भागवत के बयान पर बवाल जारी, विपक्ष ने मोदी से रूख स्पष्ट करने को कहा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 13, 2018

नयी दिल्ली। विपक्ष ने सेना से जुड़ी टिप्पणी के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की आज निंदा की और उनसे देश से माफी मांगने तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र से इस बात पर अपना रूख स्पष्ट करने को कहा कि क्या वे ‘‘निजी मिलिशिया’’ से देश की सीमाओं की रक्षा कराने के पक्ष में हैं।

बिहार में आरएसएस कार्यकर्ताओं को कल संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था, कि संघ तीन दिन के भीतर अपने स्वयं सेवकों की सेना तैयार कर सकता है, जिसे तैयार करने में सेना को छह से सात महीने लगते हैं। यह हमारी क्षमता है। यदि देश को इस प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ा और संविधान की अनुमति हुई तो मोर्चा संभालने के लिए स्वयंसेवक तैयार रहेंगे।

 

विपक्ष के हमले का नेतृत्व करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भागवत की टिप्पणी से भारतीय तिरंगे का अपमान हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस प्रमुख का भाषण प्रत्येक भारतीय का अपमान है क्योंकि इससे हमारे देश के लिए जान देने वाले प्रत्येक व्यक्ति का अपमान हुआ है। यह हमारे तिरंगे का अपमान है क्योंकि यह हर उस सैनिक का अपमान है जिसे कभी भी उसे सलामी दी। हमारे शहीदों एवं हमारी सेना का अपमान करने के लिए श्री भागवत आपको शर्म आनी चाहिए। आरएसएस माफी मांगे।’’

 

हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) ने आज एक बयान में स्पष्ट किया कि भागवत ने भारतीय सेना और संघ के स्वयंसेवियों की तुलना नहीं की है और मुद्दे पर उनकी टिप्पणी को ‘‘तोड़ मरोड़कर’’ पेश किया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आरएसएस प्रमुख के बयान को ‘‘चौंकाने एवं चिंतित करने वाला तथा देश की जनता को विचलित करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह सबसे पहले तिरंगे का और दूसरा भारत की सेना का अपमान है।’’ उन्होंने भारतीय सेना की तमाम उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि यह दुनिया की बड़ी सेनाओं में से एक है और यह बयान उसके मनोबल को तोड़ने वाला है।

 

पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या वह देश की सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी आरएसएस को देने के बारे में सोच रहे हैं। कांग्रेस ने भागवत के बयान के विरोध में देश भर में प्रदर्शन भी किए। केरल के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ माकपा नेता पी विजयन ने भागवत की आलोचना करते हुए कहा कि आरएसएस ‘‘भारत को मुसोलिनी का इटली और हिटलर के जर्मनी में तब्दील करना’’ चाहता है।

 

विजयन ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि इससे राष्ट्रीय एकता को नष्ट करने और कहर बरपाने के लिए समानांतर लड़ाके तैयार करने के आरएसएस के छिपे एजेंडे का पता चलता है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का भारतीय सेना पर बयान खराब मंशा वाला, संवैधानिक उपयुक्तता के खिलाफ है और संघ को लेकर हमारे सबसे खराब भय की पुष्टि करता है कि उसकी भारतीय संविधान में कोई आस्था नहीं है।’’ विजयन ने कहा, ‘‘आरएसएस भारत को मुसोलिनी के इटली और हिटलर के जर्मनी में तब्दील करना चाहता है। जिस समानांतर सेना की वह बात कर रहे हैं उसके खिलाफ हमने हमेशा आगाह किया है: हिंदू आंतक। सेना चलाना देशदोह की श्रेणी में आता है।’’

 

तृणमूल कांग्रेस ने मोहन भागवत और साथ ही उनका बचाव करने संबंधी ट्वीट को लेकर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू पर हमला बोला तथा आरोप लगाया कि यह ‘‘और भी स्पष्ट’’ हो गया है कि सरकार को संघ रिमोट कंट्रोल से चला रहा है। पार्टी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार का एक मंत्री आरएसएस का समर्थन और उसका बचाव कर रहा है। किरण रिजिजू राज्य मंत्री नहीं, बल्कि संघ के मंत्री हैं।’’ उन्होंने सेना के बारे में भागवत की टिप्पणी और कोलकाता में आरएसएस से जुड़े एक संगठन द्वारा सीमा सुरक्षा पर आयोजित एक कार्यक्रम में सीमा सुरक्षाबल के महानिदेशक के कथित तौर पर शामिल होने का जिक्र किया और कहा कि यह संयोग नहीं हो सकता।

 

ब्रायन ने आरोप लगाया, ‘‘प्रत्येक संवैधानिक संस्थान को हाशिए पर डाला जा रहा है। राजभवन अब शाखा बन गए हैं और कुछ राज्यपाल प्रचारक बन चुके हैं। त्रिपुरा के राज्यपाल आरएसएस की एक और ट्रोल आर्मी बन चुके हैं।’’ सेना पर भागवत की टिप्पणी पर विवाद होने के बाद रिजिजू ने आज ट्वीट किया, ‘‘भागवत ने केवल यह कहा था कि किसी व्यक्ति के प्रशिक्षित सैनिक बनने में छह से सात महीने का समय लगता है और यदि संविधान अनुमति दे तो आरएसएस कैडर योगदान देने की क्षमता रखते हैं।’’ तृणमूल नेता ने कहा, ‘‘रिजीजू के ट्वीट के बाद यह और भी स्पष्ट हो गया है कि इस सरकार को आरएसएस रिमोट कंट्रोल से चला रहा है।

 

शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने भी भागवत की टिप्पणी को सशस्त्र बलों के लिए अपमानजनक बताते हुए संगठन से माफी मांगने को कहा। राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, ‘‘यह कहना कि आरएसएस स्वंयसेवक (सेना से ज्यादा) तैयार हैं हमारे सशस्त्रों बलों का अपमान करने जैसा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस को इस तरह की टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी चाहिए।’’

 

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