By अनन्या मिश्रा | Jul 23, 2025
आज ही के दिन यानी की 23 जुलाई को लोकमान्य बाल गंगाधर का जन्म हुआ था। वह एक भारतीय राष्ट्रवादी शिक्षक, वकील और स्वतंत्रता सेनानी हैं। उनके नाम के आगे 'लोकमान्य' लगाया जाता है। यह ख्याति बाल गंगाधर तिलक ने अर्जित की है। उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थीं। इसी वजह से बाल गंगाधर तिलक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का जनक कहा जाता है। वैसे तो उनका पूरा जीवन ही आदर्श है, भारत के स्वर्णिम इतिहास का प्रतीक है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर बाल गंगाधर तिलक के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
महाराष्ट्र के रत्नागिरी में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को हुआ था। इनके पिता का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था। वह संस्कृत के विद्वान और प्रख्यात शिक्षक थे। उनकी मां का नाम पार्वती बाई गंगाधर था। साल 1871 में तिलक का विवाह तपिबाई से हुआ था। जिनका नाम शादी के बाद सत्यभामा हो गया। उन्होंने पुणे के एंग्लो वर्नाकुलर स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। वहीं 16 साल की उम्र में माता और फिर पिता के निधन के बाद उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण करियर की शुरुआत कर दी। तिलक ने मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज से एलएलबी किया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद तिलक पुणे के एक निजी स्कूल में अंग्रेजी और गणित के शिक्षक बन गए। लेकिन स्कूल के अन्य शिक्षकों से मतभेद के बाद 1880 में उन्होंने पढ़ाना छोड़ दिया था। क्योंकि वह अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली के आलोचक थे। तिलक स्कूलों में ब्रिटिश छात्रों की तुलना में भारतीय छात्र के साथ होने वाले दोगले व्यवहार का विरोध करते थे। वहीं उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत के खिलाफ भी आवाज उठाई थी।
बाद में बाल गंगाधर तिलक ने दक्खन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की। इसका उद्देश्य भारत में शिक्षा के स्तर को सुधारना था। इसके साथ ही उन्होंने मराठी भाषा में मराठा दर्पण और केसरी नाम से दो अखबार भी शुरू किए। जोकि उस दौर में काफी ज्यादा लोकप्रिय हुए थे। तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बनकर अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया। साथ ही उन्होंने ब्रिटिश सरकार से भारतीयों को पूर्ण स्वराज देने की मांग की। अखबार में छपने वाले लेखों के कारण तिलक कई बार जेल भी गए।
तिलक को उनके तेजस्वी विचारों, निर्भीक लेखनी और ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ जन-जागरण के लिए 'लोकमान्य' की उपाधि मिली थी। वह ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिनके लिए जनता ने यह सार्वजनिक रूप से कहना शुरूकर दिया था कि बाल गंगाधर तिलक हमारे सच्चे नेता हैं। उन्होंने 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' का नारा दिया था।
मृत्यु
वहीं 01 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन की शुरुआत के दिन बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया था।