By Saheen khan | Oct 13, 2021
नई दिल्ली। टाटा समूह को एयर इंडिया देने के बाद लगातार एयर इंडिया अधिकारियों के बयान आ रहे हैं। इसमें वे कहते हैं कि एयर इंडिया का ये सौदा केवल एयरलाइन तक सीमित है। उनका कहना है कि एयर इंडिया की गैर-प्रमुख संपत्ति, जैसे कि भूमि, भवन और अन्य सामान, सरकार के पास रहेगा। संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि वे औपचारिक रूप से सौंपने की प्रक्रिया में तेजी लाने की कोशिश करेंगे और इसके बाद राजधानी में कला संग्रह का प्रदर्शन भी करेंगे।
कला संग्रह से जुड़ा क्या है पूरा मामला
दरअसल जुलाई 2018 में कला संग्रह पर ध्यान पहली बार दिया गया जब एयर इंडिया के नरीमन पॉइंट भवन की प्रस्तावित बिक्री की शुरूआत हुई और ये मामला सामने आया।आपको मालूम हो कि 'महाराजा संग्रह' में कहा जाता है कि 4 हज़ार से अधिक कार्य हैं, जिसमें जतिन दास जैसे दिग्गज कलाकारों की पेंटिंग शामिल हैं, इसके साथ यहां अंजलि इला मेनन, एमएफ हुसैन और वीएस गायतोंडे और उस समय नागरिक उड्डयन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के बीच एक समझ के अनुसार, संग्रह को दिल्ली में नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट को दान के रूप में सौंप दिया गया था, बिना किसी पैसे लेनदेन के, उस समय यह कहा गया था कि संग्रह सरकार के एक हाथ से दूसरे हाथ में दिया गया है।
एयरलाइन डूबने के बाद क्या हुआ
एयरलाइन की किस्मत डूबने के बाद कई दशकों से काम नहीं खोला गया है और उन्हें नरीमन पॉइंट बिल्डिंग स्टोरहाउस में पैक करके रख दिया गया। संग्रह से जुड़े कई कीमती चीज़ों खो गई और चोरी हो गई या क्षतिग्रस्त हो गई। ऐसे में इस अमूल्य संग्रह की रक्षा करने में अक्षम होने के कारण राष्ट्रीय वाहक का प्रबंधन की काफी आलोचना हुई। जून 2017 में, कलाकार जतिन दास को पता चला कि एयर इंडिया द्वारा अधिग्रहित उनकी 1991 की तेल पेंटिंग, ‘फ्लाइंग अप्सरा’, खुले बाजार में 25 लाख रुपये बेचने के लिए पहुंची। जिसके बाद जांच पड़ताल में एयर इंडिया के एक पूर्व कार्यकारी पर आरोप लगाया गया और उसके खिलाफ सरकारी संपत्ति की चोरी के लिए एक शिकायत भी दर्ज की गई। इसके बाद, कई अधिकारियों की जांच की गई कि एयर इंडिया के कितने अधिकारियों द्वारा पेंटिंग्स के कब्जे में ली गई हैं। इस के बाद एयर इंडिया के पूर्व या सेवारत अधिकारियों की जांच चल रही है।
कलाकृतियों के प्रमाणीकरण की जांच
इंडियान एक्सप्रेस खबर के मुताबिक, वास्तव में, संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों ने औपचारिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने और कलाकृतियों को दिल्ली भेजने से पहले तौर-तरीकों का आकलन करने के लिए 2017 और 2019 के बीच मुंबई की कई यात्राएं कीं। उनका कहना है कि प्रमाणीकरण मुद्दों के कारण चीजों में देरी हुई, इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बताएं तो,एक वरिष्ठ अधिकारी जो इन कई यात्राओं के हिस्सा थे, ने बताया कि, “हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कलाकृतियां मूल हैं या डुप्लिकेट, संग्रह बहुत बड़ा और महंगा है, इसमें समय लगेगा।” आपको बता दें अब एयरलाइन का सौदा होने के बाद संस्कृति मंत्रालय ने कलाकृतियों के जल्दी कब्जा लेने के अपने प्रयासों को नई तरह से पहल करने की योजना बनाई है।