अरुण जेटली बोले, प्रधानमंत्री मोदी के तहत देश सुरक्षित

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 12, 2019

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत देश सुरक्षित है। इसके साथ ही जेटली ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह जिहादी आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई कमजोर कर रही है। जेटली ने सवाल किया कि क्या आगामी आम चुनाव में मतदाता उस पार्टी पर भरोसा कर सकते हैं। उन्होंने एक ब्लॉग में कहा कि पुलवामा आतंकी हमले की निंदा करने में कांग्रेस पार्टी सरकार के साथ है लेकिन पार्टी पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमलों को लेकर परेशान है। पुलवामा हमले में 41 सीआरपीएफ जवानों की मौत हो गई थी। जेटली ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सितंबर 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक को बार बार खारिज किया और दलील दी कि या तो विगत में भी ऐसी कार्रवाइयां हुयी हैं या प्रधानमंत्री मोदी के तहत सर्जिकल स्ट्राइक हुयी ही नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि हवाई हमलों पर, उनका आचरण और भी संदिग्ध है।

 

भारतीय वायु सेना की कार्रवाई पर पहले दो दिनों के बाद कांग्रेस ने हमलों की सफलता पर सवाल उठाया। जेटली ने कहा कि पुरानी पार्टी ने सबूत की मांग शुरू कर दी कि बालाकोट में आतंकवादी मारे गए थे और यह भी कहा कि कार्रवाई आतंकवादियों के खिलाफ नहीं बल्कि आगामी चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए की गयी। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘घरेलू राजनीति में कांग्रेस द्वारा एक सेल्फ-गोल था। यह पाकिस्तान के हाथों में भी खेल रही थी और राहुल गांधी सहित विभिन्न कांग्रेस नेताओं के बयान पाकिस्तान में टेलीविजन चैनलों पर दिखाए गए।’’ जेटली ने  एजेंडा 2019 - भाग 2 : प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत  शीर्षक वाले ब्लॉग में कहा, ‘‘पाकिस्तान सरकार ने अपने झूठ पर बल देने के लिए इन बयानों का हवाला दिया।’’

 

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उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर की समस्याओं से निपटने के लिए संप्रग के दस वर्षों के दौरान कांग्रेस की कोई ठोस योजना नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विरासत के रूप में यह मुद्दा मिला। उन्होंने पाकिस्तान के साथ रिश्ते को सुधारने की कोशिश करने के पारंपरिक तरीके का प्रयोग इस उम्मीद में किया कि वहां समझदारी आएगी, लेकिन पाकिस्तान ने पठानकोट, उरी और पुलवामा के साथ जवाब दिया।’’ जेटली ने कहा, ‘‘उन्होंने घाटी में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों को कश्मीर में राष्ट्रीय गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन दुर्भाग्य से दिल्ली से समर्थन की दोहरी बात और जमात-ए-इस्लामी का दबाव अलगाववादी विरोधी नीति में बाधक था।’’

 

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