By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 26, 2025
बांग्लादेश में जबरन वसूली के आरोप को लेकर एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। मीडिया की खबरों से बृहस्पतिवार को यह जानकारी मिली। देश में पिछले हफ्ते भी अल्पसंख्यक समुदाय के एक अन्य व्यक्ति की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। ‘द डेली स्टार’ अखबार ने पुलिस के हवाले से बताया कि नयी घटना बुधवार को राजबाड़ी शहर के पांग्शा उपजिला में हुई। अखबार के मुताबिक, मृतक की पहचान अमृत मंडल के रूप में हुई है, जिसने कथित तौर पर एक आपराधिक गिरोह बनाया था और जबरन वसूली व अन्य आपराधिक गतिविधियों में शामिल था।
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने मंडल की हत्या की “कड़ी निंदा” की और कहा कि यह कोई सांप्रदायिक हमला नहीं था। अखबार के अनुसार, घटना के दिन स्थानीय लोगों ने उस समय मंडल की पिटाई कर दी, जब उसने अपने समूह के सदस्यों के साथ एक निवासी के घर से वसूली की कोशिश की। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और मंडल को बचाया। सहायक पुलिस अधीक्षक (पांग्शा सर्कल) देब्रत सरकार ने कहा कि मंडल को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे दोपहर दो बजे मृत घोषित कर दिया।
सरकार के मुताबिक, मंडल के शव को पोस्टमार्टम के लिए राजबाड़ी सदर अस्पताल के मुर्दाघर में भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि घटना के बाद मंडल के अधिकांश सहयोगी भाग गए, लेकिन पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया और उसके कब्जे से आग्नेयास्त्र बरामद किए। पुलिस के अनुसार, मंडल के खिलाफ कम से कम दो मामले दर्ज थे, जिसमें हत्या का एक मामला भी शामिल था। हत्या की निंदा करते हुए, अंतरिम सरकार ने एक बयान में कहा कि वह “किसी भी तरह के अवैध कृत्यों, भीड़ द्वारा पिटाई या हिंसा का समर्थन नहीं करती है।”
अंतरिम सरकार ने कहा कि यह घटना कोई सांप्रदायिक हमला नहीं है, बल्कि जबरन वसूली और अवैध गतिविधियों के कारण बने हालात में यह घटना हुई। उसने कहा कि घटना में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सभी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह घटना मैमनसिंह में ईशनिंदा के आरोप में हिंदू समुदाय के दीपू दास की पीट-पीटकर हत्या किए जाने और उसके शव को जलाए जाने के एक हफ्ते बाद सामने आई है।
पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने मामले में अब तक 12 गिरफ्तारियां की हैं। दास की हत्या के बाद ढाका और बांग्लादेश में अन्य जगहों पर कारखानों के श्रमिकों, छात्रों और अधिकार समूहों ने व्यापक विरोध-प्रदर्शन किया और भारत ने भी अपनी चिंता जाहिर की।