By अनन्या मिश्रा | Nov 01, 2025
'पंचक' का अर्थ है, पांच दिनों की एक विशेष अवधि। हिंदू धर्म में महीने के अंतिम दिनों को पंचक कहा जाता है। सामान्यत: यह एक अशुभ समय माना जाता है। लेकिन प्रचलित मान्य़ताओं के मुताबिक इन दिनों में गृहप्रवेश, विवाह या नए कार्य की शुरूआत करने जैसे मांगलिक कार्यक्रमों से बचा जाता है। हालांकि हर पंचक अशुभ नहीं होता है। कुछ विशेष महीनों में आने वाले पंचक काफी शुभ और पुण्यदायी माने जाते हैं। जब पंचंक का संबंध किसी देव उपासना या धार्मिक घटना से होता है, तो यह कल्याणकारी और पवित्र बन जाता है।
बता दें कि भीष्म पंचक को विष्णु पंचक भी कहा जाता है। यह कार्तिक महीने के अंतिम पांच दिन होते हैं। इसको 'पंचभीखा' और 'पंच भीखम' भी कहा जाता है। इस अवधि में लोग पूजा-पाठ, व्रत और दान आदि करते हैं, जिससे जातक को पूरे कार्तिक माह का व्रत करने का लाभ मिलता है। यह व्रत महाभारत काल के भीष्म पितामह के सम्मान में किया जाता है। जिन्हें महाभारत युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने ज्ञान देने के लिए कहा था। माना जाता है कि यह ज्ञान एकादशी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक 5 दिन चला था। इन दिनों में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
हर साल कार्तिक मास खत्म होने के पांच दिन पहले भीष्म पंचक शुरू होता है और यह पूर्णिमा तिथि को समाप्त होता है। इस बार 01 नवंबर 2025 से भीष्म पंचक शुरू हो रहा है और यह 05 नवंबर 2025 को समाप्त होगा।
कार्तिक माह में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने से अंतिम 5 दिनों पहले से उपवास किया था। यह चातुर्मास के अंत में आता है, जिसको मोक्ष की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। मुख्य रूप से यह भीष्म पंचक पिताहम भीष्म के स्मरण में किया जाता है। माना जाता है कि जो लोग पूरे कार्तिक महीने का व्रत नहीं कर पाते हैं, उनको भीष्म पंचक का व्रत करने से पूरे महीने का पुण्य मिलता है।