आभार की तालियां (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Apr 08, 2020

उन्हें ख्याल आया क्यूं न लगे हाथ धन्यवाद बैठक भी आयोजित कर दी जाए। इस बहाने फेसबुक पर नई किस्म की पोस्ट भी डाल सकेंगे और भविष्य में होने वाला खर्च भी बचेगा। उन्होंने परिवार सदस्यों को घर में ही अलग अलग बिठाकर बैठक आयोजित करने में देर नहीं की और संकट भरे समय में जिन लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर अच्छा काम किया उनके लिए तालियां बजाकर आभार व्यक्त किया। दुःख भी व्यक्त किया कि इस आभार समारोह में उन्हें नहीं बुलाया जा सका जिनके लिए यह ताली समारोह आयोजित किया गया। दरअसल ऐसा करना स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की दृष्टि से मुश्किल नहीं असंभव था। नीति के अनुसार सर्वप्रथम आयोजकों ने अपने स्वास्थ्य की रक्षा करनी थी। जिनके लिए आभार प्रकट किया उन्होंने फेसबुक पर देखा तो अच्छा लगा कि उनका आभार व्यक्त किया गया । उन्हें लगने लगा जब कोरोना हार कर अपने वतन लौट जाएगा तो उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार बारे संजीदा प्रयास किए जाएंगें। उनके काम को भी महत्वपूर्ण माना जाएगा जैसा कि विकट स्वास्थ्य संकट के दौरान माना जा रहा था। फेसबुक पर पोस्ट किया जा रहा था। 

 

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वैसे वे भी इस बात को समझते थे कि तालियों से आभार जताना सबसे आसान होता है। इससे ताली बजाने वाले का व्यायाम भी हो जाता है और आभार भी बिना कुछ खर्च किए व्यक्त हो जाता है। दूसरे आयोजनों की तरह समोसे और गुलाब जामुन भी नहीं मंगाने पड़ते। आप किसी की आर्थिक मदद कर सकें या न कर सकें, जान बूझ कर न करना चाहें तो ताली सबसे उत्तम तरीका है। जिसके लिए आप ताली बजा रहे हैं उससे हाथ मिलाने की ज़रूरत भी नहीं रहती। भविष्य में बीमारी या आर्थिक परेशानी में वह आकर कहे भी कि आपने हमारा आभार जताया कृपया हमारी वास्तविक मदद भी करें। हम अपना काम करते हुए स्वस्थ भी रह सकें उसके लिए कुछ ठोस करें तो घुमा फिराकर साफ़ कहा जा सकता है कि हम तो इतना ही कर सकते हैं। हमारे पास तालियां बजाने का प्रावधान ही होता है दूसरे किस्म का बजट नहीं होता। 

 

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यह कार्य देश के अधिकांश कर्णधारों की तरह ही किया जाता है जो अपना ज़्यादातर जीवन दूसरों को भाषण पिला पिलाकर और ताली बजवा बजवा कर जी लिया करते हैं। वस्तुत सभी अपनी अपनी डयूटी करते हैं, आपने अपनी डयूटी की और हमने सामाजिक शिष्टाचार निभाने के लिए आभार जताया। वर्तमान संस्कृति के अंतर्गत दूसरों का धन्यवाद करने में देर नहीं करनी चाहिए। जब बंदा फंसता है तभी काम करने वाला याद आता है उसका महत्त्व पता चलता है। कामेडी शोज़ में फूहड़ मज़ाक पर तालियां पीटना और नेक काम की तारीफ़ करने के लिए तालियां बजाना एक ही बात लगती है। अब तो अपनी ही तारीफ़ में तालियां बजाने का समय चल रहा है।


संतोष उत्सुक

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