By नीरज कुमार दुबे | May 22, 2025
बांग्लादेश की पूर्वोत्तर क्षेत्र पर खास नजर बनी रहती है। बांग्लादेशी यहां घुसपैठ की ताक में रहते हैं और वहां शासन कर रही कट्टरपंथी सरकार इस कोशिश में रहती है कि कैसे इस क्षेत्र के साथ कोई नया विवाद खड़ा किया जाये। लेकिन प्रयास चाहे घुसपैठ का हो या विवाद खड़ा करने का, बांग्लादेश को हमेशा मुँह की खानी पड़ती है। इसके अलावा, बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार में चूंकि इतनी हिम्मत नहीं है कि वह सीधे कोई बड़ा बखेड़ा खड़ा कर सके इसलिए अब वह अप्रत्यक्ष रूप से कोशिशें करती हैं। इसी कड़ी में बांग्लादेशी कट्टरपंथियों ने एक नक्शा डिजाइन कर उसको शेयर किया है जिसमें असम के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश में दिखाया गया है। इस मुद्दे पर जब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की प्रतिक्रिया मांगी गयी तो वह देखने लायक थी। हम आपको बता दें कि मोहम्मद यूनुस और उनकी सरकार को विभिन्न मुद्दों पर आड़े हाथ लेते रहे मुख्यमंत्री सरमा ने अपने लोकप्रिय स्टाइल में बांग्लादेश को उसकी औकात दिखा दी है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बांग्लादेश के कुछ व्यक्तियों द्वारा प्रकाशित उस कथित मानचित्र को खारिज किया है जिसमें दावा किया गया है कि इस पूर्वोत्तर राज्य के कई हिस्से पड़ोसी देश (बांग्लादेश) के भूभाग हैं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि बांग्लादेश एक ‘‘छोटा’’ देश है और ‘‘इतना ध्यान’’ दिए जाने का वह हकदार नहीं है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ताकत के लिहाज से भारत की बराबरी नहीं कर सकता। सरमा ने गोलाघाट जिले के डेरगांव में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘लोग ऐसा नक्शा बना सकते हैं और प्रकाशित कर सकते हैं। हम भी बांग्लादेश को असम का हिस्सा दिखाने वाला नक्शा बना सकते हैं। यहां तक कि भारत और अमेरिका को भी एक नक्शे पर एक साथ रखा जा सकता है। सिर्फ नक्शा बनाने से यह असलियत नहीं बन जाएगा।’’
हम आपको बता दें कि बांग्लादेश में कुछ कट्टरपंथियों द्वारा असम के कुछ हिस्सों को शामिल करते हुए उस देश का नक्शा प्रकाशित करने पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर बांग्लादेश के मौलानाओं ने असम को अपने क्षेत्र का हिस्सा बताते हुए ऐसा नक्शा बनाया है, तो भारत के ‘पुरोहित, पंडित’ भी भारत में उनके चटगांव बंदरगाह को शामिल करते हुए नक्शा बना सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ऐसा (ऐसा नक्शा प्रकाशित करना) नहीं कर सकती, लेकिन लोग ऐसा कर सकते हैं।’’ सरमा ने यह भी दावा किया कि यदि बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में ‘चिकन नेक’ गलियारे पर हमला करता है, तो भारत उसके दो संकरे भूभाग पर जवाबी हमला करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनके (बांग्लादेश के) पास दो ‘चिकन नेक’ हैं, भारत के पास एक है। अगर वे हमारे (चिकन नेक) पर हमला करते हैं, तो हम उनके दो चिकन नेक पर हमला करेंगे।'' उन्होंने कहा कि मेघालय से चटगांव बंदरगाह के पास उनका ‘चिकन नेक' हमारे से बहुत छोटा है और इसे एक अंगूठी फेंककर भी बंद किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम वहाँ पहुँचने से बस एक कॉल की दूरी पर हैं। सरमा ने हालांकि बांग्लादेश के दूसरे संकरे भूभाग के बारे में कुछ जिक्र नहीं किया, जिसे उन्होंने पड़ोसी देश का ‘चिकन नेक’ बताया।
इसके अलावा, भारत के वैश्विक कद को दोहराते हुए सरमा ने कहा, "भारत की शक्ति पहले ही प्रदर्शित हो चुकी है। भारत के लिए कोई वास्तविक ख़तरा पैदा करने के लिए बांग्लादेश को कई बार पुनर्जन्म लेना होगा।" जमीनी दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हुए सरमा ने कहा कि भारत को बांग्लादेश पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
हम आपको बता दें कि सिलीगुड़ी गलियारे के रूप में जाना जाने वाला ‘चिकन नेक’ एक संकरा भूभाग है जिसकी चौड़ाई महज 22 से 35 किलोमीटर तक है और यह पूर्वोत्तर क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ता है। ‘सिलीगुड़ी गलियारे’ को इसके आकार के कारण 'चिकन नेक' कहा जाता है। यह पश्चिम बंगाल के उत्तर में स्थित भूमि की एक पट्टी है। पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने वाली यह संकरी पट्टी नेपाल और बांग्लादेश के बीच में है तथा भूटान और चीन इससे ज्यादा दूर नहीं हैं। इस चिकन नेक को काटने की धमकियां भारत को बरसों से मिलती रही हैं।
हम आपको यह भी याद दिला दें कि अपनी चीन यात्रा के दौरान बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भारत के समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र के संदर्भ में जब विवादित बयान दिया था तब भी असम के मुख्यमंत्री ने यूनुस को आड़े हाथ लिया था। सरमा ने उस समय पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने वाले वैकल्पिक सड़क मार्गों की तलाश को प्राथमिकता देने का आह्वान भी किया था ताकि 'चिकन नेक' संबंधी समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। सरमा ने कहा था कि ‘चिकन नेक’ गलियारे के नीचे तथा उसके आस-पास और भी मजबूत रेलवे व सड़क नेटवर्क विकसित करना जरूरी है। सरमा ने कहा था कि इससे इंजीनियरिंग संबंधी बड़ी चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं लेकिन ‘‘दृढ़ संकल्प और नवोन्मेष’’ के साथ यह संभव है।