अहमदियों से इतनी नफरत क्यों करता है पाकिस्तान? पेशावर से घर बेचकर सुरक्षित जगहों पर भागने को हुए मजबूर

By अभिनय आकाश | Dec 03, 2021

पाकिस्तान यूं तो अपने आप को इस्लामिक मुल्क कहता है लेकिन इसी मुल्क में अहमदिया मुस्लिमों को नागरिक नहीं माना जाता है। वो वोट तक नहीं डाल सकते हैं और उन्हें पाकिस्तानियों में गैर मुस्लिम तक करार दिया जा चुका है। पाकिस्तान में अहमदियों से जुल्म की अब एक और नई खबर सामने आई है। पेशावर में रहने वाले अधिकांश अहमदी परिवारों ने अपनी संपत्ति बेच दी है और पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम में आम जनता से अपने जीवन के लिए लगातार खतरे से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों पर भाग गए हैं। 22 करोड़ की आबादी वाले देश पाकिस्तान में अनुमानित 40 लाख अहमदी रहते हैं और उन्हें जान से मारने और डराने-धमकाने की धमकी का सामना करना पड़ता है। दशकों से उनके खिलाफ एक निरंतर घृणा अभियान चल रहा है। पाकिस्तान के अहमदी समुदाय के सदस्य सार्वजनिक रूप से अपने विश्वास के बारे में प्रकट या बोलते नहीं हैं। वे खुद को मुस्लिम मानते हैं लेकिन संवैधानिक रूप से अपने विश्वास को सार्वजनिक रूप से घोषित करने और प्रचारित करने से रोक दिया जाता है, इस प्रकार उन्हें खुद को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिम के रूप में पेश करने से रोक दिया जाता है।

कई लोग हुए जुल्म का शिकार

पाकिस्तान में अब उनके घरों और धार्मिक स्थानों पर हमले काफी बढ़ गए हैं। देश के पश्तून-प्रभुत्व वाले उत्तर-पश्चिमी बेल्ट में चरमपंथी तत्वों द्वारा उनके जीवन को खतरे में डाल दिया गया है। उनमें से कई ईशनिंदा के आरोप में मारे गए थे। पेशावर में एक अदालत कक्ष के अंदर एक वृद्ध व्यक्ति, जिसे उसका समुदाय पागल मानता था, की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब कार्यवाही चल रही थी।

अहमदी के मस्जिदों को भी बनाया जाता है निशाना

पाकिस्तान में अहमदियों की मस्जिद तोड़ने के लिए बकायदा फतवा जारी होते हैं। 1984 से 2009 के बीच पाकिस्तान में अहमदियों की 9 मस्जिदें जला दी गईं। जबकि 14 पर दूसरी जमातों ने कब्जा कर लिया। इस दौरान पाकिस्तान में अहमदियों की 22 और मस्जिदों को तोड़ डाला गया। पाकिस्तान में अहमदियों को कादियानी भी कहा जाता है।

कौन होते हैं अहमदी समुदाय

अहमदी समुदाय खुद को मुसलमान कहता है। लेकिन मोहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर नहीं मानता है। इस्लाम में मोहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर माना गया है। अहमदी समुदाय के संस्थापक मिर्जा गुलाम अहमद थे। जिनका जन्म साल 1835 में पंजाब के कादियान में हुआ था। इसलिए इन्हें मानने वाले लोगों को अहमदी या कादियानी भी कहा जाता है। पाकिस्तान सुन्नी बहुल आबादी वाला देश है। इसलिए वहां अहमदी और शिया मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया जाता है।

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