By अभिनय आकाश | Mar 06, 2022
दिल्ली के अस्पतालों को लेकर आीटीआई में एक बड़ा खुलासा सामने आया है। दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के चार बड़े अस्पतालों में साढ़े छह साल में औसतन हर महीने करीब 70 बच्चों की मौत हुई है। सबसे बुरा हाल सफदरजंग अस्पताल का है जहां 81 महीने के दौरान हर महीने करीब 50 नवजातों की जान चली गई। सफदरजंग अस्पताल के अलावा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), कलावती सरन अस्पताल और सुचेता कृपलानी अस्पताल को लेकर दायर की गई आरटीआई के जवाब के रूप में सामने आया है।
आरटीआई से बड़ा खुलासा
आरटीआई आवेदन में जनवरी 2015 से जुलाई 2021 के बीच इन अस्पतालों में जान गंवाने वाले नवजात शिशुओं की संख्या की जानकारी मांगी गई थी। साथ ही यह भी पूछा गया कि इन बच्चों की मौत के क्या कारण थे? सफदरजंग और सुचेता कृपलानी अस्पतालों ने सितंबर 2021 तक के आंकड़े उपलब्ध कराए हैं।
6 साल में 5724 बच्चों की मौत
आरटीआई के तहत मिले जवाब के मुताबिक इस दौरान इन अस्पतालों में 3.46 लाख से ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 5,724 बच्चों की मौत हो गई। इनमें से चार हजार से ज्यादा बच्चों की मौत सिर्फ सफदरजंग अस्पताल में हुई है। हालांकि सफदरजंग अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। कलावती सरन अस्पताल को छोड़कर अन्य अस्पतालों ने बच्चों की मौत का कारण नहीं बताया है। वहीं, राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने बच्चों की मौत का आंकड़ा नहीं दिया।
एम्स में इतने बच्चों की मौत
इन आंकड़ों की गणना करने पर प्रति हजार बच्चों पर शिशु मृत्यु दर 16.5 आती है। अक्टूबर 2021 में जारी एसआरएस के बुलेटिन के मुताबिक, 2019 में दिल्ली में प्रति हजार बच्चों पर शिशु मृत्यु दर 11 थी। एम्स द्वारा दिए गए जवाब के मुताबिक जनवरी 2015 से जुलाई 2021 के बीच इस अस्पताल में 173 बच्चों की मौत हुई, जो कि चार अस्पतालों में सबसे कम इस अस्पताल में इस दौरान 15,354 बच्चों का जन्म हुआ।
अन्य अस्पतालों का ये हाल
सफदरजंग अस्पताल में जनवरी 2015 से सितंबर 2021 तक 1.68 लाख से अधिक बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 4,085 की मृत्यु हो गई। इसी तरह कलावती अस्पताल में जनवरी 2015 से जुलाई 2021 तक 1,199 बच्चों की मौत हुई, जबकि इस दौरान अस्पताल में 80,959 बच्चों का जन्म हुआ। आरटीआई आवेदन के जवाब के मुताबिक, सुचेता कृपलानी अस्पताल में 81,611 बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें से 267 की मौत जन्म के बाद हुई। केवल कलावती सरन अस्पताल ने अपने जवाब में बच्चों की मौत का मुख्य कारण बताया है। अस्पताल के अनुसार समय से पहले जन्म के कारण घुटन, सेप्टीसीमिया, सांस लेने में कठिनाई और जन्म के समय कम वजन के कारण उत्पन्न होने वाली जटिलताएं बच्चों की मृत्यु के मुख्य कारण हैं।