भाजपा की यह रणनीति कामयाब रही तो केजरीवाल अपनी सीट भी हार जाएँगे

By संतोष पाठक | Jul 09, 2019

हाल के चुनावों में हमने देखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी किस तरह से विरोधी दलों के दिग्गज नेताओं को उनके ही क्षेत्र में मात देने के लिए खास रणनीति बनाती है। इस तरह की रणनीति का मकसद दिग्गज विरोधी नेताओं को हराने के साथ-साथ उनके पार्टी कैडर के मनोबल को भी तोड़ना होता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इसी रणनीति को अपनाते हुए देश के कई राज्यों में विरोधी दलों के दिग्गज नेताओं की घेरेबंदी की। ऐसा कर भाजपा ने एक तरफ जहां कई दिग्गज नेताओं को उनके इलाकों तक ही सीमित कर दिया वहीं कई को चुनावी मैदान में शिकस्त देकर रिकॉर्ड भी कायम कर लिया। बड़े नेताओं की घेरेबंदी करके एक तरफ जहां भाजपा अपने कैडर के मनोबल को बढ़ाती है वहीं साथ ही विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ती भी है। 

 

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस रणनीति को देश के कई राज्यों में आजमाया था और ज्यादातर का नतीजा पार्टी के पक्ष में ही रहा। अमेठी में राहुल गांधी की हार, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे समेत कई विरोधी दिग्गज नेताओं की चुनावी हार भाजपा की इसी मैन टू मैन मार्किंग रणनीति का ही परिणाम था और लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित भाजपा अब अरविंद केजरीवाल को दिल्ली विधानसभा में ही पहुंचने से रोकना चाहती है। 

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भाजपा ने अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी खासतौर से नई दिल्ली विधानसभा सीट जीतने के लिए खास रणनीति पर अमल करने जा रही है। जी हां, नई दिल्ली विधानसभा सीट, जहां से वर्तमान में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विधायक हैं। मतलब साफ है कि भाजपा आम आदमी पार्टी के मुखिया को उसके घर में ही हराना चाहती है। आप सरकार को सत्ता से बाहर करने के साथ-साथ भाजपा केजरीवाल को विधायकी चुनाव में भी शिकस्त देना चाहती है। केजरीवाल को उनके ही विधानसभा में घेरकर भाजपा आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ना चाहती है लेकिन इसके साथ ही भाजपा को यह लगता है कि केजरीवाल को कमजोर देखकर आम आदमी पार्टी में भगदड़ शुरू हो सकती है। कुछ नेता कांग्रेस की तरफ जा सकते हैं तो कुछ भाजपा की तरफ भी आएंगे।  

 

इसी रणनीति पर अमल करते रविवार को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में मशहूर हरियाणवी डांसर सपना चौधरी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री और दिल्ली से सांसद डॉ. हर्षवर्धन, राष्ट्रीय संगठन महासचिव राम लाल, विजय गोयल, दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत कई राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में पार्टी में शामिल कराया गया। 

 

दरअसल, हरियाणा के हिसार के अरविंद केजरीवाल को हराने के लिए भाजपा हरियाणा के ही रोहतक में जन्मे मशहूर हरियाणवी डांसर सपना चौधरी को नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है। सपना चौधरी अपने डांस के बल पर युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं। युवा वर्ग में सपना चौधरी की इसी लोकप्रियता के सहारे भाजपा अरविंद केजरीवाल को उन्हीं की विधानसभा सीट पर शिकस्त देना चाहती है। भाजपा को लगता है कि नई दिल्ली विधानसभा सीट के गणित और इतिहास को देखते हुए केजरीवाल को हरा पाना असंभव नहीं होगा क्योंकि खुद केजरीवाल इसी सीट से पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हरा कर विधायक चुने गए थे। उन शीला दीक्षित को हरा कर जो लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री चुनी गई थीं। भाजपा को लगता है कि जब शीला दीक्षित जैसी दिग्गज कांग्रेसी नेता और लोकप्रिय मुख्यमंत्री चुनाव हार सकती हैं तो फिर केजरीवाल को हराना भी मुश्किल नहीं होगा और इसलिए सपना चौधरी को नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है।   

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वैसे सपना चौधरी का राजनीति में आने का किस्सा भी कम दिलचस्प नहीं है। लोकसभा चुनाव के समय उनके कांग्रेस में शामिल होने की खबर आई। कुछ तस्वीरें भी सामने आईं लेकिन इन तस्वीरों को पुराना बताते हुए सपना चौधरी ने कांग्रेस में शामिल होने की खबर को सिरे से ही खारिज कर दिया। इसके बाद उनके दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के साथ मुलाकात की तस्वीरें सामने आईं। लोकसभा चुनाव के दौरान सपना चौधरी ने भाजपा उम्मीदवारों के लिए दिल्ली में चुनाव प्रचार भी किया और रविवार को फाइनली सपना चौधरी अधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल भी हो गई। भाजपा सपना चौधरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनकी ही विधानसभा सीट पर हराने की जिम्मेदारी देने जा रही है।

 

-संतोष पाठक

 

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