By संतोष उत्सुक | Nov 25, 2025
हर साल की तरह अगले साल का स्वागत करने के विज्ञापनों ने लुभाना और पटाना शुरू कर दिया है। होटल में शानदार पार्टियों की बुकिंग की बातें योजनाएं पकनी शुरू हो चुकी हैं। अगले साल होने वाली छुट्टियों में घूमने की तन मन और धन चाही योजनाएं समझाई जा रही है। पति पत्नी दोनों सरकारी नौकरी में हों तो सोना ही सोना। पति की पोस्टिंग शहर के आस पास हो और पत्नी की पोस्टिंग घर के अडोस पड़ोस में ही हो तो मानव जीवन सफल हो जाता है। पोस्टिंग का प्रबंधन भी धन और मेहनत के मिलन से हो जाता है। क्या बात है जी, सरकारी नौकरी की। सरकार सभी को सरकारी नौकरी में ले ले तो हर वोट पक्की।
हमारे यहां उन लोगों की सामाजिक रेटिंग भी कम रहती है जिनके परिवार से एक भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में नहीं है। ऐसे लोग भी हैं जो यह आवाज़ उठाते रहते हैं कि सरकारी नौकरी में एक परिवार से एक ही बंदा होना चाहिए। वैसे ऐसी बातों को मानवाधिकारों का हनन माना जाता है। सरकारी नौकरी करने वाले तो अपने बच्चों को भी ऐसी कोचिंग देते हैं कि वे किसी तरह सरकारी नौकरी में आ जाएं। निजीकरण के ज़माने में भी सरकारी नौकरी की चाहत कम नहीं होती जी। छुट्टियों का खज़ाना जमा हो जाता है। वह बात दीगर है कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वालों को वास्तव में छुट्टी की कीमत का पता होता है।
कई बार अगले साल होने वाली छुट्टियों की लिस्ट ज़िंदगी में बहार की तरह आती है लेकिन रविवार को घोषित छुट्टियां मज़ा किरकिरा कर देती हैं। अगर यही अवकाश दूसरे वार को हों तो सुखदायक होता है। अगले साल देश का अंतर्राष्ट्रीय त्योहार दिवाली, रविवार को है। यदि धार्मिक वैज्ञानिकों ने चाहा तो यह त्योहार दो दिन भी मनाया जा सकता है। कई बार वैकल्पिक अवकाश भी रविवार को आते रहे हैं। यह परेशान करने वाली बात मानी जाती है। यह ठीक है कि कुछ छुट्टियां शुक्रवार या शनिवार को भी होती हैं जिनके साथ एक छुट्टी लेकर कई छुट्टियां एक साथ हो सकती हैं। कई त्योहारों या जन्मदिन का अवकाश शनिवार या सोमवार को रहता है तो कितना सौम्य और आरामदायक लगता है। अगर कोई छुट्टी दूसरे शनिवार को घोषित हो जाए तो इस बात की तारीफ़ नहीं की जाती क्योंकि उस दिन पहले ही अवकाश होता है। दिलचस्प यह है कि अगले बरस हमेशा की तरह सिर्फ तीन राष्ट्रीय अवकाश होंगे धार्मिक और सांस्कृतिक छुट्टियां उन्नीस हैं। एक राज्य में तो पूरी तीस छुट्टियां हैं।
काफी समझदार लोगों का कहना है कि चाहे कोई त्योहार या दिवस दूसरे शनिवार या रविवार को पड़ रहा हो उसकी सरकारी छुट्टी किसी और वार को कर देनी चाहिए जिस वार को पहले से छुट्टी न हो। सरकार इतने काम मनमाने तरीके से करती है। सुबह से शाम तक खूब काम करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाली छुट्टियां ही उचित तरीके से नहीं करती। कुछ छुट्टियों का दिन बदल दे तो वोट बैंक ही बढेगा। इस तरह सरकारी राजनीतिक पार्टी, काफी वोटें आने वाले चुनाव के लिए अपने पक्ष में सुनिश्चित कर सकती है। आने वाले सालों में होने वाली छुट्टियों का मज़ा कई गुना हो ही सकता है।
- संतोष उत्सुक