किचन में वास्तु के हिसाब से ही रखें चीजें, परिवार सुखी रहेगा

Things to keep in the kitchen according to Vaastu
मिताली जैन । May 14 2018 5:27PM

उपनिषदों में कहा गया है कि जैसा अन्न, वैसा मन अर्थात् हम जैसा भोजन करते हैं, उसी के अनुसार हमारा शारीरिक और मानसिक विकास होता है। शुद्ध व पवित्र भोजन मनुष्य को आयु, गुण, बल, आरोग्य तथा सुखी बनाता है।

उपनिषदों में कहा गया है कि जैसा अन्न, वैसा मन अर्थात् हम जैसा भोजन करते हैं, उसी के अनुसार हमारा शारीरिक और मानसिक विकास होता है। शुद्ध व पवित्र भोजन मनुष्य को आयु, गुण, बल, आरोग्य तथा सुखी बनाता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपका भोजन आरोग्यवर्धक है तो इसके लिए जरूरी है कि आपकी रसोई भी स्वच्छ हो। वहीं अगर आप अपनी रसोई बनाते समय वास्तु संबंधी नियमों पर भी ध्यान दें तो सोने पर सुहागा। परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए आपकी किचन का वास्तुआधारित होना आवश्यक है। 

दिशाओं पर दें ध्यान 

रसोई समृद्धि का प्रतीक होती है, इसलिए इसका सही दिशा में होना बेहद आवश्यक है। इसका सबसे उपयुक्त स्थान दक्षिण−पूर्व होता है। दरअसल, दक्षिण−पूर्वी दिशा अग्नि तत्व को नियंत्रित करती है। अगर आपके लिए दक्षिण−पूर्व में रसोई बनाना संभव नहीं है तो रसोई घर को घर के उत्तर−पश्चिम कोने में भी बनाया जा सकता है। अगर आपकी रसोई उत्तर या उत्तर−पूर्व में हो तो यह आपके लिए आर्थिक व स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं ला सकती है। जहां तक बात किचन में गैस स्टोव रखने की है तो उसे भी दक्षिण−पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए। इस तरह जब आप खाना पकाएंगी तो आपका मुंह पूर्व की ओर होगा। सिंक व नल भी किचन का ही एक अहम हिस्सा है, इसलिए इन्हें लगवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह गैस स्टोव से थोड़ी दूरी पर हो। दरअसल, आग और पानी बिल्कुल विपरीत तत्व हैं, इसलिए इनका दूर होना ही बेहतर है। सिंक को किचन के उत्तर−पूर्व दिशा में लगवाया जा सकता है। ठीक इसी प्रकार, किचन में रखे जाने वाले मटकी, फिल्टर व आरओ को भी उत्तर−पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए। 

यूं रखें एप्लाइंसेस

वर्तमान युग में, जिस प्रकार की किचन का निर्माण हो रहा है, वह माडर्न एप्लांइसेंस के बिना अधूरी है। आज किचन में मिक्सी से लेकर माइक्रोवेव व ढेरों इलेक्ट्रिकल एंप्लाइसेंस का प्रयोग हो रहा है। इसलिए इनका भी उचित स्थान पर होना आवश्यक है। सभी इलेक्ट्रिकल एंप्लाइसेंस को रसोई के दक्षिण या दक्षिण−पूर्व दिशा में ही रखा जाना चाहिए। इन्हें भूलकर भी उत्तर−पूर्व दिशा में न रखें। वहीं अगर आप अपनी किचन में फ्रिज रख रहे हैं तो उसे पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण−पूर्व व दक्षिण पश्चिम दिशा में रखा जा सकता है।

स्टोरेज हो सही

रसोईघर में अनाज से लेकर क्रॉकरी व बर्तन का स्टोरेज किया जाता है। चूंकि भंडारण रसोईघर का एक अहम हिस्सा है, इसलिए इनके लिए लोग अपनी रसोई में अलमारी भी बनाते हैं। अगर आप भी रसोईघर में भंडारण के लिए अलमारी बनवा रहे हैं तो इसे दक्षिणी या पश्चिमी दीवारों पर ही बनवाएं। ऐसी अलमारियों को उत्तर या पूर्व की दीवारों पर बनवाने से बचना चाहिए। वैसे किचन को सिर्फ अन्न संबंधी सामग्री के स्टोरेज के लिए ही प्रयोग करें। इसे स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल न करें। ऐसा करने से घर के मुखिया को अपने व्यापार या नौकरियों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

खिड़कियों का प्रयोग

किचन में एक या दो खिड़कियों का पूर्व दिशा में होना आवश्यक है। अगर किचन में खिड़कियां न हों तो पूर्व दिशा में एक्जॉस्ट फैन लगवाया जा सकता है। 

कलर का कॉम्बिनेशन

किचन में हमेशा वाइब्रेंट कलर्स जैसे येलो, रोज, चॉकलेट ब्राउन, ग्रीन, ऑरेंज आदि का ही इस्तेमाल करना चाहिए। रसोई के किसी भी हिस्से में काले रंग का प्रयोग करना अच्छा नहीं माना जाता।

 

इन बातों का भी रखें ध्यान

वास्तु के अनुसार रसोईघर के बराबर में शौचालय या बाथरूम नहीं होना चाहिए और न ही रसोईघर में पूजास्थान बनाएं। रसोईघर में पूजाघर होना शुभ नहीं माना जाता। दरअसल, ऐसा होने से घर के लोगों के मन में हमेशा क्रोध बना रहता है। साथ ही पूजा घर व रसोईघर के साथ−साथ होने से परिवार के किसी संबंधी को रक्त संबंधी शिकायत भी हो सकती है।

वैसे तो आजकल ओपन किचन का चलन है, लेकिन यदि आपकी किचन में दरवाजे हैं तो वह उत्तर−पूर्व या पश्चिम दिशा में खुलना चाहिए।

आपके घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे, इसके लिए अपने रसोई की साफ−सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

वास्तुशास्त्र में सिर्फ रसोई संबंधित नियम ही नहीं बताए गए बल्कि खाना खाने का भी अपना फार्मूला होता है। भोजन करने से पूर्व हाथ−पैरों को स्वच्छ जल से धोएं। भोजन करते समय मन को प्रसन्न और शांत रखना उचित माना जाता है। क्रोध, लोभ, मोह तथा काम का चिंतन करते हुए किया गया भोजन शरीर को लाभ पहुंचाने की बजाय नुकसान पहुंचाता है। ऐसा माना जाता है कि भोजन के समय भगवान का चिंतन करने व उनका नाम जपते हुए संतुष्ट भाव से भोजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं तथा ग्रह की सकारात्मक स्थिति से मनुष्य के शारीरिक−मानसिक दोष भी खत्म होते हैं। 

-मिताली जैन

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