By रेनू तिवारी | Feb 10, 2025
एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी माने जाने वाले एयरो इंडिया शो का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को बेंगलुरु के येलहंका एयरफोर्स स्टेशन पर किया। एयर शो के 15वें संस्करण में राफेल और तेजस विमानों सहित स्वदेशी रूप से निर्मित नवाचारों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।अधिकारियों ने बताया कि 'एक अरब अवसरों का मार्ग' की व्यापक थीम के साथ पांच दिवसीय इस भव्य कार्यक्रम में भारत की हवाई क्षमता और स्वदेशी अत्याधुनिक नवाचारों के साथ-साथ वैश्विक एयरोस्पेस कंपनियों के अत्याधुनिक उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा।
एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस प्रदर्शनी बेंगलुरु में शुरू
इसे एशिया की सबसे बड़ी ‘एयरोस्पेस’ और रक्षा प्रदर्शनी माना जाता है। अधिकारियों ने बताया कि ‘रनवे टू ए बिलियन ऑपर्च्युनिटीज’ के विषय के साथ, पांच दिवसीय इस भव्य आयोजन में भारत की हवाई ताकत और स्वदेशी अत्याधुनिक नवाचारों के साथ-साथ वैश्विक एयरोस्पेस कंपनियों के अत्याधुनिक उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ दृष्टिकोण के अनुरूप, यह कार्यक्रम स्वदेशीकरण को तेज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत बनाने के वास्ते एक मंच भी प्रदान करेगा, जिससे 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने के केंद्र सरकार के संकल्प को बल मिलेगा। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) अनिल चौहान, अन्य लोगों ने उद्घाटन समारोह में भाग लिया।
‘एयरो इंडिया’ 10 से 14 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा
‘एयरो इंडिया’ 10 से 14 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा। शुरुआती तीन दिन सिर्फ उद्यमियों के लिए होंगे, जबकि 13 से 14 फरवरी को आम लोग भी यहां आ सकेंगे। इस दौरान रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी के सम्मेलन, भारत और आईडीईएक्स मंडपों का उद्घाटन, मंथन आईडीईएक्स कार्यक्रम, सामर्थ्य स्वदेशीकरण कार्यक्रम, समापन समारोह, संगोष्ठी, हवाई करतब और एयरोस्पेस कंपनियों प्रदर्शनी जैसे आयोजन होंगे। यह अब तक का सबसे बड़ा ‘एयरो इंडिया’ कार्यक्रम होने वाला है, क्योंकि इस बार इसका दायरा बढ़ाकर 42,000 वर्ग मीटर से अधिक कर दिया गया है और 150 विदेशी कंपनियों सहित 900 से अधिक प्रदर्शक इसमें शामिल होंगे। राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा था कि यह भारत की एयरोस्पेस और रक्षा क्षमताओं में बढ़ते वैश्विक विश्वास का प्रमाण है कि 90 से अधिक देश इसमें भाग ले रहे हैं।