निठारी का दरिंदा अब खुला घूमेगा? 19 साल बीते..सवाल फिर वही, आखिर बच्चियों के कंकाल और पकाकर खाने वाला गुनहगार कौन?

By अभिनय आकाश | Nov 13, 2025

दिल्ली के पास ही बसे नोएडा में एक जगह निठारी है। एक ऐसा एरिया जहां से एक तरफ सेक्टर 31 नोएडा के अमीर लोगों के बंगले दिखते हैं तो दूसरी तरफ निठारी के अंदर गरीब लोगों की बस्ती नजर आती है। एक ऐसी बस्ती जहां के ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर, रिक्शे वाले और हाउस हेल्प्स का कम करते हैं। देश के पिछड़े इलाकों से संबंध रखते हैं। 7 मई की शाम को नंदलाल के घर में अफरा तफरी मची थी, क्योंकि उनकी 22 साल की बेटी पायल सुबह से घर नहीं आई थी। उसने अपने पिता से कहा था कि वो सेक्टर 31 की कोठी नं डी-5 में नौकरी के लिए जा रही है। पर जब से वहां गई थी उसका फोन स्विच ऑफ जा रहा था। जब काफी देर तक वो घर नहीं आई उसके माता पिता बहुत डरने लगे क्योंकि निठारी में पिछले 2 साल से कई छोटे बच्चे और जवान लोग गायब हो रहे थे। नंदलाल से जब रहा नहीं गया तो उसने खुद अपनी बेटी को ढूंढने का फैसला किया। सबसे पहले उसने उसे रिक्शे वाले को ढूंढा जिसने पायल को डी5 तक छोड़ था। वो रिक्शे वाला डी5 का नाम सुनते ही वो डर गया। फिर उसने बताया की उसने पायल को वहां छोड़ तो था और वो बिना पैसे दिए ही घर के अंदर चले गए उससे लगा की वो वापस आकर उसे पैसे देगी। मगर वो वापस आई ही नहीं, जब उसने घंटी बजाई तो उसे घर का 36 साल का नौकर सुरेंद्र कोली बाहर निकाला और उसने कहा की पायल वहां से चली गई है। जब रिक्शेवाले ने उसकी बात को झूठ कहा तो कोहली ने एक ईट उठाकर उसकी तरफ फेंकी और उसे वहां से भाग दिया। अब नंदलाल की अनहोनी वाली आशंका प्रबल होने लगी और उसने लोकल पुलिस स्टेशन में शिकायत करने की ठानी। लेकिन लोकल पुलिस ने उसकी शिकायत पर गौर फरमाना भी जरूरी नहीं समझा। फिर नंदलाल ने कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दी। कोर्ट के ऑर्डर के बाद हरकत में आई पुलिस और पूछताछ करने पर उन्हें यह पता चला की निठारी के नल पर दो पुल के बीच में 100 मी के एरिया में ही वो सारे बच्चे और लोग जला पता हुए हैं आखरी बार वहीं देखें गए हैं इन्हीं दो पुल के बीच में नल के पास एक वाटर टैंक भी था। इस बीच पुलिस को जानकारी मिली कि पायल के पास एक मोबाइल फोन था। जो घटना के बाद से स्विच ऑफ जा रहा था। पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई, तो मुंबई से लेकर तमाम जगहों के नंबर मिले। फिर उन नंबरों की जांच की गई, जिसमें अहम सुराग मिले। उसके आधार पर पुलिस ने कोठी पर छापा मारा तो निठारी के 'नर पिशाच' का काला सच सबके सामने आ गया। आज से 19 साल पहले 2006 की कहानी का आज एमआरआई स्कैन करेंगे। दुनिया को झकझोर देने वाली उस दहशत हत्याकांड की जिसका नाम था निठारी हत्याकांड था। ऐसी सनसनीखेज दर्दनाक हत्याकांड जिसमें आरोपी गिरफ्तार हो गए उनको फांसी की सजा भी सुना दी गई 15 मामले उनके खिलाफ नामजद किए गए। लेकिन फिर 19 साल बाद उन्हें बरी कर दिया गया। पुलिस की टीम छानबीन में लगी थी कोठी नंबर डीफ के पीछे गंदे नाले से एक के बाद एक पॉलीथिन की बोरियां बाहर आ रही थी जिनके अंदर मासूम बच्चों के नर कंकाल, खोपड़ियां और शरीर के टुकड़े थे, जिसे देख लोगों का कलेजा मुंह को आ गया था। मांओं का दिल धड़कना भूल चुका था। आखिर यह किस नर पिशाच का काम था? क्या माजरा था? धीरे-धीरे हड्डियों के ढेर ने पहाड़ का रूप ले लिया पर पॉलीथिन में भरे कंकाल एक के बाद एक सामने आते ही जा रहे थे। अपराधियों को हिरासत में ले लिया गया था अपने आंचल के फूलों की इस दुर्गति को देखने के बाद भी मजबूर मां-बाप को कानून पर भरोसा था उन्हें विश्वास था वे जानते थे, भले ही देर हो पर अपराधियों को उनके किए की सजा जरूर मिलेगी वे अपराधियों को फांसी पर लटका हुआ देखना चाहते थे 19 साल तक इंसाफ के इंतजार में उन्होंने धैर्य नहीं छोड़ा था लेकिन अचानक एक ऐसी खबर आई जिसने उनको अंदर तक तोड़कर रख दिया आखिर क्या है वह खबर, 19 साल बाद ऐसा क्या हुआ कि इसके पीड़ितों में नाराजगी नजर आ रही है।

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क्या था निठारी हत्याकांड

निठारी हत्याकांड दिसंबर 2006 में सामने आया था, जब नोएडा के निठारी इलाके में कारोबारी मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पीछे नाले से कई बच्चों और महिलाओं के ककाल मिले थे। पंधेर के घरेलू सहायक के रूप में काम करने वाले सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली और 16 मामले दर्ज किए थे।

दुष्कर्म के बाद हत्या और मांस पकाकर खाने के आरोप थे

यूपी में नोएडा के निठारी गांव के पास सेक्टर-31 में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंधेर के घर डी-5 के पीछे नाले में 2006 में 8 बच्चों, महिलाओं के 19 कंकाल मिले थे। पुलिस ने मनिंदर सिंह पधेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को बच्चियों की दुष्कर्म, हत्या करने, मांस पकाकर खाने व सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने मनिंदर को दो मामलों में दोषी ठहराया था। कोली को 16 मामलों में से 10 में दोषी ठहराया गया था। बाद में पंधेर बरी कर दिया गया था।

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कैसे बदलता गया बर्बर हत्याओं का मामला?

29-30 दिसंबर 2006: नाले से 19 खोपड़ियां और कंकाल मिले। जांच में लापरवाही पर 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड

2009: सीबीआई जांच में कोली को दोषी मानते हुए हत्या, दुष्कर्म और सबूत मिटाने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई।

2010-2012: अलग-अलग मामलों में बार-बार फांसी की सजा होती रही। कुल 13 मामलों में अलग-अलग फैसले।

2021: कुछ मामलों में कोली को फांसी तो कुछ में बरी किया गया।

2023: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोली व पंधेर को सभी मामलों में बरी किया। अब कोली भी बरी हुआ।

एक जैसे सबूतों पर अलग-अलग फैसले नहीं हो सकतेः कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड मामले में सुरेंद्र कोली को आखिरी केस में भी बरी कर दिया। एक मामले में दोषसिद्धि और मौत की सजा को चुनौती देने वाली सुरेंद्र कोली की सुधारात्मक याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह याचिका स्वीकार किए जाने के बाद अब कोली रिलीज हो जाएगा, क्योंकि वह निठारी के अन्य मामलों में पहले ही बरी किया जा चुका है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुआई वाली बेंच ने मामले में सुनवाई की। बेंच ने निर्देश दिया कि अगर वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है तो उसे तत्काल रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब एक जैसे सबूतों पर अलग-अलग निर्णय दिए जाएं, तो वो न्यायिक प्रक्रिया की साख और जनता के भरोसे को नुकसान पहुंचाते हैं। सुरेंद्र कोली की सुधारात्मक याचिका में यह तर्क दिया गया था कि जिस सबूत के आधार पर उसे दोषी ठहराया गया था, वही सबूत अन्य मामलों में अविश्वसनीय पाया गया है, जिनमें वह बरी हो चुका है। 

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पीड़ितों में है नाराजगी

निठारी कांड से संबंधित बच्ची ज्योति के पिता झब्बू लाल और उसकी मां सुनीता ने आरोपितों के बरी होकर जेल से बाहर आने पर खुश नहीं हैं। वह बेबस और गुस्से में हैं। उनका सिस्टम से लेकर हर किसी से एक ही सवाल है कि अगर यह दोषी नहीं हैं तो किसी ने तो बच्चों की हत्या की होगी। वह कौन है? यह प्रश्न निठारी कांड को लेकर हर किसी के मन में है। दोषी का ही नहीं पता चलने पर अधिकांश लोग निठारी कांड को आरूषि कांड की तरह ही अबूझ पहेली बताया।

 

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