By प्रीटी | Oct 19, 2016
इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'फुद्दू' देखकर आपको राजश्री बैनर की 70 के दशक में बनी 'पिया का घर' की याद आ जाएगी। फिल्म में महानगरों में बढ़ती भीड़ और एक कमरे में पूरे परिवार के रहने की बढ़ती मजबूरी से पैदा होते हालातों को दिखाया गया है। फिल्म की कहानी हालांकि साधारण है लेकिन निर्देशक इसे दमदार तरीके से पेश कर सकते थे यदि वह चालू मसाला डालने से परहेज करते। निर्देशक सुनील सुब्रमानी की यह फिल्म हालांकि ठीकठाक टाइमपास कही जा सकती है लेकिन यदि पूर्ण मनोरंजन की चाह में थियेटर जा रहे हैं तो निराश होंगे।
फिल्म की मोहन मिश्रा (शुभम) के इर्दगिर्द घूमती है। बनारस में रहने वाला मोहन शुरू से ही बंबई आने का सपना पाले हुए था। मायानगरी को लेकर उसने जो ख्वाब संजोए थे वह वहां पहुंचते ही टूटते नजर आते हैं क्योंकि भागती-दौड़ती जिंदगी में किसी को भी दूसरे की परवाह नहीं है और हर आदमी बस अपने लिए जीने में लगा हुआ है। महंगाई इतनी है कि पूरे परिवार के लिए किराये का घर भी बहुत मुश्किल है। उसका पूरा परिवार एक कमरे के घर में रहता है और किसी को कोई प्राइवेसी नहीं है। कहानी में नया मोड़ तब आता है जब मोहन की शादी शालिनी (स्वाति कपूर) से होती है। उसकी पत्नी को एक छोटे कमरे में पूरे परिवार के साथ रहना मंजूर नहीं है। वह किसी तरह से रह रही होती है लेकिन जब देखती है कि उसका पति उसमें दिलचस्पी नहीं ले रहा तो वह अपने मायके चली जाती है। अब मोहन के परिवार को मामला कुछ गड़बड़ लगता है और वह सवाल उठाते हैं कि क्यों अपनी खूबसूरत पत्नी के पास वह नहीं जाता। अब मोहन को परिवार और पत्नी दोनों के सामने खुद को मर्द साबित करने की नौबत आ जाती है।
शुभम अभिनय के मामले में दूसरे कलाकारों से आगे रहे। उन्होंने अपने रोल में मेहनत की है। शालिनी के रोल में स्वाति कपूर प्रभाव छोड़ने में सफल रहीं। फिल्म में कई जानेमाने स्टार कैमियो रोल में दर्शकों को गुदगुदाने के लिए नजर आते हैं। फिल्म में सनी लियोनी का आइटम सांग भी है बाकी गीत संगीत सामान्य है। निर्देशक सुनील ने पटकथा पर यदि कुछ और काम किया होता तो यह एक अच्छी फिल्म बन सकती थी। फिल्म की लंबाई को भी कुछ कम किया जा सकता था।
कलाकार- शुभम, शरमन जोशी, सनी लियोनी, स्वाति कपूर, गौहर खान।
निर्देशक- सुनील सुब्रमानी।
प्रीटी