क्या संस्कृत के श्लोक धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं: बीजद सदस्य

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 05, 2019

नयी दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत श्लोक ‘असतो मा सद्गमय’ को अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताने वाली उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका का उल्लेख करते हुए बीजद के एक सदस्य ने मंगलवार को लोकसभा में मांग की कि सरकार को इस पर अदालत और सदन में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए बीजद के भर्तृहरि महताब ने याचिका पर सवाल खड़ा किया और यह भी कहा कि क्या संस्कृत में लिखी बात धर्मनिरपेक्ष नहीं होती? क्या संसद भवन में दीवार पर अंकित यह सूक्ति धर्मनिरपेक्ष नहीं है, धर्मचक्र प्रवर्तनाय।

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उन्होंने उच्चतम न्यायालय में पिछले दिनों दाखिल एक जनहित याचिका का उल्लेख किया जिसमें केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत श्लोक 'असतो मा सद्गमय' और 'ओम सहा नवावतु' जैसी प्रार्थनाओं पर रोक लगाने की मांग की गयी है। याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालयों की प्रार्थना में शामिल ये श्लोक अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकार एवं नास्तिकों, अनीश्वरवादियों, संशयवादियों, तर्कवादियों और ऐसे लोग जिनका प्रार्थना की व्यवस्था में विश्वास नहीं है उनके अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। इस पर सवाल खड़ा करते हुए महताब ने कहा कि संस्कृत में लिखी होने की वजह से क्या सूक्ति धर्मनिरपेक्ष नहीं रहती? संस्कृत इस देश की प्राचीन भाषा है। वह किसी धर्म की भाषा नहीं है।

उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को इस विषय पर उच्चतम न्यायालय में अपना रुख रखना चाहिए और सदन में भी जवाब देना चाहिए। शून्यकाल में ही समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव और राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती के लिए 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली’ को बहाल करने की मांग की। धर्मेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को विभागवार करके और ‘13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली’ को लाकर नरेंद्र मोदी सरकार कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को शिक्षण क्षेत्र में आने से रोकना चाहती है।

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उन्होंने और जयप्रकाश नारायण यादव ने ‘200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली’ बहाल करने की मांग की। 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली’ में विश्वविद्यालय को एक इकाई मानकर शिक्षकों के पद आरक्षित किये जाते हैं। नयी प्रणाली में आरक्षण विभागों के अनुसार लागू करने का प्रावधान है। सदस्यों ने कोलकाता में सीबीआई अधिकारियों और पुलिस के बीच गतिरोध के मामले में सदन में तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के हंगामे के बीच ही शून्यकाल में अपनी बात रखी।

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