तृणमूल कांग्रेस के वो बड़े नेता जिन्हें बीजेपी अपने पाले में कर ममता का दुर्ग करेगी ध्वस्त

By अभिनय आकाश | Mar 04, 2021

पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है इसके साथ ही हर किसी की निगाहें बंगाल पर टिकी हैं। जिसके पीछे की वजह है बंगाल में चला आ रहा ममता का अखंड राज और बीजेपी के उभरते कद की वजह से दुर्ग दरकने की आहट। कांग्रेस और वाम दल मुकाबले में काफी पीछे दिख रही है। पिछले 3-4 महीनों में देखें तो बंगाल की राजनीतिक तस्वीर में परिवर्तन देखने को मिला है। वैसे तो फिल्मी सितारे, क्रिकेट जुड़ी हस्तियों का दोनों दलों में आना जारी है। लेकिन दीदी के दल का साथ छोड़कर जाने वाले नेताओं का तांता लगा है। अब तक टीएमसी के 3 मंत्री और 14 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है। जबकि कई मंत्री और नेताओं के भी पार्टी छोड़ने की बात कही जा रही है। आसनसोल के पूर्व मेयर और पंडेश्वर के तृणमूल विधायक जितेंद्र तिवारी एक बार फिर से बीजेपी में शामिल हो गए। एक बार फिर से इसलिए की इससे पहले फिरहाद हकीम के साथ विवाद होने के बाद तिवारी ने टीएमसी और आसनसोल निगम के प्रशासक के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन फौरन बाद जितेंद्र तिवारी की तृणमूल में घर वापसी हो गई थी। तब बीजेपी में कई नेताओं ने तिवारी का विरोध किया था। जिसके बाद तिवारी ने वापसी करते हुए कहा था कि मुझे कुछ गलतफहमी थी। मैं दीदी का साथ कभी नहीं छोड़ सकता। लेकिन अबकी बार फिर से जितेंद्र तिवारी बंगाल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए। 

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बंगाल का किला फतेह करने के लिए बीजेपी लगातार तृणमूल के घर में ही सेंध लगा दीदी को मात देने की कवायद में लगी है। ऐसे में आज बात उन चेहरों की करेंगे जिन्हें टीएमसी से अपने पाले में लाकर बीजेपी ममता बनर्जी के अखंड राज पर अनिश्चितता के बादल लाना चाहती है। 

मुकुल रॉय: भारत के रेल मंत्री रह चुके हैं। किसी दौर में उन्हें केंद्र में ममता का उत्तराधिकारी कहा जाता था। चुनावी प्रबंधन के विशेषज्ञ माना जाता है। तृणमूल नेताओं को बीजेपी में शामिल कराने की इनकी सबसे बड़ी भूमिका मानी जाती है। नारदा स्टिंग और शादरा स्कैम में उनकी संलिप्ता को लेकर तृणमूल छोड़ने के पीछे का कारण माना जाता है। लेकिन कुछ वास्तविकता ये भी है कि ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी के पार्टी में बढ़ते कद को लेकर ही इनके पार्टी छोड़ने की एक बड़ी वजह माना गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मुकुल रॉय को बंगाल चुनाव प्रचार समिति का संयोजक बनाया। इस चुनाव में बीजेपी ने 18 सीटें जीती। 

शुभेंद्र अधिकारी: शुभेंदु अधिकारी 20 साल की उम्र में कांग्रेस छात्र परिषद नेता के रूप में 1996 में मिदनापुर में कोऑपरेटिव आंदोलन में शामिल हुए। तीन साल बाद वह टीएमसी से जुड़ गए। ममता सरकार में ट्रांसफोर्ट एविगेशन और वॉटर रिसोर्स मंत्री रह चुके हैं। अधिकारी ममता को कुर्सी तक पहुंचाने वाले नंदी ग्राम आंदोलन के नेता माने जाते हैं। टीएमसी के एक धड़े के अनुसार उन्होंने 2011 विधानसभा चुनाव में ममता सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2009 और 2014 में तामलुक से सांसद रहे। वह ममता बनर्जी सरकार में नंबर दो के नेता थे। पश्चिनी और पूर्वी मिदनापुर में मजबूत प्रभाव है। अभिषेक बनर्जी के पार्टी बढ़ते प्रभाव के चलते उनका प्रभाव कम हो रहा था। 

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सौमित्र खान: 2014 में तृणमूल और 2019 में बीजेपी के सांसद हैं। जंगलमहल इलाके में युवाओं और दलित वोटर्स में प्रभावी नेता माने जाते हैं। सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे। वर्तमान में वो बंगाल युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं। विष्णुपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं। 

अर्जुन सिंह: पश्चिम बंगाल की भाटापारा सीट से कृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह लोकसभा चुनाव 2019 से पहले बीजेपी में शामिल हो गए। कहा जाता है कि सिंह बैरकपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने दिनेश त्रिवेदी पर दांव लगाना बेहतर समझा। उन्होंने बीजेपी के टिकट पर इस चुनाव में त्रिवेदी को मात देते उन्हें लोकसभा का सफर तय किया। हिंदी भाषी लोगों में अर्जुन सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है। 

सोवन चटर्जी: तृणमूल कांग्रेस के विधायक सोवन चटर्जी ने अगस्त 2019 में बीजेपी की सदस्यता ली। वो कोलकाता के मेयर और बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। उनके बीजेपी में शामिल होने के पीछे मुकुल रॉय का बड़ा हाथ माना जाता है।