By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 25, 2021
दूरदर्शन पर आने वाला बी आर चोपड़ा का लोकप्रिय सीरियल महाभारत हम सभी के दिलों दिमाग में बस गया है। इस सीरियल को देखने के लिए लोग हर घर, हर गली मोहल्ले,चौराहों,पर भीड़ की शक्ल में इकट्ठा हो जाते थे। कोविड-19 में पिछले साल लॉकडाउन के दौरान एक बार फिर इस सीरियल को लोगों ने खूब देखा। महाभारत के किरदारों की चर्चा लोग आज भी करते हैं, महाभारत का हर किरदार लोगों को बखूबी याद है। महाभारत की चर्चा के दौरान अक्सर जब भीम की चर्चा होती है तो जहन में गदाधारी भीम का चेहरा आ जाता है। महाभारत में प्रवीण कुमार सोबती ने भीम का किरदार निभाया था वह 6 फीट से भी ज्यादा ऊंचे है। प्रवीण कुमार सोबती ने न सिर्फ एक्टिंग की दुनिया में अपना लोहा मनवाया बल्कि उन्होंने खेलों की दुनिया में भी अपना परचम लहराया। लेकिन आज जिंदगी के 76 बरस पूरे करने के बाद प्रवीण आर्थिक तंगहाली में जीवन यापन कर रहे हैं। वह लोगों से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें जीवन यापन के लिए पेंशन दे दी जाए।
प्रवीण कुमार सोबती का खेल के मैदान में भी कोई मुकाबला नहीं था, दो बार ओलंपिक, फिर एशियन कॉमनवेल्थ में कई गोल्ड और सिल्वर मेडल हासिल कर चुके प्रवीण कुमार को 1967 में खेल के सर्वोच्च पुरस्कार अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया। खेल के मैदान से फिल्मी परदे तक का कामयाब सफर प्रवीण कुमार सोबती ने बहुत ही अच्छे से पूरा किया। लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर वह आर्थिक हालातों से जूझ रहे हैं। प्रवीण कुमार सोबती ने कहा कि, कोरोना ने सारे रिश्तो को बेनकाब कर दिया। सभी रिश्ते खोखले हैं इस मुश्किल दौर में साथ देना तो दूर अपने भी दूर भाग जाते हैं। उन्होंने कहा मैं 76 बरस का हो गया हूं अभी घर में ही हूं, तबीयत भी ठीक नहीं रहती, घर में पत्नी देखभाल करती है। एक दौर था उस दौर में भीम को सब जानते थे, लेकिन आज सब भूल गए हैं।
प्रवीण कुमार सोबती पंजाब के अमृतसर के पास सरहरी नामक गांव के रहने वाले हैं। प्रवीण सोबती का जन्म 6 सितंबर 1946 को हुआ था। बचपन से ही खाने-पीने में प्रवीण बहुत तेज थे। बचपन से ही मां के हाथ का दूध दही खाकर शरीर भारी भरकम हो गया। जब स्कूल के हेड मास्टर ने प्नवीन को देखा तो उन्हें गेम्स में भेजना शुरू कर दिया। वहां प्रवीण हर इवेंट जीतने लगे। साल 1966 में कॉमनवेल्थ गेम्स डिस्कस थ्रो में उनका नाम आ गया। यहां उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। 1966 और 70 के एशियन गेम्स में दोनों बार उन्होंने गोल्ड मेडल जीता।
ओलंपिक में हुआ था खौफनाक आतंकी हमला
प्रवीण बताते हैं जब साल 1972 में जर्मनी के म्यूनिक शहर में ओलंपिक हो रहे थे तो मैं भी वहां हिस्सा लेने पहुंचा था। यही वह ओलंपिक्स थे जहां फिलिस्तीन के एक आतंकी संगठन ने इजरायल के 11 प्लेयर को मौत के घाट उतार दिया था। यह खेलों के इतिहास में सबसे खतरनाक था। प्रवीण कहते हैं कि वह उस वक्त उसी स्पोर्ट कंपलेक्स में थे और जब डायनिंग एरिया की तरफ जा रहे थे उन्हें गोलियां चलने की आवाजें सुनाई दीं। कुछ देर बाद उन्हें पता चला कि आतंकियों ने हॉकी टीम को भी मौत के घाट उतार दिया है। वह कहते हैं कि यह मेरे लिए ना भूलने वाला वाकया है।
जब प्रवीण कुमार सोबती को बी आर चोपड़ा ने देखा था
प्रवीण कुमार बताते हैं कि एशियन ओलंपिक गेम्स में इतना नाम हो गया था कि उन्हें बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट की नौकरी भी मिल गई थी। 1986 में एक मैसेज मिला की बीआर चोपड़ा महाभारत बना रहे हैं और वह भीम का किरदार चाहते हैं। प्रवीण बताते हैं कि जब मैं उनसे मिला, वो देखते ही बोले कि भीम मिल गया। भीम का किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि बॉलीवुड में भी उन्हें फिल्में मिलने लगी। प्रवीण को करीब 50 से ज्यादा फिल्मों में रोल मिले।
प्रवीण की शिकायत
एक्टर का कहना है कि, पंजाब में जो भी सरकार यहां आई सभी से उनकी शिकायत है जितने भी एशियन गेम्स या मेडल जीतने वाले प्लेयर थे उन सभी को पेंशन मिली, लेकिन उन्हें वंचित रखा गया जबकि उन्होंने सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीते। वह अकेले ऐसे एथलीट, जिन्होंने कॉमनवेल्थ को रिप्रेजेंट किया। अभी उन्हें बीएसएफ से पेंशन मिल रही है लेकिन उनके खर्चों के हिसाब से यह पेंशन ना काफी है।