्षा रखता है। फिर चाहे बात बड़ी हो छोटी, एक दूसरे को समझकर उसकी भावनाओं का सम्मान करना ही इस रिश्ते की खूबसूरती बयां करती है।

- मिताली जैन

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