Truth About Covid Vaccine: कोरोना के खिलाफ कभी रहा सबसे धारदार हथियार क्या बना रहा लोगों हार्ट अटैक का शिकार? कोवीशील्ड के कबूलनामे से करोड़ों लोग टेंशन में आए!

By अभिनय आकाश | Apr 30, 2024

मशहूर शायर बशीर भद्र ने क्या खूब कहा था कभी 'कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए हिसाब का मर्ज है जरा फासले से मिला करो।' कोरोना ने इंसान को बदलाव पर इस कदर मजबूर किया कि मजबूरी का नाम ही कोरोना हो गया। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को चुनौती दी, एक-एक दिन में सैकड़ों जाने ली। वैक्सीन जिसे कोरोना के खिलाफ सबसे धारदार हथियार माना जाता है। उसका पूरी दुनिया इंतजार कर रही थी। 30 जनवरी वो तारीख थी जब हिन्दुस्तान का पहला व्यक्ति संक्रमित हुआ था। जिसके बाद 10 मार्च जब पहली बार एक कोरोना मरीज ने अपने प्राण त्यागे। तब से लेकर अब तक करीब साढे चार लाख लोग कोरोना नाम की महामारी से अपने प्राण त्याग दिए। पूरा एक साल वैक्सीन के इंतजार में गुजरा। वो इंतजार जिसमें काश लगाकर ये कहते हैं कि अगर वैक्सीन होती तो इतनी जानें न जाती, लॉकडाउन नहीं लगाना पड़ता। फिर नया साल नई उम्मीदें और हौसला लेकर आया। हर एक देश अपने नागरिकों के वैक्सीनेशन में जुटा है। वैक्सीन जो ना सिर्फ कोरोना से लड़ने में कारगर हो बल्कि लोगों को निश्चित करे और यह भरोसा दें कि- ऑल इज वेल। हम सब इस बात को जानते हैं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश में सबसे ज्यादा जो वैक्सीन लोगों को लगाई गई उसका नाम कोविशील्ड ही है। इसे सीरम इंस्ट्टीयूट ऑफ इंडिया ने बनाया। लेकिन फॉर्मूला एस्ट्रेजेनिका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा मिलकर बनाया गया था। 2021 के आसपास बहुत सारे देशों ने कोविशील्ड को बैन किया था। लेकिन आज हम कोरोना वैक्सीन की चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि एस्ट्रेजेनिका ने खुद माना है कि इससे रेयर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। मामाला यूके के हाई कोर्ट के अंदर गया था और वहीं से सारी जानकारी सामने आई है। ऐसे में पूरे मामले के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं कि ये यूके की कोर्ट में मामला गया क्यों? इसके क्या रेयर साइड इफेक्ट हो सकते हैं?

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कोवीशील्ड से हार्ट अटैक का खतरा

एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड टीके ने पहली बार स्वीकार किया है कि उसका कोविड टीका दुर्लभ मामलों में दुष्प्रभाव पैदा हो सकता है, जिसकी वजह से टीटीएस यानी थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम हो सकता है। यह एक गंभीर स्थिति है जिसके कारण लोगों में रक्त के थक्के (थ्रोम्बोसिस) और कम रक्त प्लेटलेट गिनती (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया) हो जाती है। थ्रोम्बोसिस तब होता है जब रक्त वाहिका में रक्त का थक्का बन जाता है, जो रक्त प्रवाह को बाधित कर सकता है। हाई कोर्ट ऑफ जस्टिस के समक्ष फरवरी के महीने में लीगल डॉक्यूमेंट जमा किया था। कंपनी ने ये कहा है कि टीटीएस वैक्सीन की वजह से हो ऐसा जरूरी नहीं है। अगर किसी भी शख्स ने कोवीशील्ड लिया है अगर उसे टीटीएस होता है तो उसे एक्सपर्ट के द्वारा टेस्टोमनी लेनी होगी। मतलब जबतक एक्सपर्ट ये नहीं बताएगा कि हां इस वैक्सीन की वजह से ही ये हुआ है, तब तक हम इसे एक्सेप्ट नहीं कर सकते हैं। 

क्या है थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम?

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया तब होता है जब खून में प्लेटलेट्स का स्तर गिरता है। थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के साथ थॉम्बोसिस बहुत ही दुर्लभ सिंड्रोम है। मरीज में कम प्लेटलेट काउंट (थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया) के साथ खून के थक्के (थ्रॉम्बोसिस) होते हैं। 

TTS के लक्षण क्या हैं?

सिरदर्द

साफ दिखाई न देना

बोलने में कठिनाई

सांस लेने में दिक्कत

सीने में दर्द

पैर में सूजन

स्किन पर शरीर में खून के धक्के जमने के निशान

हाई कोर्ट में कैसे पहुंचा ये मामला?

एस्ट्राजेनेका के ऊपर कई सारे केस कोर्ट में फाइल किए गए थे। कई लोगों के द्वारा  बोला जा रहा था कि इसकी वजह से कई लोगों की मौत हुई है। इसकी वजह से कई सारे वकीलों ने तर्क दिया कि एस्ट्राजेनेका निर्मित कोविड-19 वैक्सीन का दुष्प्रभाव हुआ, जिसका कई परिवारों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। अप्रैल 2021 में जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने यह वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा। इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से कहा था कि वो स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे। हालाँकि, एस्ट्राज़ेनेका ने मई 2023 में स्कॉट के वकीलों को सूचित किया कि वे टीटीएस को सामान्य स्तर पर वैक्सीन से प्रेरित होने के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं।

एस्ट्राजेनेका के खिलाफ कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभावों के लिए कितने मामले दर्ज किए गए हैं?

रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट में 51 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें पीड़ितों और दुखी रिश्तेदारों ने 100 मिलियन पाउंड तक की अनुमानित क्षति की मांग की है। फरवरी में एक कानूनी दस्तावेज़ में एस्ट्राज़ेनेका ने अदालत को बताया कि वह स्वीकार करती है कि AZ वैक्सीन, बहुत ही दुर्लभ मामलों में, टीटीएस का कारण बन सकती है। वकीलों का तर्क है कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन दोषपूर्ण है और इसकी प्रभावकारिता को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। हालाँकि, एस्ट्राज़ेनेका द्वारा इन दावों का दृढ़ता से खंडन किया गया है।

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ब्रिटेन में नहीं इस्तेमाल हो रही एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन

खास बात यह है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल अब ब्रिटेन में नहीं हो रहा है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में आने के कुछ महीनों बाद वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के खतरे को भांप लिया था। इसके बाद यह सुझाव दिया गया था कि 40 साल से कम उम्र के लोगों को दूसरी किसी वैक्सीन का भी डोज दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से होने वाले नुकसान कोरोना के खतरे से ज्यादा थे।

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