अफगानिस्तान में जारी संघर्षविराम को बरकरार रखना बेहद मुश्किल: विशेषज्ञ‍

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 22, 2020

वाशिंगटन। अफागनिस्तान में अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के खत्म होने की सारी उम्मीदें यहां हुए हफ्ते भर के बेहद नाजुक संघर्षविराम को बरकरार रखने पर निर्भर है। इस समझौते के बारे में विशेषज्ञ‍ों का कहना है कि इसका आकलन बेहद मुश्किल है और यह चुनौतियों से भरा हुआ है। 

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क्या हो अगर आत्मघाती जैकेट पहने कोई एक आतंकवादी काबुल के बाजार में दर्जनों को मार दे या इस्लामिक स्टेट चरमपंथियों को लक्ष्य बना कर किए गए अमेरिकी हवाई हमले में तालिबान का कोई सदस्य मारा जाए तो क्या इससे समझौता खत्म हो जाएगा? शुक्रवार को प्रभावी इस समझौते में देश भर में सड़कों के किनारे होने वाले विस्फोट, आत्मघाती हमले और तालिबान, अफगान और अमेरिकी बलों के बीच होने वाले रॉकेट हमलों समेत तमाम अन्य हमलों को खत्म करने का आह्वान किया गया है। लेकिन 18 वर्षों से अधिक समय से हिंसा से ग्रस्त रहे देश में समझौते का उल्लंघन हुआ है या नहीं, यह निर्धारित करना मुश्किल कार्य होगा। और देश में कई समूह एवं तत्व हैं जो इस समझौते को खत्म होते देखना चाहेंगे। 

 

सामरिक एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र में वरिष्ठ सलाहकार और अफगान विशेषज्ञ सेठ जोन्स ने कहा, “यह चुनौती इसलिए है क्योंकि यह विकेंद्रित चरमपंथ है।” उन्होंने कहा, “किसी भी मिलिशिया के कमांडर, तालिबान के तत्व, हक्कानी नेटवर्क और अन्य स्थानीय बल जो इस समझौते से नाखुश हैं, उनके पास हिंसा करने के लिए बहुत से मौके हैं।’’

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हक्कानी नेटवर्क तालिबान से जुड़ा चरमपंथी संगठन है। एक रक्षा अधिकारी के मुताबिक किसी भी हमले की समीक्षा स्थिति एवं तथ्यों के आधार पर की जाएगी। और बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि अमेरिकी सेना एवं अफगानिस्तान में खुफिया अधिकारी कितनी जल्दी दो बातों पर फैसला लेंगे : पहला हमले के लिए कौन जिम्मेदार है और दूसरा क्या तालिबान से जुड़े किसी व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है खासकर संगठन के नेताओं को जो वार्ता में हिस्सा ले रहे हैं। तालिबान ने शुक्रवार देर रात एक बयान जारी किया था कि उनकी सैन्य परिषदने कमांडर और गवर्नरों को विदेशी एवं अफगान बलों के खिलाफ सभी हमले रोकने का निर्देश दिया है। 

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