Benazir Bhutto Death Anniversary: पाकिस्तान की पहली महिला PM थीं बेनजीर भुट्टो, दो बार संभाली थी देश की सत्ता

By अनन्या मिश्रा | Dec 27, 2025

पाकिस्तान में पहली मुस्लिम महिला प्रधानमंत्री बनी बेनजीर भुट्टो का 27 दिसंबर को निधन हो गया था। बेनजीर भुट्टों की मौत इतने सालों बाद भी राज बनी हुई है। बता दें कि 27 दिसंबर को एक ब्लास्ट में बेनजीर भुट्टो की मौत हो गई थी। वह दो बार देश का नेतृत्व करने वाली पहली नेता बनी थी। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर बेनजीर भुट्टो के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

पाकिस्तान के कराची में 21 जून 1953 को बेनजीर भुट्टो का जन्म हुआ था। उनके बचपन का निकनेम पिंकी था। बेनजीर के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे। वहीं उच्च शिक्षा के लिए बेनजीर ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। फिर वह ऑक्सफोर्ड यूनियन अध्यक्ष चुनी जाने वाली पहली एशियाई महिला बनी थीं। साल 1977 में ग्रेजुएशन करने के बाद बेनजीर विदेश सेवा में जाना चाहती थीं।

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लेकिन साल 1977 में जनरल जिया-उल-हक ने तख्तापलट करके जुल्फिकार को सत्ता से हटा दिया। फिर साल 1979 में जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दी गई और भुट्टो परिवार को नजरबंद कर दिया गया। हालांकि बाद में उनके परिवार को ब्रिटेन में निर्वासन पर जाना पड़ा। जब साल 1986 में बेनजीर भुट्टो निर्वासन से वापस अपने देश लौटी, तो वह पीपीपी नेता के रूप में लोकप्रिय हो चुकी थीं। वहीं साल 1987 में उन्होंने बिजनेसमैन आसिफ अली जरदारी से शाादी की।


पाकिस्तान की प्रधानमंत्री

साल 1988 में चुनाव जीतकर 35 साल की उम्र में बेनजीर भुट्टो किसी मुस्लिम देश का शासन संभालने वाली पहली महिला नेता बनीं। लेकिन उनकी राह इतनी भी आसान नहीं थी। क्योंकि पाकिस्तान की कट्टरपंथी सोच ने बेनजीर की राह में मुश्किलें खड़ी कीं। वहीं साल 1993 में उनकी पार्टी ने फिर जीत हासिल की और बेनजीर भुट्टो ने दूसरी बार पीएम पद के लिए शपथ ली। हालांकि इस बार भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उनको पीएम पद छोड़ना पड़ा और उन्हें जेल में डाल दिया गया। वहीं जब वह जेल से बाहर आईं, तो बेनजीर भुट्टो को देश भी छोड़ना पड़ा।


मौत

वहीं 18 अक्तूबर 2007 को जब बेनजीर भुट्टो फिर पाकिस्तान लौटीं, तो वह फिर से देश में अपनी सरकार बनाना चाहती थीं। जिसके लिए वह चुनाव-प्रचार में जुट गईं। लेकिन 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी की एक चुनावी रैली करने के बाद बेनजीर भुट्टो पर एक आत्मघाती हमला हुआ और इस बम ब्लास्ट में बेनजीर भुट्टो की मौत हो गयी।

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