पूर्वांचल की क्षत्रिय सियासत में बीजेपी को धनंजय का साथ लेकिन राजा भैया तटस्थ

By संजय सक्सेना | May 18, 2024

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चार सौ पार का लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है जब देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी 80 की 80 सीटों पर जीत हासिल कर सके, लेकिन बीजेपी के लिये यह लक्ष्य आसान नहीं नजर आ रहा था क्योंकि यूपी में बीजेपी के बड़े क्षत्रिय वोट बैंक के मतों में बिखराव बड़ी बाधा बनती नजर आ रही थी। ठाकुर वोटरों को लुभाने के लिये जन्म से ठाकुर और अब योगी (आदित्यनाथ) ने भी ठाकुरों को साधने के लिये काफी हाथ पैर मारे। क्षत्रिय समाज में अच्छी पैठ रखने वाले कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से लेकर जौनपुर के दबंग नेता धनंजय सिंह से भी बीजेपी के बड़े नेता मिले, लेकिन राजा भैया का साथ बीजेपी को नहीं मिल पाया, यह और बात थी कि राजा भैया ने बीजेपी प्रत्याशियों के विरोध की बात भी नहीं कही थी। बल्कि उन्होंने क्षत्रिय समाज के वोटरों के विवेक पर यह छोड़ दिया था कि वह जिसको चाहें वोट करें। हालांकि धनंजय सिंह को मनाने में भाजपा आलाकमान सफल रही। धनंजय सिंह द्वारा मोदी-योगी सरकार की तारीफ करने व पार्टी को समर्थन देने के कदम से जहां जौनपुर से भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह की राह आसान नजर आने लगी है वहीं मछलीशहर सीट पर भाजपा प्रत्याशी बीपी सरोज को भी बड़ी राहत मिल सकती है। ज्ञातव्य हो हाल ही में जौनपुर लोकसभा सीट पर पत्नी श्रीकला सिंह के बहाने जोर आजमाइश करने उतरे पूर्व धनंजय सिंह भाजपा की राह में रोड़ा बनकर उभरे थे, हालांकि अब बदली परिस्थितियों में केवल जौनपुर ही नहीं आसपास की कई अन्य सीटों पर भाजपा की राह आसान होने के पूरे आसार नजर आने लगे हैं।


राजनीति के जानकार बताते हैं कि धनंजय सिंह की भाजपा के विरोध में सक्रियता कायम रहती तो इसका असर जौनपुर के साथ ही आसपास के अन्य सीटों पर हो सकता था। जौनपुर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण बता रहे हैं कि यहां इस बार कांटे की टक्कर होगी। समाजवादी पार्टी ने जहां बाबू सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारकर डेढ़ लाख से अधिक मौर्य मतदाताओं की साधने की कोशिश की है, वहीं बसपा ने श्रीकला सिंह का टिकट काटकर अपने सिटिंग सांसद श्याम सिंह यादव को एक बार फिर मैदान में उतारकर ढाई लाख के करीब यादव मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की है। बदली परिस्थितियों में अब सपा यहां मुस्लिम मतदाताओं का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण तय मान रही है। कुल मिलाकर अभी स्थिति कांटे की टक्कर की ही नजर आ रही है।

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बता दें जिले के दोनों लोकसभा क्षेत्रों के मतदाताओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पैठ है। इसका उदाहरण है जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव। निर्दलीय प्रत्याशी होते हुए भी धनंजय ने सभी दलों के जिला पंचायत सदस्यों को तोड़कर अपने पक्ष में करने के साथ ही पत्नी श्रीकला सिंह को अध्यक्ष बना दिया था। जौनपुर लोकसभा क्षेत्र की स्थिति देखें तो यहां अनुसूचित जाति, यादव, मुसलमान, ब्राह्मण, मौर्य व क्षत्रिय मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है। एक अनुमान के मुताबिक यहां अनुसूचित जाति व यादव मतदाताओं की संख्या ढाई लाख के आसपास तो मौर्य मतदाताओं की तादाद भी डेढ़ लाख के आसपास है। अल्पसंख्यक व क्षत्रिय मतदाताओं की भी संख्या डेढ़-डेढ़ लाख के करीब तो ब्राह्मण मतदाता भी एक लाख साठ-सत्तर हजार है। जौनपुर में छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है।

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