फायदे का प्लास्टिक (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Nov 29, 2025

हमें प्लास्टिक का आविष्कार करने वाले का दिल और दिमाग़ से शुक्रगुज़ार होना चाहिए। उन परोपकारी सज्जन का नाम लगभग सभी प्लास्टिक प्रेमियों को नहीं पता। सुख देते रहने वाली बात यह है कि दशकों से प्लास्टिक और उसके बायो प्रोडक्ट्स प्रयोग कर रहे हैं। जिस चीज़ में संभव हुआ, उसे हल्का, स्थाई और सस्ता बनाने में प्लास्टिक शामिल कर रहे हैं। प्रसिद्ध ब्रांड, मनपसंद रंग और खूबसूरत आकार के दर्जनों उपयोगी उत्पाद हर परिसर की रौनक हैं। हर फ्रिज में लाइफ टाइम गारंटी वाली प्लास्टिक की बोतल में एक्वा गार्ड से निकला पानी है। पालीहाउस के कारण कितनी ही सब्जियां बारह महीने मिल रही हैं जिन्हें हम पचाए जा रहे हैं। प्लास्टिक, धातु और कांच से हल्का होता है, इसमें जंग नहीं लगता, यह स्वत टूटता फूटता नहीं, जल्दी घिसता नहीं और बहुत सस्ता भी उपलब्ध है। यह बहुपयोगी उत्पाद मेरे दिल के बहुत करीब है। दिल चाहता है इसे प्लास्टिकजी कहा करूं।  


आम लोगों के लिए प्लास्टिक आसानी से मिलता है। इसे किसी भी आकार में ढालना संभव है। यह बिजली की तारों और उपकरणों के लिए उत्कृष्ट उत्पाद है। काबिल ए तारीफ़ है कि इसकी उपयोगिता और क्वालिटी के हिसाब से, अनगिनत बार पुनर्चकृत कर, नए उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इसे कठोर या लचीला बना सकते हैं। प्लास्टिक से मानवीय शरीर के नकली हिस्से बनाए जा रहे हैं। यह तो इंसान से भी ज़्यादा उपयोगी है जी। मैंने तो इसे मन ही मन प्लास्टिकजी कहना शुरू कर दिया है।

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हर चीज़ में कोई न कोई कमी रह जाती है जी। इंसान को ही देख लो, कितना अमूल्य दिमाग मिला, प्यार करने के लिए दिल मिला लेकिन इसी इंसान ने ज़िंदगी की सबसे महत्त्वपूर्ण, मां प्रकृति को असीमित नुक्सान पहुंचाया फिर भी कुदरत इंसान का भला ही कर रही है। सृष्टि की सबसे अनुपम कृति इंसान, इंसान और इंसानियत से नफरत करने पर तुला है। दुनिया के शक्तिशाली इंसान ही एक दूसरे के साथ लड़ने मरने पर तुले हैं। प्लास्टिक के कारण हो रहा नुकसान इनसे ज्यादा नुकसानदेह तो नहीं। दुनिया एक दिन खत्म होनी है। ज़िन्दगी एक बार मिली है तभी इंसान ने फायदों के प्लास्टिक से भरा, आरामदायक जीवन चुना। आज बाज़ार, समाज, घर और रसोई में प्लास्टिकजी की अनंत पूछ और सम्मान है ।  


प्लास्टिक को जीवन में उगते, फलते, फूलते ज़माना बीत गया, अब कह रहे हैं कि टमाटर, गाजर, पालक वगैरा में प्लास्टिक के माइक्रो अंश मौजूद हैं। अब सब्जियां भी पहले जैसी कहां रह गई, सब आर्गेनिक हो गई हैं। शिक्षा ज्ञान और जागरुकता के कारण पौधों की जड़ों तक प्लास्टिक के कण पहुंच रहे हैं। मां के दूध, रक्त, समुद्री भोजन को भी उन्होंने अपना बना लिया है लेकिन क्या ज्यादा खतरनाक कण वैमनस्य भरी राजनीति, आपस में बैर सिखाते मज़हब, निरंतर पिलाए जा रहे  जातिवाद के पेय, गरीबी और बेरोजगारी से बढ़ते नशे में नहीं है । नगर निगम के सीवेज से निकले, प्लास्टिक फाइबर से भरे कीचड को खाद का नाम देकर, खेतों में डालना ज़्यादा खतरनाक नहीं होता होगा । कभी लचीली, कभी सख्त प्लास्टिक की तरह हो चुके मानवीय सम्बन्ध कम नुकसानदेह होते होंगे ।


प्रयोग की सभी सीमाएं पार कर चुके सिंगल यूज़ प्लास्टिक को पूरी तरह प्रतिबंधित करने के लिए जितनी बातें की जाती है, जितनी बैठकें की जाती हैं, शासन और प्रशासन जितना सख्ती करते हैं, इसका प्रयोग बढ़ता ही जाता है। कितना सुलभ, आसान और लाभदायक है लगभग सब कुछ प्लास्टिक में पैक करना। आने वाली पीढियों ने तो पहले ही खुद को बदल लिया है। उन्हें तो पैक्ड फूड और सिंथेटिक ड्रिंक काफी पसंद है। उन्हें शुद्ध भोजन और स्वच्छ मिटटी की बातें करना बहुत स्वाद लगता है। समझदार लोग प्लास्टिक खाना और पीना पूरी तरह से सीख गए हैं। बिना प्लास्टिक के ज़िंदगी का काम नहीं चलने वाला जी। प्लास्टिक छोड़ देंगे तो काम कैसे चलेगा जी। प्लास्टिकजी से लगातार मिल रहे दर्जनों फायदे कौन छोड़ना चाहेगा जी।   


- संतोष उत्सुक

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