By नीरज कुमार दुबे | May 29, 2025
असम सरकार ने एक विशेष योजना को मंजूरी दी है जिसके तहत 'संवेदनशील और सीमावर्ती (बांग्लादेश सीमा के पास स्थित)' क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी लोगों को हथियारों के लाइसेंस प्रदान किए जाएंगे। हम आपको बता दें कि इन क्षेत्रों में बांग्लादेशी मूल के मुसलमानों की बहुतायत है। इस योजना का उद्देश्य ऐसे लोगों को अपने क्षेत्र के भीतर या पड़ोसी देश से आने वाले किसी भी आक्रमण से अपनी रक्षा करने की अनुमति देना है। असम सरकार के कैबिनेट नोट में कहा गया है कि यह योजना अवैध खतरों के प्रति एक निवारक के रूप में कार्य करेगी और ऐसे व्यक्तियों और समुदायों की व्यक्तिगत सुरक्षा तथा आत्मविश्वास को बढ़ाएगी।
इस बारे में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील निर्णय है। धुबरी, नागांव, मोरीगांव, बारपेटा, साउथ सालमारा और मानकाचर, गोलपाड़ा जैसे जिलों में, जहाँ बांग्लादेशी मूल के मुसलमान बहुसंख्या में हैं, वहाँ स्वदेशी लोग अल्पसंख्यक हैं और उन्हें निरंतर असुरक्षा का सामना करना पड़ता है, खासकर बांग्लादेश में हाल ही में हुई घटनाओं के चलते।'' उन्होंने कहा कि ये स्वदेशी लोग अपने ही गाँवों से या बांग्लादेश से हमले के शिकार हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय भाजपा की 'जाति, माटी और भेती' (पहचान, भूमि और मातृभूमि) की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
मुख्यमंत्री ने कहा, "सरकार पात्र लोगों को, जो मूल निवासी हों और स्वदेशी समुदाय से हों तथा राज्य के संवेदनशील और दूरदराज क्षेत्रों में रहते हों, उन्हें हथियार लाइसेंस देने में उदारता बरतेगी।" सरमा ने बताया कि यह मांग वर्ष 1985 से चली आ रही है, लेकिन किसी भी सरकार ने अब तक ऐसा साहसिक निर्णय नहीं लिया। उन्होंने कहा कि “यदि हमने यह निर्णय पहले लिया होता, तो इन क्षेत्रों में स्वदेशी लोगों ने अपनी ज़मीनें नहीं बेची होतीं और उन्हें छोड़कर नहीं जाते।” मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य से अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की निर्वासन प्रक्रिया के चलते वर्तमान समय में स्वदेशी लोगों की आशंकाएँ और भी बढ़ गई हैं। सरमा ने कहा, "सरकार संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करेगी और वहाँ स्वदेशी लोगों को उदारता से हथियार लाइसेंस दिए जाएंगे। गुवाहाटी के हाटीगाँव जैसे क्षेत्रों को भी संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "सरकार स्वदेशी लोगों को सुरक्षा प्रदान कर रही है और यह हथियार लाइसेंस उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा देगा।" मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह योजना नोटिफिकेशन जारी होने के 24 घंटों के भीतर प्रभाव में आ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘असम एक बहुत ही अलग और संवेदनशील राज्य है। कुछ क्षेत्रों में रहने वाले असमिया लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वे लंबे समय से शस्त्र लाइसेंस की मांग कर रहे हैं।''
हम आपको यह भी बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा दावा करते रहे हैं कि राज्य में मुस्लिम आबादी जिस तेजी से बढ़ रही है उसके चलते प्रदेश की जनसांख्यिकी 20 साल से भी कम समय में बदल जाएगी। उनका दावा है कि असम में 2041 तक मुस्लिम बहुसंख्यक हो जायेंगे। असम के मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों कहा था कि 2011 में असम में 1.4 करोड़ मुसलमान थे। 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा। यह एक वास्तविकता है और इसे कोई नहीं रोक सकता।