मणिपुर में भी भाजपा सरकार, बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 15, 2017

इंफाल। एन. बीरेन सिंह ने आज मणिपुर की पहली भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। पिछले दिनों संपन्न हुए राज्य विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका था। राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने यहां राजभवन में आयोजित एक समारोह में बीरेन सिंह को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। भाजपा और उसकी गठबंधन सहयोगियों के भी कुछ सदस्यों ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के साथ मंत्री पद की शपथ ली।

 

नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के विधायक वाई जयकुमार को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया है। भाजपा के टी. विश्वजीत सिंह, एनपीपी के एल. जयंतकुमार सिंह, एल. हाओकिप और एन. कयिसी, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के एल. दिखो और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के करम श्याम ने मंत्री पद की शपथ ली। कांग्रेस से दल बदलकर भाजपा में शामिल हुए टी. श्यामकुमार को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।

 

भाजपा महासचिव राम माधव और असम सरकार में मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा सहित कई अन्य वरिष्ठ नेता शपथ-ग्रहण समारोह में मौजूद थे। निवर्तमान मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह भी शपथ-ग्रहण समारोह में मौजूद थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू को शपथ-ग्रहण समारोह में हिस्सा लेना था, लेकिन वे नहीं आ सके। दरअसल, वे जिस विमान में यात्रा कर रहे थे उसके इंजन में उड़ान के दौरान ही कोई गड़बड़ी आ गई जिससे पायलट विमान को वापस दिल्ली ले गया। नजमा ने मंगलवार को बीरेन सिंह को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। मंगलवार को बीरेन सिंह को सर्वसम्मति से 21 सदस्यीय भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया था। भाजपा ने 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में 32 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया।

 

मणिपुर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नोंगथोमबाम बीरेन सिंह राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉलर रह चुके हैं और पिछले वर्ष कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का उनका फैसला उनके लिए विजयी गोल साबित हुआ। 56 वर्षीय बीरेन सिंह हीनगंग विधानसभा सीट से चार बार से विधायक हैं। इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे बीरेन ने इबोबी सिंह से विद्रोह के बाद मणिपुर सीट और प्रदेश कांग्रेस कमेटी से पिछले वर्ष इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा के टिकट से हीनगंग सीट से चुनाव लड़े थे। उन्हें राज्य भाजपा में चुनाव प्रबंधन समिति का प्रवक्ता और सह संयोजक नियुक्त किया गया था।

 

पहली बार 2002 में वह डेमोक्रेटिक रेवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर हीनगंग से चुनाव लड़ने के बाद राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 2003 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और इबोबी सिंह के मंत्रिमंडल में उन्हें सतर्कता राज्य मंत्री नियुक्त किया गया। वह 2007 में इसी विधानसभा क्षेत्र से दोबारा चुने गए और उन्हें सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण, युवा मामले और खेल मंत्री बनाया गया। वर्ष 2012 में वह तीसरी बार अपनी सीट बचाने में सफल रहे लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने के कारण इबोबी सिंह से उनके संबंध खराब हो गए।

 

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