मुसलमानों की खुशहाली के संबंध में संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के मायने

By डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Oct 12, 2020

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत के इस कथन पर बड़ी बहस चल रही है कि ‘‘दुनिया में सबसे ज्यादा संतुष्ट कोई मुसलमान हैं तो भारत के मुसलमान हैं।’’ यही बात किसी मुसलमान नेता या आलिम-फाजिल के मुंह से निकलती तो उसकी बात ही कुछ और होती लेकिन ऐसी बात निकले तो कैसे निकले ? यदि निकल जाती तो हमारे कई मुसलमान नेता उस पर काफिराना हरकत का फतवा जारी कर देते। अब से करीब 10 साल पहले जब दुबई में मेरे एक भाषण के दौरान मेरे मुंह से यह वाक्य अचानक निकल पड़ा कि हमारे मुसलमान दुनिया के बेहतरीन मुसलमान हैं तो श्रोताओं के बीच बैठे अनेक अरब शेखों के चेहरों पर मैंने तीखा तनाव देखा तो मुझे तर्क देना पड़ा कि इस्लाम की नई विचारधारा के साथ-साथ उनकी धमनियों में हजारों साल की भारतीय संस्कृति रवां है। दोनों का सम्मिश्रण ही उन्हें सर्वश्रेष्ठ मुसलमान बनाता है लेकिन मोहन भागवत के तर्क का आधार दूसरा है और वह भी ध्यान देने लायक है।

इसे भी पढ़ें: मोदी सरकार आने के बाद भारत में ऊर्जा के क्षेत्र में हुई जोरदार क्रांति

उनका तर्क है कि भारतीय मुसलमान भारत में अल्पसंख्यक हैं। जरा उन देशों के मुसलमानों से इनकी तुलना करो, जहां ये अल्पसंख्यक हैं। मुसलमान तो ईसाई, बौद्ध, यहूदी और कम्युनिस्ट देशों में भी रहे हैं। सुन्नी देशों में शिया और शिया देशों में सुन्नी भी रहे हैं। पिछले 50 वर्षों में मुझे ऐसे दर्जनों देशों में पढ़ने-पढ़ाने और रहने का मौका मिला है। उनकी स्थानीय भाषाएं भी जानता रहा हूं। उनसे अत्यंत आत्मीय और घनिष्ट संवाद भी होते रहे हैं। आपको सच कहता हूं कि जहां-जहां भी मुसलमान अल्पसंख्या में हैं, उनका जीना दूभर होता है। उसका एक कारण तो है मुसलमानों का पिछड़ापन और गरीबी लेकिन उससे भी बड़ा कारण है उनके प्रति उन-उन देशों के बहुसंख्यक लोगों में गहरी नफरत और अलगाव का भाव ! 

इसे भी पढ़ें: इन आंकड़ों से समझिये कैसे अर्थव्यवस्था तेज गति से वृद्धि की ओर बढ़ रही है

चीन के शिनच्यांग प्रांत में उइगर मुसलमानों को खुले-आम नमाज़ नहीं पढ़ने दी जाती और लाखों मुसलमान यातना-शिविरों में सड़ रहे हैं। मैं कई बार सोवियत संघ के उजबेकिस्तान आदि पांचों मुस्लिम गणतंत्रों में गया। वहां मैं देखता था कि उजबेक, ताजिक, कजाक, किरगीज और तुर्कमान लोगों को रूसी आकाओं की गुलामी करनी पड़ती थी। फ्रांस के मुसलमानों पर तरह-तरह की पाबंदियों का जिक्र मैंने पहले किया ही था। स्पेन की महारानी ईसाबेला ने 1501 में वहां के 5-6 लाख मुसलमानों को या तो ईसाई बना लिया या देश-निकाला दे दिया या कत्ल कर दिया। जापान में एक-डेढ़ लाख मुसलमान हैं लेकिन वहां भी धर्म-परिवर्तन पर कड़ी नज़र रखी जाती है। इन गैर-मुस्लिम देशों में कोई भी राष्ट्राध्यक्ष कभी कोई मुसलमान नहीं बना लेकिन भारत ऐसा एकमात्र गैर-मुस्लिम राष्ट्र है, जिसमें कई राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल, मंत्री और मुख्यमंत्री मुसलमान रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि भारत का प्रधानमंत्री भी किसी दिन कोई मुसलमान बन जाए। इसका अर्थ यह नहीं कि भारत का औसत मुसलमान बेहद खुशहाल है। उसका हाल भी वही है, जो किसी गरीब हिंदू या ईसाई या सिख का है। किसी की बदहाली उसके मजहब की वजह से नहीं है।


-डॉ. वेदप्रताप वैदिक

प्रमुख खबरें

Reliance Money Laundering Case | ईडी ने रिलायंस अनिल अंबानी समूह मामले में यस बैंक के राणा कपूर से पूछताछ की

प्रियंका गांधी से क्यों मिलने पहुंच गए प्रशांत किशोर? दिल्ली में 2 घंटे तक गुपचुप मुलाकात के क्या है मायने?

Dhurandhar Worldwide Box Office Collection | रणवीर सिंह की धुरंधर ने रचा इतिहात, फिल्म ने दुनिया भर में 530 करोड़ कमाए

मार्केटिंग घोटाला: Shreyas Talpade और Alok Nath को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई अंतरिम रोक