By एकता | Aug 07, 2025
रिश्ते में सिर्फ प्यार, परवाह और आकर्षण ही काफी नहीं होता। पैसे भी एक अहम हिस्सा होते हैं। अक्सर लोग इस बारे में बात करने से बचते हैं, और यहीं से मुश्किलें शुरू होती हैं। यह सच है कि पैसा मायने रखता है, खासकर जब आप किसी के साथ अपनी जिंदगी बिता रहे हों। कई बार पैसों की वजह से अच्छे-खासे रिश्ते भी टूट जाते हैं। इसलिए यह समझना बहुत जरूरी है कि एक मजबूत रिश्ते के लिए आर्थिक समझदारी भी उतनी ही अहम है, जितनी बाकी सब कुछ।
अब सवाल यह है कि एक रिश्ते में पैसों को लेकर तालमेल कैसे बिठाया जाए? इसके लिए जरूरी है कि आप और आपका पार्टनर खुलकर बात करें और मिलकर कुछ नियम तय करें।
1. 50/50 बंटवारा
यह सबसे आसान तरीका है, खासकर तब जब आप दोनों की कमाई लगभग बराबर हो। इसमें आप दोनों साझा खर्चों (जैसे किराया, खाने-पीने का सामान, इंटरनेट) में आधा-आधा हिस्सा देते हैं। यह तरीका उन लोगों के लिए सही है जो चाहते हैं कि सब कुछ बराबर रहे। आप एक जॉइंट अकाउंट बना सकते हैं या एक-दूसरे को आधा पैसा दे सकते हैं। लेकिन, अगर एक की कमाई बहुत ज्यादा है, तो दूसरे को यह बंटवारा सही नहीं लगेगा और उस पर दबाव भी पड सकता है।
2. कमाई के हिसाब से बंटवारा
यह तरीका ज्यादा सही है, खासकर तब जब आप दोनों की कमाई में बडा अंतर हो। इसमें खर्च को आपकी कमाई के हिसाब से बांटा जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी कुल कमाई में आपका हिस्सा 40% है और आपके पार्टनर का 60%, तो आप खर्च का 40% देंगे और वे 60% देंगे। यह एक अच्छा तरीका है क्योंकि इसमें कोई दबाव नहीं होता। पर इसके लिए आपको एक-दूसरे को अपनी कमाई खुलकर बतानी होगी।
3. सब कुछ एक साथ
अगर आप और आपके पार्टनर एक-दूसरे पर बहुत भरोसा करते हैं और आपकी जिंदगी पूरी तरह से एक हो गई है, तो यह तरीका अच्छा है। इसमें आप दोनों की कमाई एक ही अकाउंट में जाती है। फिर उसी से सारे बिल और बाकी खर्च किए जाते हैं। यह उन कपल्स के लिए सबसे अच्छा है जिनकी शादी हो चुकी है या जो लंबे समय से साथ हैं। इससे तनाव कम होता है और टीम वाली भावना आती है। लेकिन, इसके लिए आप दोनों को अपनी खर्च करने की आदतें समझनी होंगी और एक-दूसरे पर पूरा भरोसा करना होगा।
4. तुम यह, मैं वह
इस तरीके में आप हिसाब-किताब नहीं करते, बल्कि खर्चों को बांट लेते हैं। जैसे, एक किराया देता है और दूसरा बाकी सामान का खर्च उठाता है। यह बहुत आसान लगता है और आपको बार-बार पैसे देने-लेने का हिसाब नहीं रखना पडता। पर इसका एक नुकसान है कि किराया बाकी खर्चों से ज्यादा हो सकता है, जिससे एक पार्टनर को लग सकता है कि वह ज्यादा दे रहा है। इसलिए समय-समय पर बात करते रहना जरूरी है।
5. बस साझा खर्चों के लिए
यह तरीका उन लोगों के लिए है जो अपनी आजादी पसंद करते हैं। आप दोनों अपनी-अपनी कमाई और खर्च अलग-अलग रखते हैं और सिर्फ साझा खर्चों (जैसे किराया) में ही योगदान करते हैं। इससे चीजें सरल रहती हैं और आपको अपनी पसंद की चीज खरीदने के लिए किसी से पूछना नहीं पडता।
6. जब जैसा मन हो
यह उन कपल्स के लिए है जो ज्यादा प्लानिंग नहीं करते। एक बार आप खाने का बिल भरते हैं, तो अगली बार आपका पार्टनर किराने का सामान ले आता है। यह तरीका शुरुआत में अच्छा लगता है, पर अगर एक को हमेशा ज्यादा देना पड रहा है, तो मनमुटाव हो सकता है। इसलिए अगर आपको लगे कि ऐसा हो रहा है, तो तुरंत बात करें।